यूक्रेन: परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर रूसी हमला, मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में चर्चा

राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों की यूएन प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने शुक्रवार को यूक्रेन संकट पर सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक के दौरान बताया है कि यूक्रेन के सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र में, बीती रात कथित भारी लड़ाई अस्वीकार्य है और ये बेहद ग़ैरज़िम्मेदाराना हरकत भी है.
रोज़मैरी डी कार्लो साथ ही सदस्य देशों को भरोसा भी दिलाया कि रैडियेशन स्तर सामान्य हैं और परमाणु ऊर्जा की शीतलन प्रणाली प्रभावित नहीं हुई.
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों की अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि किसी सम्भावित त्रासद परमाणु दुर्घटना को होने से रोकने के लिये हर सम्भव प्रयास करने की ज़रूरत है.
Attacks on nuclear facilities are contrary to international humanitarian law. And what we are witnessing in #Ukraine is inconsistent with the principles of the @UN Charter. The fighting must stop immediately. https://t.co/HO3T30ioLo
DicarloRosemary
उनकी इस पुकार को, अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी )IAEA) के महानिदेशक राफ़ाएल मारियानो ग्रॉस्सी ने समर्थन दिया, जिन्होंने यूक्रेन में परमाणु सुविधाओं में सुरक्षा व चौकसी सुनिश्चित करने के लिये, त्वरित तैनाती की भी पेशकश की.
ध्यान रहे कि बीते सप्ताह भी सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में, यूक्रेन पर रूसी सैन्य कार्रवाई की निन्दा करने वाले एक प्रस्ताव का मसौदा, रूस के वीटो के कारण पारित नहीं हुआ था.
उसके लगभग एक सप्ताह बाद, शुक्रवार को रोज़मैरी डीकार्लो ने एक और आपात बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन में अनेक शहरों पर रूसी सेनाओं के भारी हमले जारी हैं और 10 लाख से भी ज़्यादा लोग पहले ही देश की सीमाएँ पार करके पड़ोसी देशों में पहुँच चुके हैं.
यूक्रेन में मौजूद लोगों को भारी बमबारी और गोलाबारी का सामना पड़ रहा है और हज़ारों लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं, और ये संख्या लगातार बढ़ रही है.
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र, यूक्रेन में इस संकट का सामना करने के लिये अपनी गतिविधियों का दायरा बढ़ा रहा है.
यूएन राजनैतिक प्रमुख ने बीते कुछ घण्टों की कार्रवाइयों को अस्वीकार्य और बेहद ग़ैर-ज़िम्मेदाराना क़रार देते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा ठिकानों पर हमले, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के विरुद्ध हैं, विशेष रूप से जिनीवा कन्वेन्शन के अतिरिक्त प्रोटोकोल-1 के अनुच्छेद 56 के विरुद्ध.
“1986 में हुई चैर्नोबिल दुर्घटना, आज भी ये याद दिलाने के लिए एक सजीव उदाहरण है कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना कितना अहम व ज़रूरी है जिसके लिये उच्च दर्जे के सुरक्षा मानक अपनाया जाना बेहद ज़रूरी है.”
अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी – IAEA के महानिदेशक रफ़ाएल मारियानो ग्रॉस्सी ने, ईरान की राजधानी तेहरान के सफ़र पर जाते हुए, विमान से ही सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए बताया कि रूस ने इस एजेंसी को कुछ दिन पहले सूचित किया था कि उसकी सेनाएँ झैपरोझिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के इलाक़े में पहुँचने वाली थीं.
वहाँ रूसी सेनाओं का विरोध यूक्रेन के आम लोगों ने किया, मगर बाद में संयंत्र के नज़दीक एक इमारत को एक मिसाइल का निशाना बनाया गया, जिससे आग भड़क उठी, जिस पर क़ाबू पा लिया गया है.
किसी भी सुरक्षा प्रणाली को कोई नुक़सान नहीं पहुँचा है और ना ही कोई परमाणु रिएक्टर प्रभावित हुआ है.
उन्होंने कहा कि वैसे तो इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र की तमाम गतिविधियाँ सामान्य रूप से जारी है, मगर ये भी ज़ोर दिया कि इस स्थिति को सामान्य नहीं कहा जा सकता, जब उस परमाणु स्थल का नियंत्रण सैन्य ताक़तों के हाथों में है.
उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि इस पृष्ठभूमि में, परमाणु ऊर्जा एजेंसी, जल्द से जल्द यूक्रेन के लिये रवाना होने के लिये तैयार है, जिस दौरान ये सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी कि तमाम परमाणु सुविधाओं में सुरक्षा व चौकसी के अनिवार्य मानक पुनर्स्थापित किये जाएँ.
उन्होंने स्पष्ट किया कि ये मिशन केवल परमाणु सुरक्षा और चौकसी तक ही सीमित रहेगा और इसका कोई भी सम्बन्ध किसी राजनैतिक या कूटनैतिक गतिविधियों से नहीं होगा, जोकि सुरक्षा परिषद के अधिकार क्षेत्र का विषय है.