यूक्रेन: युद्ध में हताहतों की बड़ी संख्या, जाँच व जवाबदेही की मांग
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने गुरुवार को सुरक्षा परिषद की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा है कि यूक्रेनी शहरों पर रोज़ हो रहे हमलों में आमजन हताहत हो रहे हैं, बुनियादी ढाँचे को भीषण नुक़सान पहुँच रहा है और मानवीय आवश्यकताएँ लगातार बढ़ रही हैं. इसके मद्देनज़र, उन्होंने जाँच और जवाबदेही सुनिश्चित किये जाने का आग्रह किया है.
.@DicarloRosemary on #Ukraine: "There must be a meaningful sustained political process to enable a peaceful settlement. The lives of millions of Ukrainians and the peace and security of the entire region, and possibly beyond, depend on it."Full remarks: https://t.co/cyHyUlvPkF pic.twitter.com/ZpWyQQf9dm
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संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में, सदस्य देशों को रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद और आम नागरिकों व प्रतिष्ठानों पर किये जा रहे गम्भीर हमलों से उपजे मानवीय हालात पर जानकारी दी.
बताया गया है कि 24 फ़रवरी से 15 मार्च की अवधि के दौरान, यूक्रेन में 726 आम लोगों की मौत हुई है, जिनमें 52 बच्चे हैं.
63 बच्चों समेत एक हज़ार 174 लोग घायल हुए हैं, मगर हताहतों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका व्यक्त की गई है.
बमबारी में रिहायशी इमारतों, अस्पतालों और स्थलों को भीषण क्षति पहुँची है.
यूएन शान्तिनिर्माण मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून स्पष्ट है. आमजन को सैन्य अभियानों से उभरने वाले ख़तरों से रक्षा का अधिकार है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस निरर्थक टकराव में किसी की भी जीत नहीं होगी, मगर इससे जो विशाल हानि हुई है, वो हृदयविदारक ढंग से स्पष्ट है, और अगर लड़ाई यूँ ही जारी रही, तो हालात के बद से बदतर होने की आशंका है.
रोज़मैरी डीकार्लो के मुताबिक़, मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने रूसी नियंत्रण वाले इलाक़ों में, आमजन, स्थानीय प्रशासनिक कर्मचारियों और नागरिक समाज कार्यकर्ताओं को मनमाने ढंग से हिरासत में लिये जाने और जबरन गुमशुदगी पर चिन्ता जताई है.
ऐसे सभी मामलों में हिरासत में लिये गए लोगों को तत्काल रिहा करने की मांग की गई है.
अवर महासचिव ने कहा कि इस सप्ताह, रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों में सीधी बातचीत में कुछ सकारात्मक संकेत नज़र आए हैं, जोकि स्वागत योग्य हैं, मगर अभी फ़िलहाल उनसे युद्ध पर विराम लगाने में मदद नहीं मिली है.
यूएन की शीर्ष अधिकारी ने भरोसा दिलाया कि यूक्रेन के भीतर व बाहर, ज़रूरतमन्दों की सहायता के लिये हरसम्भव प्रयास किये जा रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी सहायता अपील के लिये एक अरब 10 करोड़ डॉलर की रक़म का आग्रह किया था, मगर इसकी 36 फ़ीसदी धनराशि का ही प्रबन्ध हो पाया है.
उन्होंने सचेत किया कि रूस और यूक्रेन, विश्व में 30 प्रतिशत गेहूँ के आपूर्तिकर्ता हैं और लड़ाई जारी रहने से विश्व के अन्य क्षेत्रों के लिये इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं.
अति-आवश्यक सामान में क़िल्लत की रोकथाम के लिये, उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने खाद्य, ऊर्जा, व वित्त पोषण पर वैश्विक संकट समूह स्थापित किया है.
देश के भीतर व बाहर विस्थापन
शरणार्थी मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बताया कि यूक्रेन में अब तक 31 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं. दूसरे विश्व युद्ध के बाद, योरोप के लिये यह अब तक का सबसे बड़ा विस्थापन संकट है.
पोलैण्ड, दुनिया में शरणार्थियों की मेज़बानी करने वाले सबसे बड़े केन्द्रों के रूप में उभर रहा है, जहाँ 15 लाख से अधिक लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में पहुँचे हैं.
अनुमान है कि चार लाख 90 हज़ार लोगों ने रोमानिया में शरण ली है, साढ़े तीन लाख लोग मोलदोवा पहुँचे हैं, दो लाख 80 हज़ार लोग जान बचाने के लिये हंगरी और दो लाख 28 हज़ार लोग स्लोवाकिया में हैं.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, 20 लाख लोगों ने जान बचाने के लिये देश के अन्य हिस्सों में शरण ली है. कुल मिलाकर, यूक्रेन की 12 फ़ीसदी आबादी सुरक्षित स्थान पर शरण लेने के लिये मजबूर हुई है.
अवर महासचिव डीकार्लो ने यूक्रेन के बन्दरगाह शहर मारियूपोल में हालात पर विशेष रूप से चिन्ता जताई.
उन्होंने कहा कि वहाँ से जो लोग बचकर नहीं निकल पाए हैं, उनके पास भोजन, जल, बिजली और स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं हैं. शहर की सड़कों में शवों का ढेर लगा हुआ है.
डीकार्लो के अनुसार मारियूपॉल के एक ऐसे थियेटर पर हमला किया जाना, जिसमें विस्थापित आम लोगों ने शरण ले रखी थी, नागरिक प्रतिष्ठानों पर हमलों की सूची में नई कड़ी है.
प्रभावित इलाक़ों में लड़ाई जारी रहने से बचाव अभियान और हालात की समीक्षा में कठिनाइयाँ पेश आ रही हैं.
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि जल और साफ़-सफ़ाई ढाँचे के व्यापक विध्वंस के कारण, देश में स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी सामान की सुलभता गम्भीर रूप से प्रभावित हुई है.
उन्होंने बताया कि यूक्रेन में अब तक, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों पर 43 हमलों की पुष्टि हुई है, जिनमें 12 लोग मारे गए हैं और 34 घायल हुए हैं.
स्वास्थ्य सेवाओं व आपूर्ति में आए व्यवधान से हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज़, एचआईवी और टीबी से पीड़ित मरीज़ों के लिये गम्भीर जोखिम उत्पन्न हो गया है.
उन्होंने आगाह किया है कि विस्थापन, रहन-सहन की ख़राब व्यवस्था और आश्रय स्थलों पर भीड़भाड़ से ख़सरा, न्यूमोनिया और पोलियो जैसी बीमारियों के फैलाव का ख़तरा है.
अनेक लोगों पर युद्ध का अकल्पनीय असर हुआ है और इसके मद्देनज़र, प्रभावितों के लिये मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ व मनोसामाजिक समर्थन सुनिश्चित किये जाने पर बल दिया गया है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमले, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन है.