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कोविड-19: महामारी 'अभी ख़त्म नहीं हुई', नए वैरीएण्ट्स का जोखिम बरक़रार  

जापान के टोकयो शहर में, मास्क पहने हुए लोग
© ADB/Richard Atrero de Guzman
जापान के टोकयो शहर में, मास्क पहने हुए लोग

कोविड-19: महामारी 'अभी ख़त्म नहीं हुई', नए वैरीएण्ट्स का जोखिम बरक़रार  

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी के रूप में परिभाषित किये जाने के दो वर्ष पूरे होने से ठीक पहले आगाह किया है कि महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है. कोरोनावायरस के नए रूप व प्रकार (Variants) और वैक्सीन का विषमतापूर्ण वितरण अब भी दुनिया भर के लिये एक बड़ी चुनौती है.

कोविड-19 को, 11 मार्च 2020 को वैश्विक महामारी घोषित किये जाने से लगभग छह सप्ताह पहले, यूएन एजेंसी ने कोरोनावायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति क़रार दिया था.

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उस समय चीन से बाहर अन्य देशों में केवल 100 संक्रमण मामलों की ही पुष्टि हुई थी और किसी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी.   

दो वर्ष बाद, विश्व भर में कोविड-19 के संक्रमण के लगभग 44 करोड़ 83 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 60 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.  

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को कहा, “पुष्ट मामलों और मृतक संख्या में वैश्विक गिरावट आ रही है और अनेक देशों ने पाबन्दियाँ भी हटा ली हैं, मगर वैश्विक महामारी अभी ख़त्म होने से बहुत दूर है.”

“और हर किसी के लिये इसका अन्त तब तक नहीं होगा, जब तक कि हर स्थान पर इसका ख़ात्मा नहीं हो जाता.”

डॉक्टर टैड्रॉस ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए ध्यान दिलाया कि एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के अनेक देशों में फ़िलहाल संक्रमण मामलों व मौतों में वृद्धि हो रही है.

“वायरस में बदलाव का आना जारी है, और जहाँ कहीं भी वैक्सीन वितरण, परीक्षण और उपचार की ज़रूरत है, हम वहाँ बड़े अवरोधों का सामना कर रहे हैं.”

कोविड-19 से उबरने में विषमताएँ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को जारी अपने एक वक्तव्य में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख के आकलन से सहमति जताते हुए आगाह किया है कि वैश्विक महामारी को ख़त्म मान लेना, एक गम्भीर ग़लती होगी.

यूएन प्रमुख ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि वैक्सीन का वितरण अब भी विषमतापूर्ण है.

“विनिर्माता प्रति महीने डेढ़ अरब टीकों का उत्पादन कर रहे हैं, लेकिन तीन अरब लोग अब भी अपने पहले टीके की प्रतीक्षा कर रहे हैं.”

यूएन महाचसिव ने इस विफलता की वजह, नीतिगत व बजट सम्बन्धी उन निर्णयों को क़रार दिया है, जिनमें निर्धन देशों के लोगों की बजाय सम्पन्न देशों के नागरिकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी गई है.

उन्होंने कहा कि यह दुनिया को नैतिक कटघरे में खड़ा करता है. “यह हर देश में और अधिक वैरीएण्ट्स, और अधिक तालाबन्दियों, और ज़्यादा त्याग की भी वजह है.”

महासचिव ने दोहराया कि कोविड-19 महामारी से उबरते समय, दुनिया दो अलग-अलग रास्तों पर चलने का जोखिम मोल नहीं ले सकती है.

एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि अन्य वैश्विक संकटों के बावजूद, विश्व को इस वर्ष के मध्य तक हर देश में 70 फ़ीसदी आबादी के टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करना होगा.

भारत के राजस्थान राज्य में 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग में टीकाकरण.
© UNICEF/Vinay Panjwani
भारत के राजस्थान राज्य में 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग में टीकाकरण.

“विज्ञान और एकजुटता एक ऐसा मिश्रण साबित हुए हैं, जिन्हें हराया नहीं जा सकता है.”

“हमें फिर से स्वयं को सभी व्यक्तियों व देशों के लिये महामारी का अन्त करने के लिये समर्पित होना होगा, और मानव इतिहास के इस दुखद अध्याय को हमेशा के लिये समाप्त करने के लिये.”

नए वैरीएण्ट – डेल्टा और ओमिक्रॉन

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने अनेक देशों में टैस्टिंग में आई तेज़ गिरावट पर चिन्ता जताई है.

“इससे यह देख पाने की हमारी क्षमता बाधित होती है कि वायरस कहाँ है, किस तरह से फैल रहा है, और उसमें कैसे बदलाव आ रहे हैं.”

इस बीच, कोविड-19 के लिये यूएन एजेंसी की तकनीकी प्रमुख मारिया वान कर्कहॉव ने बताया कि दो अलग-अलग वैरीएण्ट से योरोप में उभरे वायरस के नए प्रकार पर नज़र रखी जा रही है.

“यह डेल्टा AY.4 और ओमिक्रॉन BA.1 का मिश्रण है. फ्रांस, नैदरलैण्ड्स और डेनमार्क में इसका पता चला है, मगर यह अभी बेहद निचले स्तर पर है.”

यूएन एजेंसी विशेषज्ञ के अनुसार यह अपेक्षित था, चूँकि ओमिक्रॉन और डेल्टा का फैलाव व्यापक रूप से हुआ है.

उन्होंने दुनिया भर में टैस्टिंग व सीक्वेंसिंग की रफ़्तार बनाए रखने और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय अपनना जारी रखने की अहमियत पर बल दिया है.

डॉक्टर कर्कहॉव ने बताया कि वैज्ञानिकों ने अभी कोविड-19 के इस प्रकार से होने वाली गम्भीरता में कोई बदलाव नहीं देखा है, और विस्तृत अध्ययन जारी है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है. अभी ना सिर्फ़ लोगों के जीवन की रक्षा करने की आवश्यकता है, बल्कि फैलाव में कमी लाने पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा.