अफ़ग़ानिस्तान: हाईस्कूल छात्राओं की स्कूल वापसी पर पाबन्दी, यूएन ने जताई गहरी निराशा
मानवाधिकार मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशेलेट ने अफ़ग़ानिस्तान में हाई स्कूल की छात्राओं की स्कूल वापसी के मुद्दे पर तालेबान द्वारा लिये गए यू-टर्न पर गहरी हताशा व निराशा व्यक्त की है. अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर पिछले वर्ष तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के छह महीने बाद भी, लड़कियों की माध्यमिक स्कूलों में अभी वापसी नहीं हो पाई है.
यूएन उच्चायुक्त ने बुधवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि छठी से ऊपर की कक्षाओं में पढ़ाई करने वाली लड़कियों के लिये, स्कूल फिर से खोले जाने के वादों को पूरा करने में विफल रहने से, अफ़ग़ानिस्तान को बहुत नुक़सान होगा.
मिशेल बाशेलेट ने ध्यान दिलाया कि लड़कियों की शिक्षा के लिये बार-बार संकल्प व्यक्त किये गए थे, और दो सप्ताह पहले उनकी काबुल यात्रा के दौरान भी ऐसा कहा गया था.
बताया गया है कि देश भर में लड़कियों के लिये हाई स्कूल खोले जाने की तैयारी थी, मगर बुधवार सुबह तालेबान प्रशासन द्वारा इस निर्णय को पलट दिया गया और पाबन्दी बढ़ा दी गई.
लड़कियों द्वारा स्कूल में पहनी जाने वाली पोशाक पर अभी आदेश की प्रतीक्षा है.
“शिक्षा को नकारा जाना, महिलाओं व लड़कियों के मानवाधिकारों का हनन करता है. समान शिक्षा हासिल करने के उनके अधिकार से इतर, यह उनके अधिक हिंसा, निर्धनता और शोषण का शिकार बनने का जोखिम बढ़ाता है.”
भविष्य पर जोखिम
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को अपने एक वक्तव्य में, हाई स्कूल की छात्राओं की स्कूल वापसी को स्थगित किये जाने के तालेबान के फ़ैसले पर गहरा खेद प्रकट किया है.
“सभी छात्र, लड़कियाँ व लड़के, अभिभावक व परिवार, नए स्कूल वर्ष की शुरुआत की प्रतीक्षा करते हैं.”
लेकिन बारम्बार संकल्प व्यक्त किये जाने के बावजूद, तालेबान का यह निर्णय गहरी निराशा का सबब है, और अफ़ग़ानिस्तान को गहरी क्षति पहुँचाने वाला है.
उन्होंने दोहराया कि शिक्षा अवसरों को नकार दिये जाने से महिलाओं व लड़कियों का समान शिक्षा पाने के अधिकार का उल्लंघन होता है. साथ ही, इससे देश के भविष्य के लिये भी जोखिम पैदा होता है.
महासचिव गुटेरेश ने तालेबान प्रशासन के नाम अपनी अपील जारी करते हुए, बिना किसी देरी के सभी छात्रों के लिये स्कूल खोले जाने का आग्रह किया है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने हाल ही में सम्पन्न अपनी काबुल यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा कि महिलाएँ, अफ़ग़ानिस्तान के विकास में अपना योगदान देने की इच्छुक हैं.
ढाँचागत भेदभाव
अफ़ग़ान महिलाओं ने यूएन एजेंसी प्रमुख को बताया कि उनके पास सूचना, समाधान व क्षमता मौजूद हैं, जिनसे अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक, मानवीय व मानवाधिकार संकट से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है.
“उन्होंने प्राथमिक, माध्यमिक व तृतीयक स्तर पर गुणवत्तापरक शिक्षा के समान अधिकार पर ज़ोर दिया और कहा कि वे आज स्कूल फिर से खुलने के लिये प्रतीक्षारत थीं.”
मानवाधिकार मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अफ़ग़ान नागरिक, ऐसे अनेक संकटों के दुष्प्रभावों को झेल रहे हैं, जोकि आपस में जुड़े हुए हैं.
इसके मद्देनज़र, हाई स्कूल में लड़कियों की वापसी पर लिये गए निर्णय को उन्होंने बेहद चिन्ताजनक बताया.
उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि अफ़ग़ानिस्तान की आधी आबादी को अशक्त बनाना न्यायसंगत नहीं है और इससे लाभ के बजाय नुक़सान होगा.
मिशेल बाशेलेट ने बताया कि इस तरह के ढाँचागत भेदभाव, देश में पुनर्बहाली और विकास के लिये बहुत अधिक हानिकारक हैं.
उन्होंने बिना किसी भेदभाव या देरी के, तालेबान से सभी लड़कियों के शिक्षा अधिकारों का सम्मान करने और सभी छात्रों के लिये स्कूल खोले जाने का आग्रह किया है.
आशाएँ हुईं चकनाचूर
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने भी एक बयान जारी करके, तालेबान के इस फ़ैसले को लड़कियों व उनके भविष्य के लिये एक बड़ा झटका क़रार दिया है.
“अफ़ग़ानिस्तान में माध्यमिक स्कूलों की लाखों लड़कियाँ जब आज नीन्द से जागीं, तो उन्हें आशा थी कि वे वापिस स्कूल जाकर अपनी पढ़ाई शुरू कर पाएंगी.”
“उनकी आशाओं को चकनाचूर होने में ज़्यादा समय नहीं लगा.”
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) ने भी तालेबान की इस घोषणा की भर्त्सना की है, जिसमें छठी कक्षा से ऊपर लड़कियों की स्कूल वापसी पर अनिश्चितकालीन पाबन्दी लगा दी गई है.