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यूक्रेन संकट: लगभग हर सैकेण्ड, एक बच्चा शरणार्थी बनने के लिये मजबूर

हज़ारों यूक्रेनी नागरिकों ने पड़ोसी देश पोलैण्ड में शरण ली है.
© WFP/Marco Frattini
हज़ारों यूक्रेनी नागरिकों ने पड़ोसी देश पोलैण्ड में शरण ली है.

यूक्रेन संकट: लगभग हर सैकेण्ड, एक बच्चा शरणार्थी बनने के लिये मजबूर

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय राहत एजेंसियों ने बताया है कि यूक्रेन में मौजूदा घटनाक्रम के मद्देनज़र, लगभग हर एक सैकेण्ड में एक बच्चा, युद्ध की वजह से शरणार्थी बनने के लिये मजबूर है. रूसी हमले की शुरुआत से अब तक यूक्रेन छोड़कर, अन्य देशों में शरण लेने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 30 लाख तक पहुँच गई है. 

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के प्रवक्ता पॉल डिलन ने जिनीवा में बताया कि यूक्रेन से पड़ोसी देशों में पहुँचने वाले वाले लोगों की संख्या, 30 लाख लोगों के आँकड़े को छू चुकी है.

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इनमें से क़रीब एक लाख 57 हज़ार अन्य देशों के नागरिक हैं.

यूक्रेन में हिंसा से जान बचाकर सुरक्षित स्थान पर शरण लेने वालों में 15 लाख बच्चे भी हैं.

24 फ़रवरी को रूसी हमले की शुरुआत से अब तक, यह आँकड़ा प्रति सेकेण्ड एक बच्चे की दर से कुछ कम को दर्शाता है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने कहा, “पिछले 20 दिनों में हर दिन, यूक्रेन में 70 हज़ार से ज़्यादा बच्चे शरणार्थी बन गए हैं.”

“यह प्रति मिनट, देश छोड़कर जाने वाले 55 बच्चे हैं.”

तस्करी की आशंका

यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने बताया कि यूक्रेन छोड़कर जाने वाले हर 10 में से 9 बच्चे व महिलाएँ हैं.

इसके मद्देनज़र, नए, अनजाने माहौल में मानव तस्करों का शिकार बनने के ख़तरे के प्रति आगाह किया गया है.

जेम्स ऐल्डर ने कहा कि क़रीब एक सप्ताह पहले तक, पोलैण्ड-यूक्रेन मुख्य सीमा पर बड़ी संख्या में लोग बसों और मिनी वैन के इर्दगिर्द खड़े हैं और राजधानी शहरों के नाम की आवाज़ लगा रहे हैं और लोग उन बसों में चढ़ रहे हैं. 

उन्होंने सचेत किया कि अधिकाँश लोगों की मदद करने की मंशा है, लेकिन इस बात में सन्देह नहीं है कि योरोप में तस्करी एक गम्भीर मुद्दा बना हुआ है. 

ग़ौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने एक चेतावनी जारी की थी कि आम नागरिकों के विरुद्ध, रूसी सैन्य हमला भयावह रूप लेता जा रहा है

मारियूपॉल में गम्भीर स्थिति

यूक्रेन के मारियूपॉल में मानवीय राहतकर्मियों ने भीषण रूसी बमबारी के बाद हालात के और बिगड़ने की चेतावनी दी है.

बताया गया है कि आवश्यक सामग्री की आपूर्ति के अभाव में लाखों लोग घुटन महसूस कर रहे हैं और रूसी सैन्य बलों की घेराबन्दी के कारण, शहर छोड़कर जाने में भी असमर्थ हैं.

इण्टरनेशनल कमेटी ऑफ़ रैड क्रॉस ने हालात को बेहद गम्भीर व हताशापूर्ण क़रार दिया है. संगठन का कहना है कि लाखों की संख्या में ज़रूरतमन्दों तक मदद नहीं पहुँच पाई है. 

यूक्रेन के लिविफ़ के एक अस्पताल में बीमार बच्चों की देखभाल की जा रही है.
© UNICEF/Viktor Moskaliuk
यूक्रेन के लिविफ़ के एक अस्पताल में बीमार बच्चों की देखभाल की जा रही है.

कुछ वाहन सोमवार को शहर छोड़कर जाने में सफल रहे लेकिन उसमें रैडक्रॉस की कोई भूमिका नहीं थी, और बाहर निकलने वाले लोगों की संख्या, सागर में बून्द के समान है.

यूक्रेन से प्राप्त कुछ रिपोर्टों के अनुसार, परिवारों को जल के लिये बहते पानी को जमा करना पड़ रहा है और खाने-पीने की सामग्री के लिये लड़ाई हुई हैं. 

राहत प्रयासों में तेज़ी

रैडक्रॉस ने रूस और यूक्रेन से मौजूदा संकट का समाधान निकालने का आग्रह किया है, ताकि प्रभावित लोगों तक राहत पहुँचाई जा सके.

हिंसा प्रभावित इलाक़ों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयासों के तहत, रैडक्रॉस ने कहा है कि मंगलवार को पूर्वोत्तर में स्थित सूमी शहर में, 30 बसों के ज़रिये लोगों को बाहर लाने की कोशिश की जाएगी.  

संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहतकर्मी, जहाँ तक सम्भव हो सके, यूक्रेन में ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक मदद पहुँचाने में जुटे हैं. 

यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर के मुताबिक़, अंधाधुंध किये जाने वाले हमलों में बार-बार महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों, विशेष रूप से जल आपूर्ति को निशाना बनाया गया है.