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यूक्रेन: बढ़ती ज़रूरतों के बीच, सामान की भारी क़िल्लत, हमले भी जारी

यूक्रेन के लाखों लोगों ने युद्ध से बचने के लिये, पड़ोसी देश पोलैण्ड में भी पनाह ली है.
© IOM/Muse Mohammed
यूक्रेन के लाखों लोगों ने युद्ध से बचने के लिये, पड़ोसी देश पोलैण्ड में भी पनाह ली है.

यूक्रेन: बढ़ती ज़रूरतों के बीच, सामान की भारी क़िल्लत, हमले भी जारी

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने यूक्रेन के पश्चिमी शहर लिविफ़ में शुक्रवार को हवाई अड्डे के निकट एक मिसाइल हमले के बाद, आगाह करते हुए कहा है कि पूरे देश में स्थिति बहुत ख़तरनाक है, जबकि रूस का सैन्य आक्रमण जारी है.

यूक्रेन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रतिनिधि डॉक्टर जार्नो हैबिश्ट ने कहा है कि शुक्रवार सुबह लिविफ़ में जो कुछ हुआ है, वो नया नहीं है, ये वैसा ही था जैसाकि देश के अन्य हिस्सों में हो रहा है, मगर ये घटना मज़बूती से याद दिलाती है कि ये देश युद्ध में है और चिकित्सा ज़रूरतें बढ़ रही हैं.

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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के आँकड़ों के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध चौथे सप्ताह में है और देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं पर 44 हमले दर्ज किये जा चुके हैं, इनमें इमारतों, भण्डार गृहों, मरीज़ों, चिकित्साकर्मियों और आपूर्ति श्रंखलाओं पर हमले शामिल हैं, जिनमें अभी तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है.

मानवीय सहायता के लिये कोशिशें

यूएन एजेंसियाँ और उसके साझीदार संगठन, ख़तरों के बावजूद, देश में मानवीय सहायता पहुँचाने के लिये कोशिशों में लगे हैं.

डॉक्टर जार्नो हैबिश्ट ने लिविफ़ से कहा कि यूक्रेन के लिये अभी तक लगभग 100 मीट्रिक टन सामग्री उपलब्ध है, जिसमें से कम से कम एक तिहाई सामग्री, स्वास्थ्य सेवाओं के लिये रवाना की जा चुकी है, इसमें से कुछ सामग्री, राजधानी कीयेफ़ भी पहुँचेगी.

मारियुपोल, सूमी में हालात बहुत ख़राब

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने कहा है कि रूसी बमबारी से बचकर निकलने में नाकाम कुछ लोग बेहद ख़तरनाक हालात में फँसे हुए हैं और मारियुपोल व सूमी जैसे शहरों में स्थिति बेहद ख़राब है, जहाँ लोगों को भोजन, पानी और दवाइयों की भी भारी क़िल्लत है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता मैथ्यू सॉल्टमार्श ने बताया है कि देश के पूर्वी हिस्सों में तो, ज़रूरतें और भी तात्कालिक बन रही हैं. “दोनेत्स्क क्षेत्र में, दो लाख से भी ज़्यादा लोगों के पास पानी नहीं बचा है, जबकि लूहान्स्क क्षेत्र में लगातार बमबारी से कुछ इलाक़े 80 प्रतिशत तक तबाह हो गए हैं, परिणामस्वरूप 97 हज़ार 800 लोग बिजली के बिना ही रहने को मजबूर हैं.”

एजेंसी के अनुसार, ओडेस्सा में, अधिकारियों ने लगभग साढ़े चार लाख लोगों के लिये, भोजन सम्बन्धी सामान्य ज़रूरतें पूरी करने और दवाओं की उपलब्धता के लिये सहायता की अपील की है.

32 लाख से ज़्यादा शरणार्थी

कुछ अस्थाई आवास में रहते यूक्रेनी शरणार्थी
© WHO/Agata Grzybowska/RATS Agency
कुछ अस्थाई आवास में रहते यूक्रेनी शरणार्थी

यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, अब तक 32 लाख से ज़्यादा लोग यूक्रेन से बाहर निकल चुके हैं और लाखों अन्य लोग, देश के भीतर ही विस्थापित हैं. कुल मिलाकर, लगभग एक करोड़ 30 लाख लोग, युद्ध से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

जो लोग यूक्रेन से बाहर निकले हैं उन्होंने पोलैण्ड, स्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया, मोल्दोवा, रूस और कुछ हद तक बेलारूस में पनाह ली है. उनमें 90 प्रतिशत संख्या महिलाओं और बच्चों की है और लगभग एक लाख 62 हज़ार लोग, अन्य देशों के नागरिक हैं.

विस्थापन का शिकार इन लोगों को शोषण के जोखिम से बचाने के लिये, यूएन शरणार्थी एजेंसी और यूएन बाल एजेंसी – यूनीसेफ़ ने, छह देशों – चैक गणराज्य, हंगरी, मोल्दोवा, पोलैण्ड, रोमानिया और स्लोवाकिया में ‘ब्लू डॉट्स’ (Blue Dots) नामक सुरक्षित केन्द्र बनाए हैं.

ये केन्द्र ऐसे सुरक्षित स्थल हैं जहाँ बच्चों, परिवारों और अन्य लोगों की ज़रूरतों के अनुसार, मौजूदा सरकारी सेवाओं और प्रयासों के समन्वय के साथ, विशिष्ट सेवाएँ मुहैया कराते हैं.

संघर्ष के प्रभावितों को सहायता मुहैया कराने वाले एक अन्य संगठन यूएन प्रवासन एजेंसी – IOM ने कहा कि 2021 में, एजेंसी ने तस्करी के 1,000 से ज़्यादा पीड़ितों की निशानदेही करके उनकी मदद की थी.

यूएन प्रवासन एजेंसी के प्रवक्ता पॉल डिल्लों ने बताया कि गत नौ दिनों के दौरान जो टैलीफ़ोन हॉटलाइन शुरू की गई, उसके ज़रिये अभी तक दस हज़ार से भी ज़्यादा कॉल्स आ चुकी हैं, जिनमें से आधे से ज़्यादा, तस्करी को लेकर चिन्ताओं से सम्बन्धित थीं.

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