वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सीरिया: बढ़ती हिंसा व गहराते मानवीय संकट के बीच, भय वृद्धि

सीरिया का एक विस्थापित परिवार, अल होल शिविर में.
© UNICEF
सीरिया का एक विस्थापित परिवार, अल होल शिविर में.

सीरिया: बढ़ती हिंसा व गहराते मानवीय संकट के बीच, भय वृद्धि

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त शीर्ष मानवाधिकार जाँचकर्ताओं ने सीरिया के विनाशकारी युद्ध के राजनैतिक समाधान के लिये नए सिरे से प्रयास करने का आग्रह किया है, जिसमें हाल के महीनों में हिंसा वृद्धि और मानवीय संकट और ज़्यादा गम्भीर होते देखा गया है.

सीरिया अरब गणराज्य पर स्वतंत्र अन्तरराष्ट्रीय जाँच आयोग के अध्यक्ष पाओलो पिनहेइरो ने जिनीवा में बुधवार को एक वर्चुअल प्रेस वार्ता में, लगभग 11 साल पुराने संघर्ष पर नवीनतम रिपोर्ट पेश करते हुए, समुदायों पर "विनाशकारी" प्रभाव का वर्णन किया. 

Tweet URL

यह जाँच आयोग संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद ने गठित किया था जिसकी ये ताज़ा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.

आधा देश विस्थापित

रिपोर्ट में कहा गया है कि "लाखों लोग मारे गए हैं, युद्ध पूर्व की आबादी के आधे से अधिक यानि लगभग 2 करोड़ 20 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं. एक लाख से ज़्यादा लोग लापता हैं या जबरन ग़ायब हैं. सीरिया के शहर और बुनियादी ढाँचे नष्ट कर दिये गए हैं."

"आज सीरिया में ग़रीबी दर अभूतपूर्व 90 प्रतिशत है; सीरिया में एक करोड़ 46 लाख लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं."

पाओलो पिनहेइरो ने बताया कि सीरिया के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में, अपने घरों से विस्थापित बहुत से लोग "अब भी बर्फ़ीले तम्बू में रह रहे हैं, बर्फ़, बारिश, कीचड़ में फँसे हुए हैं. कुछ तत्व उन तक सहायता पहुँचने से रोकने के लिये अधिक ताक़त लगा रहे हैं, बनिस्बत इसके कि ज़रूरतमन्द लोगों तक सहायता पहुँचना आसान बनाएँ.”

उन्होंने कहा कि हालाँकि सीरिया के कुछ हिस्से अब सक्रिय लड़ाई की चपेट में नहीं हैं, फिर भी बहुत से समुदाय युद्धरत दलों के बीच फँस गए हैं और सशस्त्र गुट उनका शोषण कर रहे हैं. 

रसातल में

उन्होंने आगे कहा, "यह समझने में गलती ना करें कि पश्चिमोत्तर, उत्तर और पूर्वोत्तर इलाक़ों में बमबारी से लेकर, देश भर में, लक्षित हत्याओं, ग़ैरकानूनी हिरासत और यातना तक जैसे मामलों सहित, आम लोगों के ख़िलाफ हिंसा जारी है ... ये एक ऐसा रसातल है जिसका सामना सीरियाई लोगों को करना पड़ रहा है."

रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से दिसम्बर 2021 की अवधि में, देश के पश्चिमोत्तर क्षेत्रों में बमबारी में वृद्धि हुई और पूर्वोत्तर इलाक़े में तुर्की समर्थित सीरियाई नेशनल आर्मी (SNA) व सीरियाई लोकतांत्रित बलों के बीच झड़पें हुईं.

आयोग ने "संघर्ष में शामिल विभिन्न पक्षों द्वारा मौलिक मानवाधिकारों और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के गंभीर उल्लंघन" मामलों का लेखा-जोखा दर्ज किया है जिनमें युद्धापराध और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के मामले भी शामिल हैं.

"पश्चिमोत्तर इलाक़े में इदलिब और पश्चिमी क्षेत्र अलेप्पो में, आवासीय क्षेत्रों में भी सरकार समर्थक बलों ने ज़मीनी अन्धाधुन्ध गोलाबारी की."

यूक्रेन खाद्य आयात कारक

आयोग के एक सदस्य आयुक्त हानी मेगैली ने कहा कि सीरिया जाँच आयोग की पिछली रिपोर्ट्स में, लड़ाई और असुरक्षा के कारण पूरे सीरिया में बिगड़ती मानवीय स्थिति के बारे में चेतावनी दी गई है, लेकिन 24 फ़रवरी को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने इस चिन्ता को बढ़ा दिया है कि महत्वपूर्ण गेहूं आयात अब प्रभावित हो सकता है. 

उन्होंने कहा, "हमने इस साल के शुरू में पहले से ही मुद्रास्फीति को 140 प्रतिशत वृद्धि पर देखा और अब इसमें और ज़्यादा वृद्धि हुई है.

“हम देख रहे हैं कि सरकार ने पहले से ही खाद्य सामग्री पर सीमितताएँ लागू कर दी हैं. हम ज़रूरी चीज़ों और ईंधन की क़ीमतों में वृद्धि देख रहे हैं ... सीरिया में आयात किये जाने वाले गेहूँ का बड़ा हिस्सा यूक्रेन या रूस से आता है, इसलिये हम बहुत चिन्तित हैं कि यूक्रेन में युद्ध का सीरिया पर बुरा प्रभाव पड़ेगा."

सीरिया के उत्तरी हिस्से में, अल होल शिविर में, यूनीसेफ़ द्वारा वितरित, सर्दियों के कपड़ों का गट्ठर ले जाते हुए एक बच्ची.
© UNICEF/Delil Souleiman
सीरिया के उत्तरी हिस्से में, अल होल शिविर में, यूनीसेफ़ द्वारा वितरित, सर्दियों के कपड़ों का गट्ठर ले जाते हुए एक बच्ची.

प्रतिबन्धों पर हो पुनर्विचार

सीरिया "पतन की ओर बढ़ रहा है" इस वक्तव्य के साथ, आयुक्तों ने सीरिया पर लगाए गए प्रतिबन्धों की समीक्षा करने का आग्रह किया.

आयुक्त हानी मेगैली ने कहा कि प्रतिबन्धों से... मानवीय सहायता की उपलब्धता आसान होनी चाहिये, लेकिन दरअसल, वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है. 

उन्होंने आगाह करते हुए बताया कि अनेक देश प्रतिबन्धों को तोड़ने से इतने भयभीत थे कि वे प्रतिबन्धों का "अति-अनुपालन" करते रहे हैं, जिससे सीरियाई समुदायों को आवश्यक वस्तुओं के अभाव में छोड़ दिया गया है.

पाओलो पिनहेइरो ने कहा कि जाँच आयोग की नवीनतम रिपोर्ट के निष्कर्षों में "पश्चिमोत्तर इलाक़ों में सीरियाई व रूसी सेनाओं द्वारा" किये गये 14 हमलों के मामले भी शामिल किये गए हैं. 

“पिछले कुछ महीनों के दौरान बहुत से बच्चे मारे गए हैं जिनमें कुछ ऐसे भी थे जिनकी मौत स्कूल जाने के रास्तों पर हुई; और जबाल अल ज़ाविया में अन्तिम चिकित्सा केन्द्र भी निष्क्रिय बेकार हो गया है.”

अल-होल शिविर में सड़न भरे हालात

सीरिया के पूर्वोत्तर में पूर्व आईएसआईएल लड़ाकों के परिवार माने जाने वाले हज़ारों महिलाओं और बच्चों को अल होल शिविर में नजरबन्द हालात में रखने जाने पर भी लम्बे समय से चिन्ता बनी हुई है.

आयुक्त लिन वैल्शमैन ने सीरिया के पूर्वोत्तर में इस कुख्यात शिविर परिसर के हालात के बारे में कहा कि अल होल शिविर में स्थितियाँ बिल्कुल भयावह हैं, और वहाँ रखे गए बच्चों और अन्य लोगों को जिनमें ज़्यादातर संख्या महिलाओं की है, उन्हें वहाँ क़ैदियों जैसै हालात में रखा गया है.

“यह एक भयानक स्थिति है, मानवीय दृष्टि व सुरक्षा के लिहाज़ से; और जो कुछ हो रहा है, यह उन चीज़ों में से एक है जिनके बारे में हम सबसे ज़्यादा चिन्तित हैं... कुछ मामलों में, कम से कम कुछ अन्य देश इस समस्या का कोई समाधान निकाल सकते हैं -  अपने नागरिकों को और उनके बच्चों को वापिस लेकर.

जाँच आयोग ने बार-बार संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से उन नागरिकों को वापस लेने का आहवान किया है जो सीरियाई संघर्ष में भाग लेने गए थे.

आयोग के अनुसार, “शिविर में रहने वालों के घायल होने, मारे जाने या तस्करी किये जाने का लगातार ख़तरा बना हुआ है. पिछले एक साल में अकेले अल होल शिविर में 90 से अधिक लोगों की हत्याएँ, और 40 हत्या प्रयास हुए हैं. 

आयोग के अध्यक्ष ने कहा, "हम सदस्य देशों से, अपनी नागरिक महिलाओं और बच्चों को सीरिया के शिविरों से अपने यहाँ वापिस बुलाने की अपनी पुकार दोहराते हैं."