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यूएन अफ़ग़ान मिशन (UNAMA) की अवधि, एक वर्ष के लिये बढ़ी

अफ़ग़ानिस्तान में बहुत से स्कूलों को, लम्बे समय से चले आ रहे संघर्ष का दंश झेलना पड़ा है.
© UNICEF/Marko Kokic
अफ़ग़ानिस्तान में बहुत से स्कूलों को, लम्बे समय से चले आ रहे संघर्ष का दंश झेलना पड़ा है.

यूएन अफ़ग़ान मिशन (UNAMA) की अवधि, एक वर्ष के लिये बढ़ी

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफ़ग़ानिस्तान में, यूएन विशेष राजनैतिक मिशन की अवधि एक और साल के लिये बढ़ा दी है. ग़ौरतलब है कि अगस्त 2021 में देश की सत्ता पर तालेबान का नियंत्रण होने के सात महीने बाद, सुरक्षा परिषद के इस निर्णय में, अफ़ग़ानिस्तान में राजनैतिक मिशन के लिये अनेक प्राथमिकताएँ निर्धारित की हैं, जिनमें मानवीय सहायता जारी रखने से लेकर, मानवाधिकारों की निगरानी और सम्वाद में मध्यस्थता करना तक शामिल हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में यूएन राजनैतिक मिशन बढ़ाने के प्रस्ताव 2626 (2022) पर, कुल 15 में से 14 सदस्यों ने पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस के प्रतिनिधि ने मतदान में भाग नहीं लिया.

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प्राथमिकता बिन्दु

सुरक्षा परिषद में पारित प्रस्ताव के माध्यम से, अफ़ग़ानिस्तान में यूएन सहायता मिशन (UNAMA) का कार्यकाल एक और साल के लिये बढ़ाते समय, प्राथमिकता कार्यों में कुछ बदलाव किये गए हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में धरातल पर तेज़ी से बदलते हालात के मद्देनज़र, यूएन मिशन मानवीय सहायता उपलब्ध कराने में समन्वय के साथ-साथ, सम्वाद के लिये मध्यस्थता और स्थान उपलब्ध कराएगा, और सुप्रशासन व विधि के शासन को बढ़ावा देगा.

अन्य रेखांकित किये गए कार्यों में – मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देना, लैंगिक समानता को समर्थन व प्रोत्साहन देना और आम लोगों के लिये हालात की जानकारी रखने, व हालात अनुकूल बनाने की हिमायत करना शामिल होगा. 

इस प्रस्ताव में, सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने अफ़ग़ानिस्तान के राजनैतिक पटल से सम्बद्ध तमाम पक्षों, हितधारकों और मौजूदा प्राधिकारियों से, यूएन मिशन के साथ सहयोग करने का भी आहवान किया है, ताकि मिशन अपना शासनादेश (Mandate) लागू करते हुए, सुरक्षा और आवागमन की आज़ादी सुनिश्चित करने के लिये काम कर सके.

समर्थन का ‘स्पष्ट सन्देश’

इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वाली नॉर्वे की राजदूत मोना जूऊल ने प्रस्ताव पारित होने के बाद कहा कि प्रस्ताव के इस प्रारूप से यह स्पष्ट सन्देश जाता है कि सुरक्षा परिषद के सदस्य, अफ़ग़ान लोगों के इन असाधारण चुनौतीपूर्ण व अनिश्चितता से भरे हुए हालात में, उनके साथ मज़बूती से खड़े हैं.

उन्हें कहा कि प्रस्ताव में यूनामा से देश के लोगों से सम्बद्ध व उनके लिये प्रासंगिक तमाम मामलों पर, तालेबान सहित, तमाम अफ़ग़ान पक्षों के साथ सम्पर्क साधने को कहा गया है.

प्रस्ताव के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों और सार्वजनिक जीवन में उनकी भागेदारी को बढ़ावा देने के लिये, मिशन की गतिविधियों को मज़बूती दी गई है.

एक सुर में आवाज़

ब्रिटेन की राजदूत डेम बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि सुरक्षा परिषद ने यूनामा और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में, एक सुर में अपना पैग़ाम दिया है.

हालाँकि उन्होंने सत्ता पर क़ाबिज़ तालेबान शासकों की गतिविधियों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए, ऐसी ख़बरों का भी ज़िक्र किया जिनमें पूर्व सरकार के अधिकारियों पर बदले की कार्रवाई किये जाने और अल्पसंख्यक समूहों व सिविल सोसायटी के सदस्यों पर हमले किये जाने और उनके ख़िलाफ़ प्रताड़ना के मामले सामने आए हैं.

ब्रितानी राजदूत ने कहा, “तालेबान को ये दिखाना होगा कि अतिवादी समूह, अब देश को ख़ुशहाल बनाने के क़ाबिल नहीं बचे हैं.”

उन्होंने खेद प्रकट करते हुए ये भी कहा कि सुरक्षा परिषद के एक सदस्य ने आज के मतदान में भाग नहीं लेने का फ़ैसला ऐसे समय में किया है जब, देश के लोगों को सहारे की बहुत ज़रूरत है.

अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार प्रान्त में, एक दूरदराज़ के इलाक़े में लोग, खाद्य सामग्री के वितरण की प्रतीक्षा में.
© WFP/Sadeq Naseri
अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार प्रान्त में, एक दूरदराज़ के इलाक़े में लोग, खाद्य सामग्री के वितरण की प्रतीक्षा में.

‘यूएन मिशन असम्भव’ से दूरी

रूस के राजदूत वैसिली ए. नेबेन्ज़िया ने अपने देश के रुख़ के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वो प्रस्ताव पर मतदान से बाहर रहने के लिये इसलिये विवश थे क्योंकि मेज़बान देश में यूएन मौजूदगी के बारे में सहमति हासिल करने के प्रयास नज़रअन्दाज़ किये गए.

रूसी राजदूत ने “ज़िद्दी अज्ञानता” और अप्रासंगिक तरीक़े अपनाए जाने के ख़िलाफ़ आगाह करते हुए ज़ोर देकर कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर क़ाबिज़ अधिकारों के और अधिक समर्थन से, यूनामा को अपना शासनादेश (Mandate) पूरा करने में मदद मिलेगी और इसे “यूएन मिशन असम्भव (UN Mission Impossible)” बनने से बचाया जा सकेगा.

एक नया दौर

सुरक्षा परिषद में चीन के राजदूत झांग जून ने कहा कि अगस्त 2021 के घटनाक्रम के बाद, अफ़ग़ानिस्तान, शान्तिपूर्ण पुनर्निर्माण के एक नए दौर में दाख़िल हो चुका है.

उन्होंने इस समय देश के सामने आर्थिक पुनर्बहाली को सर्वाधिक तात्कालिक प्राथमिकता क़रार देते हुए ज़ोर देकर कहा कि यूनामा के लिये भी यही शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिये.

इससे भी ज़्यादा वैश्विक समुदाय को अफ़ग़ानिस्तान के नेतृत्व वाले और उन्हीं के स्वामित्व वाले सिद्धान्तों को मानना चाहिये, सभी रूपों में आतंकवाद का मुक़ाबला करे और आर्थिक विकास पुनर्बहाल करे.

उन्होंने कहा, “हमें इस बारे में अब भी बहुत से सन्देह हैं कि क्या, इस शासनादेश में वर्णित कार्य उचित भी हैं.”

चीन के राजदूत ने साथ ही ये भी रेखांकित किया कि अफ़ग़ानिस्तान में हालात तेज़ी से बदल रहे हैं, इसलिये उन्होंने किसी भी समय शासनादेश में बदलाव करने के लिये ज़रूरी लचीलापन अपनाए जाने का भी आहवान किया.