यूक्रेन: 'बेतुके' युद्ध का अन्त करने के लिये, शान्ति वार्ता का समय

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का अन्त करने के लिये, यह समय एक कूटनैतिक समाधान की तलाश करने का है. उन्होंने कहा कि इस युद्ध में ना किसी की जीत हो सकती है, ना इसे नैतिक दृष्टि से स्वीकार नहीं किया जा सकता है और ना ही राजनैतिक रूप से उसकी हिमायत की जा सकती है.
यूएन प्रमुख ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद के बाहर पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि विभिन्न पक्षों के साथ सम्पर्क साधने के बाद, अनेक मुद्दों पर कूटनैतिक प्रगति दिखने लगी है.
“टकराव का अन्त करने के लिये मेज़ पर बहुत कुछ है – अभी...और ज़्यादा गम्भीरता से वार्ता करें – अभी.”
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यूएन महासचिव ने आगाह किया कि यह युद्ध जीता नहीं जा सकता है. देर-सवेर, रणभूमि से शान्ति की मेज़ पर आना होगा, और इसे टाला नहीं जा सकता है.
सवाल केवल ये है: “और कितनी ज़िन्दगियाँ ख़त्म करनी होंगी? और कितने बम गिराने होंगे? और कितने मारियूपोल तबाह किये जाएंगे?”
यूएन प्रमुख ने पूछा कि यह समझने से पहले कि युद्ध में किसी की जीत नहीं होती है, सिर्फ़ हार होती है, कितने यूक्रेनी और रूसी नागरिकों की जानें ली जाएंगी.
“यह रोकने के लिये, यूक्रेन में और कितने लोगों को मरना होगा, और दुनिया भर में लोगों को भूख की मार सहनी पड़ेगी.”
महासचिव ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध जारी रहने को, नैतिक दृष्टि से स्वीकार नहीं किया जा सकता, राजनैतिक रूप से उसका बचाव नहीं किया जा सकता और सैन्य नज़रिये से यह नासमझी है.
यूएन महासचिव ने कहा कि एक महीने पहले, 24 फ़रवरी को रूसी महासंघ ने यूएन चार्टर का उल्लंघन करते हुए, यूक्रेन के सम्प्रभु क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर आक्रमण शुरू किया था.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि यूक्रेनी सीमा पर महीनों तक विशाल संख्या में रूसी सैन्य बलों का जमावड़ा करने के बाद ऐसा किया गया.
“उसके बाद से हमने भयावह मानवीय पीड़ा और शहरों, नगरों व गाँवों में तबाही देखी है.”
“आमजन को आतंकित करने के लिये व्यवस्थागत ढंग से बमबारी की गई है.”
यूएन प्रमुख ने कहा कि हिंसा में अस्पतालों, स्कूलों, रिहायशी इमारतों और आश्रय स्थलों को नुक़सान पहुँचा है और यह निरन्तर गहन हो रही है.
बताया गया है कि एक करोड़ यूक्रेनी नागरिक अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर हुए हैं और भटक रहे हैं.
35 लाख लोगों ने अन्य पड़ोसी देशों का रुख़ किया है, जबकि बड़ी संख्या में लोग घरेलू विस्थापन का शिकार हुए हैं.
महासचिव ने कहा कि युद्ध की कोई दिशा नज़र नहीं आ रही है.
“दो हफ़्तों से अधिक समय से रूसी सेना ने मारियूपोल की घेराबन्दी की हुई है और अनवरत बम, गोले बरसाए और हमले किये जा रहे हैं. किसलिये?”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी के मुताबिक़, अगर मारियूपोल पर नियंत्रण हो भी जाता है, तो भी यूक्रेन को शहर दर शहर, सड़क दर सड़क, मकान दर मकान नहीं जीता जा सकता.
“इसका एकमात्र परिणाम और अधिक पीड़ा, व अधिक विनाश, और जहाँ तक नज़र आ सके, और अधिक ख़ौफ़ होगा.”
यूएन प्रमुख ने क्षोभ व्यक्त किया कि यूक्रेन की जनता के लिये जीवन एक नर्क के समान हो गया है, और यहाँ के झटक दुनिया भर में महसूस किये जा सकताे हैं.
भोजन, ऊर्जा व उर्वरक की क़ीमतों में उछाल आया है, जिससे वैश्विक भूख संकट गहराने की आशंका बढ़ रही है.
महासचिव ने सचेत किया कि विकासशील देश पहले से कोविड-19 के बोझ का सामना कर रहे थे, और पर्याप्त वित्त पोषण का भी अभाव था. अब उन्हें इस युद्ध के नतीजे की भारी क़ीमत भी चुकानी पड़ रही है.
उन्होंने दोहराया कि यह समय इस बेतुके युद्ध का अन्त करने और शान्ति को एक अवसर देने का है.