प्लास्टिक प्रदूषण की विभीषिका को ख़त्म करने के लिये, ऐतिहासिक प्रस्ताव अनुमोदित

केनया के नैरोबी शहर में एक कामगार, रीसायकलिंग के लिये प्लास्टिक की छँटाई करते हुए.
© UNEP
केनया के नैरोबी शहर में एक कामगार, रीसायकलिंग के लिये प्लास्टिक की छँटाई करते हुए.

प्लास्टिक प्रदूषण की विभीषिका को ख़त्म करने के लिये, ऐतिहासिक प्रस्ताव अनुमोदित

जलवायु और पर्यावरण

केनया की राजधानी नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण ऐसेम्बली में बुधवार को, 175 देशों के राष्ट्राध्यक्षों, पर्यावरण मंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों ने, प्लास्टिक प्रदूषण का ख़ात्मा करने के लिये एक ऐतिहासिक प्रस्ताव का अनुमोदन किया है, जिसके ज़रिये वर्ष 2024 के अन्त तक, एक क़ानूनी रूप से बाध्य अन्तरराष्ट्रीय समझौता वजूद में आएगा.

इस ऐतिहासिक समझौते में, प्लास्टिक के जीवन काल के पूर्ण चक्र यानि इसके उत्पादन, डिज़ायन और निस्तारण तक के चरणों से निपटने की बात की गई है.

‘समाधान के’ रास्ते पर

यूएन पर्यावरण ऐसेम्बली (UNEA-5) के अध्यक्ष ऐस्पेन बार्थ ऐडी ने इस अवसर पर कहा, “भू-राजनैतिक उथल-पुथल के बीच, इस ऐसेम्बली ने सर्वश्रेष्ठ बहुपक्षीय सहयोग का प्रदर्शन किया है.”

“प्लास्टिक प्रदूषण एक महामारी का रूप ले चुका है. आज के इस प्रस्ताव के ज़रिये, हम आधिकारिक रूप में समाधान के रास्ते पर हैं.”

ऐस्पेन बार्थ ऐडी नॉर्वे के जलवायु व पर्यावरण मंत्री भी हैं. 

विभिन्न देशों से प्राप्त प्रारम्भिक तीन प्रारूपों पर आधारित इस प्रस्ताव के माध्यम से एक अन्तर-सरकारी वार्ता समिति (INC) गठित की गई है जो अपना काम इसी वर्ष शुरू करेगी, और उसका उद्देश्य, क़ानूनी रूप से बाध्य एक समझौते का प्रारूप वर्ष 2024 के अन्त तक तैयार करना है.

यूएन पर्यावरण ऐसेम्बली (unea) के अध्यक्ष ऐस्पेन बार्थ एडी (दाएँ) और यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशिका इन्गेर ऐण्डर्सन, 2 मार्च को प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद, प्रसन्नता के साथ.
UNEP/Cyril Villemain
यूएन पर्यावरण ऐसेम्बली (unea) के अध्यक्ष ऐस्पेन बार्थ एडी (दाएँ) और यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की कार्यकारी निदेशिका इन्गेर ऐण्डर्सन, 2 मार्च को प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद, प्रसन्नता के साथ.

इस प्रारूप के एक क़ानूनी रूप से बाध्य दस्तावेज़ का रूप लेने की अपेक्षा है जो प्लास्टिक के पूर्ण जीवन काल, पुनर्प्रयोग वाले प्लास्टिक के डिज़ायन और रीसायकलिंग वाले उत्पादों व पदार्थों से निपटने के विभिन्न विकल्प दर्शाएगा.

इस प्रारूप में, टैक्नॉलॉजी की सर्वसुलभता और इस क्रान्तिकारी योजना को यथार्थ रूप देने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया जाएगा.

यूएन पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने कहा है कि अन्तर-सरकारी वार्ता समिति (INC) के पहले सत्र के साथ-साथ, इस वर्ष के अन्त में एक फ़ोरम आयोजित किया जाएगा, जिसमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ज्ञान व सर्वश्रेष्ठ क्रियान्वयन उदाहरणों की जानकारी साझा किये जाएंगे.

‘पृथ्वी ग्रह की विजय’

यूएन पर्यावरण कार्यक्रम – UNEP (यूनेप) की कार्यकारी निदेशिका इन्गेर ऐण्डर्सन का कहना है, “एकल प्रयोग वाले प्लास्टिक के मुद्दे पर आज, पृथ्वी ग्रह की विजय का दिन है. पेरिस जलवायु समझौते के बाद ये, पर्यावरण मुद्दे पर सबसे महत्वपूर्ण बहुपक्षीय समझौता है. ये समझौता इस पीढ़ी और भविष्य की पीढ़ियों क लिये, एक बीमा पॉलिसी है ताकि वो प्लास्टिक की मौजूदगी के साथ ही अपना जीवन जी सकें और इसकी भेंट ना चढ़ें.” 

समस्या का आकार

केनया के नैरोबी शहर में, प्लास्टिक का कूड़ा भण्डार जहाँ, ज़्यादातर कचरा, प्लास्टिक है.
© UNEP
केनया के नैरोबी शहर में, प्लास्टिक का कूड़ा भण्डार जहाँ, ज़्यादातर कचरा, प्लास्टिक है.

यूनेप के अनुसार, वर्ष 1950 में दुनिया भर में प्लास्टिक प्रदूषण का आकार 20 लाख टन था जो वर्ष 2017 में बढ़कर 34 करोड़ 80 लाख टन हो गया, और इस तरह ये लगभग 522 अरब 60 करोड़ डॉलर के मूल्य का वैश्विक उद्योग बना हुआ है. 

वर्ष 2040 तक, इसकी क्षमता बढ़कर दोगुनी होने का अनुमान है.

यूएन पर्यावरण एजेंसी का कहना है कि पृथ्वी के तिहरे संकटों – जलवायु परिवर्तन, प्रकृति हानि और प्रदूषण में, प्लास्टिक उत्पादन व प्रदूषण के विनाशकारी प्रभाव हैं, जिनमें मानव स्वास्थ्य को नुक़सान पहुँचाने वाले कारक शामिल हैं.

उनमें प्रजनन क्षमता पर प्रभावों के साथ-साथ, हार्मोनल व न्यूरोलॉजिकल प्रभाव भी शामिल हैं, जबकि खुले स्थानों में प्लास्टिक को जलाए जाने से वायु प्रदूषण भी फैलता है.

प्लास्टिक प्रदूषण से 800 से भी ज़्यादा समुद्री व तटीय क्षेत्रों में रहने वाली प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं क्योंकि वो प्लास्टिक सेवन, उसमें उलझ जाने, और अन्य तरह के ख़तरों का सामना करती हैं. 

जबकि हर साल लगभग एक करोड़ 10 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा-कचरा , समुद्रों में बहा दिया जाता है. वर्ष 2040 तक इसके तिगुना हो जाने का अनुमान है.