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सुरक्षित गर्भपात के लिये नए दिशानिर्देश, महिलाओं व लड़कियों के स्वास्थ्य के लिये अहम

गर्भपात सम्बन्धी पाबन्दियाँ, महिलाओं व लड़कियों को असुरक्षित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के लिये मजबूर कर सकती हैं.
© WHO
गर्भपात सम्बन्धी पाबन्दियाँ, महिलाओं व लड़कियों को असुरक्षित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के लिये मजबूर कर सकती हैं.

सुरक्षित गर्भपात के लिये नए दिशानिर्देश, महिलाओं व लड़कियों के स्वास्थ्य के लिये अहम

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने महिलाओं व लड़कियों के स्वास्थ्य की रक्षा सुनिश्चित किये जाने के इरादे से गर्भपात देखभाल के लिये नए दिशानिर्देश जारी किये हैं. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बुधवार को कहा है कि इन दिशानिर्देशों की मदद से विश्व भर में हर वर्ष असुरक्षित गर्भपात के ढाई करोड़ मामलों की रोकथाम की जा सकेगी.

एक अनुमान के अनुसार, असुरक्षित गर्भपात के तौर-तरीक़ अपनाए जाने के कारण, प्रति वर्ष 39 हज़ार मौतें होती हैं और जटिलताओं के कारण लाखों महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है.

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इनमें से अधिकतर मौतें निम्न आय वाले देशों में, सबसे नाज़ुक हालात में रहने वाले समुदायों में होती हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत अफ़्रीका में और 30 प्रतिशत मामले एशिया से हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में यौन व प्रजनन स्वास्थ्य मामलों एवं शोध के लिये कार्यकारी निदेशक क्रेग लिस्सनेर ने बताया कि, “सुरक्षित गर्भपात करने में सक्षम होना, स्वास्थ्य देखभाल का एक अहम हिस्सा है.”

“असुरक्षित गर्भपात के कारण होने वाली क़रीब हर मौत और घाव को पूरी तरह टाला जा सकता है. इसलिये हमारी अनुशंसा है कि महिलाएँ व लड़कियाँ, गर्भपात व परिवार नियोजन सेवाएँ ज़रूरत के समय में प्राप्त कर सकें.”

संगठन द्वारा जारी दिशानिर्देशों में 50 से अधिक सिफ़ारिशें पेश की गई हैं जोकि नवीनतम वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं.

इनमें गुणवत्ता गर्भपात देखभाल सेवाओं को समर्थन के लिये, क्लीनिक में अपनाए जाने वाले तौर-तरीक़ों, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, क़ानून व नीतिगत उपाय शामिल किये गए हैं.

यूएन एजेंसी का कहना है कि जब संगठन की सिफ़ारिशों के अनुरूप ज़रूरी कौशल को ध्यान में रखते हुए तौर-तरीक़ों के इस्तेमाल से, गर्भावस्था की अवधि के नज़रिये से उपयुक्त समय पर गर्भपात किया जाता है, तो यह एक सरल व बेहद सुरक्षित प्रक्रिया है.

व्यक्ति केन्द्रित, गुणवत्तापरक सेवा

इन दिशानिर्देशों में प्राथमिक देखभाल के स्तर पर अनेक सरल उपाय भी हैं, जिनसे महिलाओं व लड़कियों के लिये गर्भपात देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है.

इनमें भिन्न-भिन्न ज़िम्मेदारियाँ निभाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों में कार्य वितरण; गर्भनिरोधक गोलियों की सुलभता; और सटीक जानकारी की उपलब्धता समेत अन्य हस्तक्षेप हैं.

यह पहली बार है, जब आवश्यकता अनुरूप टैली-मेडिसिन सेवाओं के इस्तेमाल की भी बात कही गई है, जिसके ज़रिये कोविड-19 महामारी के दौरान गर्भपात व परिवार नियोजन सेवाओं की सुलभता सम्भव हुई है.

इन उपायों के साथ-साथ, यूएन एजेंसी ने ऐसे अनावश्यक नीतिगत अवरोधों को भी दूर करने पर बल दिया है, जिनसे सुरक्षित गर्भपात में मुश्किलें होती हैं.

उदाहरणस्वरूप, आपराधिकरण, अनिवार्य प्रतीक्षा समय, अन्य लोगों या संस्थाओं से ज़रूरी अनुमति (संगी, पारिवारिक सदस्य) या फिर गर्भावस्था की अवधि के दौरान गर्भपात किये जाने की सीमितता.

विशेषज्ञों का कहना है कि इन अवरोधों के कारण महिलाओं व लड़कियों के लिये असुरक्षित गर्भपात व जटिलताओं का ख़तरा बढ़ जाता है, उपचार में देरी हो सकती है और शिक्षा व कार्य क्षमता में भी व्यवधान आ सकता है.

बताया गया है कि अधिकतर देशों में विशिष्ट परिस्थितियों में ही गर्भपात कराए जाने की अनुमति दी जाती है. क़रीब 20 देशों में गर्भपात के लिये कोई क़ानूनी आधार उपलब्ध नहीं है.

पाबन्दियों की जटिलताएँ

असुरक्षित गर्भपात के तौर-तरीक़ों को अपनाये जाने के कारण, प्रति वर्ष 39 हज़ार मौतें होती हैं.
UNICEF/Giuseppe Imperato
असुरक्षित गर्भपात के तौर-तरीक़ों को अपनाये जाने के कारण, प्रति वर्ष 39 हज़ार मौतें होती हैं.

कुछ देशों में गर्भपात के लिये क़ानूनी दण्ड का प्रावधान है, जिसके तहत कारावास की सज़ा से लेकर जुर्माना तक भरना पड़ सकता है.

तथ्य दर्शाते हैं कि गर्भपात की सुलभता पर पाबन्दी से गर्भपातों की संख्या में कोई गिरावट नहीं आती है.

वास्तविकता में, ऐसी पाबन्दियाँ महिलाओं व लड़कियों को असुरक्षित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल करने के लिये मजबूर कर सकती हैं.

जिन देशों में गर्भपात पर सबसे अधिक पाबन्दियाँ हैं, वहाँ हर चार में से केवल एक गर्भपात ही सुरक्षित है, जबकि मोटे तौर पर क़ानूनी अनुमति प्रदान करने वाले देशों में यह आँकड़ा हर 10 में से 9 है.

यूएन एजेंसी के मुताबिक़, गर्भपात देखभाल के ज़रिये महिलाओं व लड़कियों के निर्णयों व आवश्यकताओं का सम्मान और यह सुनिश्चित किया जाना अहम है कि उनके साथ गरिमापूर्ण बर्ताव किया जाए.

साथ ही यह भी ध्यान रखा जाना होगा कि किसी को पुलिस या जेल तक इसलिये ना पहुँचाया जाए, चूँकि उसने गर्भपात देखभाल सेवा प्राप्त या प्रदान की है.