'महिलाओं और लड़कियों को, हिंसा मुक्त, सुरक्षित, गरिमापूर्ण, स्वतंत्र जीवन का अधिकार'

दक्षिण अफ़्रीका की एक 23 वर्षीय महिला, जिसमें अपने जीवन भर हिंसा और भेदभाव का सामना किया है, अब एक एनजीओ उसकी मदद कर रहा है.
© UNICEF/Karin Schermbrucke
दक्षिण अफ़्रीका की एक 23 वर्षीय महिला, जिसमें अपने जीवन भर हिंसा और भेदभाव का सामना किया है, अब एक एनजीओ उसकी मदद कर रहा है.

'महिलाओं और लड़कियों को, हिंसा मुक्त, सुरक्षित, गरिमापूर्ण, स्वतंत्र जीवन का अधिकार'

महिलाएं

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने लैंगिक भेदभाव पर आधारित हिंसा का उन्मूलन करने में लड़कों व पुरुषों की महत्वपूर्ण भूमिका की ज़रूरत विषय पर मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा है कि महिलाओं व लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा शायद, “सबसे दीर्घकालीन और घातक महामारी” है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने महिलाओं की स्थिति पर आयोग (CSW) के 66वें वार्षिक सम्मेलन को एक वीडियो सन्देश में कहा, “दुनिया भर में तीन में से एक महिला ने प्रत्यक्ष हिंसा का सामना किया है.”

उन्होंने बताया कि हर 11 मिनट में, एक महिला की मौत, उसके साथी या परिजन के हाथों हो जाती है, अक्सर उसके अपने ही घर में, “जहाँ वो सबसे ज़्यादा सुरक्षित होनी चाहिये.”

“हम एक ऐसी दुनिया को स्वीकार नहीं कर सकते जहाँ मानवता की आधी संख्या को सड़कों पर, उनके अपने घरों में या ऑनलाइन जोखिम का सामना करना पड़ता है. हमें महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा को रोकना होगा, बिल्कुल अभी.”

बदलाव लाना

यूएन महासचिव के अनुसार, “पुरुषों व लड़कों के दिलो-दिमाग़ को बदलना”, पहला क़दम हो सकता है.

ये अभिशाप पुरुषों का चलाया हुआ है. पुरुषों को ही इसका ख़ात्मा करना होगा.”

इसकी शुरुआत पुरुषों के ख़ुद को आईने के सामने खड़ा करने और “असन्तुलित सत्ता समीकरणों, विषैली मर्दानगी मानसिकता, और सांस्कृतिक रीतियों व कलंकित मानसिकताओं को उखाड़ फेंकने” के साथ होती है जिन्होंने, हज़ारों साल तक इस हिंसा को ईंधन मुहैया कराया है.

इक्वाडोर में महिला अधिकारों के लिये प्रदर्शन.
UN Women/Johis Alarcón
इक्वाडोर में महिला अधिकारों के लिये प्रदर्शन.

छवि परिवर्तन

योरोप से लेकर एशिया, और अफ़्रीका से लेकर अमेरिका तक, कोविड-19 ने, दुनिया के हर क्षेत्र में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा में बेतहाशा बढ़ोत्तरी की है.

यूएन प्रमुख ने वर्ष 2020 के आरम्भ में भी, महिलाओं व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा में उछाल पर लगाम लगाने की पुकार लगाई थी.

उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि बदलाव सम्भव है.”

इस लक्ष्य की ख़ातिर, संयुक्त राष्ट्र के Spotlight Initiative कार्यक्रम के तहत अभी तक, लगभग 8 लाख 80 हज़ार पुरुषों और लड़कों को, मर्दानगी के सकारात्मक रूप में, सम्मानपूर्ण सम्बन्धों और झगड़े अहिंसात्मक तरीक़ों से निपटाने में शिक्षित किया है.

यूए प्रमुख ने मंगलवार के कार्यक्रम में बताया कि टैक्सी चालकों से लेकर खेलकूद क्लबों में, बहुत से पुरुष, लैंगिक आधारित हिंसा की रोकथाम करने और महिला भुक्तभोगियों की मदद करने में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र, सरकारों और विधि निर्माताओं के साथ मिलकर भी ऐसे क़ानूनों और नियमों को मज़बूत करने के लिये काम कर रहा है जिनसे महिलाओं और लड़कियों की हिफ़ाज़त बेहतर हो.

माली में एक महिला कार्यकर्ता, महिलाओं के एक समूह को सम्बोधित करते हुए जिसमें वो हिंसा के तमाम रूपों से उन्हें अवगता कराती है, जिनमें बाल विवाह और महिला ख़तना जैसी प्रथाएँ भी शामिल हैं.
© UNICEF/Harandane Dicko
माली में एक महिला कार्यकर्ता, महिलाओं के एक समूह को सम्बोधित करते हुए जिसमें वो हिंसा के तमाम रूपों से उन्हें अवगता कराती है, जिनमें बाल विवाह और महिला ख़तना जैसी प्रथाएँ भी शामिल हैं.

सभी के लिये एक अवसर

यूएन प्रमुख ने इस सम्मेलन को सभी के लिये जीवन में अपनी योजनाओं को साकार करने; संयुक्त राष्ट्र की विशेषज्ञता और Spotlight Initiative में मौजूद सकारात्मक मॉडल से लाभ उठाने का एक अच्छा अवसर क़रार दिया.

महासचिव ने कहा, “आइये, हम सभी एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिये काम करें कि हर एक महिला व लड़की, हिंसा से मुक्त जीवन जी सके, पूरी सुरक्षा, गरिमा और स्वतंत्रता के साथ, जिनका उन्हें पूरा अधिकार है.”