वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां
यौन शोषण के लिये बच्चों की तस्करी करने वाले एक आपराधिक गुट की गतिविधियों की जाँच में एकत्र कुछ सबूत.

मानव तस्करों को सज़ा दिलाने के लिये सबूत जुटाना अहम

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यौन शोषण के लिये बच्चों की तस्करी करने वाले एक आपराधिक गुट की गतिविधियों की जाँच में एकत्र कुछ सबूत.

मानव तस्करों को सज़ा दिलाने के लिये सबूत जुटाना अहम

क़ानून और अपराध रोकथाम

शरीर पर "दास" गोदना (tattoos), बिजली के झटके देने वाले उपकरण और प्लास्टिक के कंगन. यह मानव तस्करों द्वारा पीड़ितों को नियंत्रित करने, प्रताड़ित करने और उन्हें चिह्नित करने के लिये इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं और शारीरिक शोषण के वो उदाहरण व सबूत हैं, जो मानव तस्करी के दोषियों को सज़ा दिलाने के लिये महत्वपूर्ण होते हैं.

अर्जेण्टीना एक शराबख़ाने में, महिलाओं द्वारा पहने प्लास्टिक के कंगन, दरअसल उन पुरुषों की संख्या दर्शाते थे, जिनके साथ उन्हें यौन सम्बन्ध बनाने के लिये मजबूर होना पड़ा था.

थाईलैण्ड में, म्याँमार के पुरुषों और बच्चों का मत्सय-पालन उद्योग में शोषण किया जाता था: अगर वो काम करने से इनकार करते थे, तो उन्हें बिजली के झटके दिये जाते थे.

और अमेरिका में एक महिला के टख़ने पर "दास" शब्द के चीनी प्रतीक का गुदना किया गया था.

एक जटिल अपराध

बाद में इन युक्तियों को, अदालत में अपराधियों के ख़िलाफ़ सबूत के रूप में इस्तेमाल किया गया, जिससे मानव तस्करों को दोषी ठहराने में मदद मिली – ख़ासतौर पर, इस तरह के जटिल अपराधों में, जिन्हें साबित करना मुश्किल होता है.

विश्व के सभी क्षेत्रों में मानव-तस्करी के फैले होने के बावजूद, अवैध व्यापार करने वालों के विरुद्ध अभियोजन और दोषसिद्धि बहुत निम्न स्तर पर है.

संयुक्त राष्ट्र के नशीले पदार्थ और अपराध निरोधक कार्यालय (UNODC) के आपराधिक न्याय विशेषज्ञ, डावर राउस कहते हैं, "मुख्य चुनौतियों में से एक है - पर्याप्त और स्वीकार्य साक्ष्य की समय पर उपलब्धि."

"इसे जुटाने के लिये अलग तरह के कौशल की आवश्यकता होती है. हम पुलिस अधिकारियों व जाँचकर्ताओं को ऐसे क़ानूनी सबूत इकट्ठा करने के लिये प्रशिक्षित करते हैं, जो साबित कर सकें कि मानव तस्करी का अपराध किया गया है."

वर्तमान में, मानव तस्करी के मामलों की जाँच और मुक़दमा चलाते समय आपराधिक न्याय प्रणाली, ज़्यादातर पीड़ितों की मौखिक या लिखित गवाही पर निर्भर करती है.

हालाँकि, यूएनओडीसी के मानव तस्करी और प्रवासी तस्करी अनुभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे बयान प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है, और इसमें अक्सर तस्कर के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाने के लिये पर्याप्त विश्वसनीयता नहीं होती.
 
मानव-तस्करी पर नवीनतम यूएनओडीसी की वैश्विक रिपोर्ट के आँकड़ों से पता चला है कि 2018 में 135 देशों में लगभग 50 हज़ार मानव तस्करी के पीड़ितों का पता चला था, लेकिन 88 देशों में केवल साढ़े तीन हज़ार को सजा होने की जानकारी मिली.

कुछ देश पीड़ितों को आवश्यक सुरक्षा नहीं प्रदान कर पाते हैं, इसलिये वे कानून प्रवर्तन में सहयोग करने से हिचकते हैं.

अन्य लोग डरते हैं कि उनके अवैध तस्कर, उन्हें या उनके परिवारों को नुक़सान पहुँचाएंगे, या फिर पूछताछ करने वाले अधिकारियों पर भरोसा नहीं कर पाते.

कुछ मामलों में पीड़ित तस्करों से सम्बन्धित होते हैं, उनके प्रति प्रेम या वफ़ादारी की भावना महसूस करते हैं, या उन्हें एक तय कहानी बताने के लिये सिखाया गया होता है.

मानव तस्करी मामलों की वकील और अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञ राहेल गेर्शुनी कहती हैं, "ज़्यादातर मामलों में पीड़ित की गवाही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि अवैध तस्करी का शिकार पीड़ित ही, इस बारे में पूरा सन्दर्भ प्रदान कर सकते हैं." 

घरेलू बन्धुआ मज़दूरी में शोषण के लिये, तस्करी किये गए लोगों के ख़िलाफ़ प्रयोग की गई एक पिस्तौल.
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घरेलू बन्धुआ मज़दूरी में शोषण के लिये, तस्करी किये गए लोगों के ख़िलाफ़ प्रयोग की गई एक पिस्तौल.

कहानी की परतें

वो कहती हैं. "हालाँकि, पीड़ित की गवाही की विशिष्ट कमज़ोरियों को देखते हुए, अन्य प्रकार के साक्ष्य एकत्र करके, सभी को मिलाकर उनका मूल्याँकन करना आवश्यक है, जिससे मामला केवल पीड़ित के बयान तक ही सीमित न रह जाए."

राहेल गेर्शुनी ने मानव तस्करी के ममलों पर, यूएनओडीसी के ग्लोबल डाइजेस्ट ऑन एविडेन्शियल इश्यूज़ (Global Digest on Evidential Issues in Trafficking in Persons Cases) का मसौदा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई है.

वो कहती हैं कि पीड़ित अक्सर एक-एक परत उतारकर "प्याज को छीलने की तरह" खण्डों में अपनी कहानी सुनाते हैं, जो विरोधाभासों व विसंगतियों से भरी होती हैं और कई बार देर से सामने आती हैं.

वो कहती हैं, “इससे यह आभास हो सकता है कि पीड़ित विश्वसनीय नहीं है. हालाँकि इस व्यवहार को पीड़ित की सम्वेदनशीलता और उनके द्वारा अनुभव किये गए आघात से समझाया जा सकता है.”

सम्वेदनशीलता के अन्तर्गत, पीड़ित की कम उम्र, अपरिचित वातावरण या प्रभावी ढंग से बातचीत करने में असमर्थता शामिल हो सकती है.

साथ ही, तस्करी के दौरान यातना के कारण पीड़ितों की स्मृति में कमी हो सकती है, और यदि उन्हें अदालत में अपने तस्करों का सामना करने की आवश्यकता होती है, तो वे सच बोलने में डर या भय महसूस कर सकते हैं.

राहेल गेर्शुनी कहती हैं, "इसलिये, यह आवश्यक है कि अदालत तस्करी प्रक्रिया से पहले, उसके दौरान व बाद में, पीड़ित के अनुभवों पर विचार करे कि इससे उनके बयान कैसे प्रभावित हो सकते हैं." 

दारफ़ूर के एक व्यक्ति अब्दुल को, लीबिया में रहने और करने के लिये विवश किया गया. अब उसने शरण मांगी है.
© UNICEF/Juan Haro
दारफ़ूर के एक व्यक्ति अब्दुल को, लीबिया में रहने और करने के लिये विवश किया गया. अब उसने शरण मांगी है.

जैविक निशान

यूएनओडीसी की कार्यशालाओं के दौरान, प्रतिभागी उन विभिन्न प्रकार के सबूतों के बारे में सीखते हैं, जिनका उपयोग अवैध तस्करी के मामलों में किया जा सकता है.

इसमें जैविक चिह्न भी शामिल होते हैं, जैसेकि रक्त के धब्बे, लार के नमूने या वीर्य, और त्वचा, नाखून, दाँत, हड्डी व बालों से ऊतक के नमूने, जिनका विश्लेषण फ़ोरैन्सिक वैज्ञानिक कर सकते हैं.

संदिग्धों के कब्ज़े से या अपराध स्थल से मिलने वाला धन, मोबाइल फोन, कॉन्डोम और सैक्स खिलौने जैसी वस्तुएँ भी शोषण का सबूत दे सकती हैं.

यूएनओडीसी के डावर राउस कहते हैं, "एक मामला था जिसमें हंगरी का एक तस्कर स्लोवाकिया के तीन विकलांग पुरुषों को बेल्जियम लाया था. वो उनसे एक सुपरमार्केट के बाहर, जबरन भीख मंगवाता था और उससे मिलने वाली सारी धनराशि उनसे छीन लेता था.”

"इसमें प्रतिवादी की कार में मिली वस्तुओं के ज़रिये दोष साबित हुआ, जहाँ पीड़ित सोते थे – जैसेकि तकिये, बड़ी मात्रा में सिक्के और फ्रेंच भाषा में लिखे ‘भीख मांगने के बैनर."

जंज़ीरें, ताले और ऊँची बाड़ों की तस्वीरें या वीडियो भी पीड़ितों के रहने की स्थिति या शोषक परिसर में उनकी उपस्थिति के बयानों की पुष्टि करने में सहायक हो सकते हैं.

ऑस्ट्रेलिया में एक मामले में, यौन शोषण के शिकार लोगों के, सोने के कमरे के एक वीडियो में कोई फर्नीचर नहीं दिख रहा है, जिससे अभियोजन पक्ष की इस बात की पुष्टि होती थी कि पीड़ितों को ग़ुलामी के हालात में रखा गया था.

डावर राउस कहते हैं, "यह महत्वपूर्ण है कि क़ानून प्रवर्तन अधिकारी, न केवल महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र करने के तरीक़ों को समझें, बल्कि यह भी जानें कि उन्हें कैसे सम्भाला जाए. इसलिये, इस पहलू को हमारे प्रशिक्षण सत्रों में भी शामिल किया गया है." 

उन्होंने बताया, "यदि साक्ष्य एकत्र, संरक्षित और राष्ट्रीय मानकों के अनुसार प्रस्तुत नहीं किये जाते हैं तो इसे अदालत ख़ारिज कर सकती है. इससे तस्कर के ख़िलाफ़ मामला ख़त्म तक हो सकता है. तो यहाँ इतना-कुछ दाँव पर लगा है.”