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यूक्रेन: 'रूसी आक्रामकता' पर रोक की पुकार, महासभा में प्रस्ताव पारित

यूएन महासभा में यूक्रेन संकट के मद्देनज़र आपात विशेष सत्र बुलाया गया.
UN Photo/Evan Schneider
यूएन महासभा में यूक्रेन संकट के मद्देनज़र आपात विशेष सत्र बुलाया गया.

यूक्रेन: 'रूसी आक्रामकता' पर रोक की पुकार, महासभा में प्रस्ताव पारित

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन संकट की पृष्ठभूमि में बुलाए गए अपने आपात विशेष सत्र के दौरान, यूक्रेन में रूस के तथाकथित विशेष सैन्य अभियान का तत्काल अन्त किये जाने की पुकार लगाने वाले प्रस्ताव भारी मतों से पारित किया है.

प्रस्ताव में रूस से अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेनी इलाक़े से, अपने सैन्य बलों को पूर्ण रूप से तत्काल व बिना शर्त, हटाए जाने की मांग की गई है.

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141 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि पाँच देशों – बेलारूस, डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया (उत्तर कोरिया), ऐरीट्रिया, रूस और सीरिया ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया.

चीन, भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका समेत 35 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.

संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख अब्दुल्ला शाहिद ने मतदान नतीजों के बाद कहा कि यह प्रस्ताव अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की, यूक्रेन में हालात पर गम्भीर चिन्ता दर्शाता है.

“मैं यूएन सदस्य देशों के साथ मिलकर, नागरिक प्रतिष्ठानों, जैसे कि आवासों, स्कूलों, अस्पतालों, और महिलाओं, बुज़ुर्गों, विकलांगजन व बच्चों समेत हताहत आम नागरिकों पर हमलों की ख़बरों पर चिन्ता व्यक्त करना चाहता हूँ.”

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रस्ताव और उसकी मूल भावना के पक्ष में खड़ा होना उनका दायित्व है.

“महासभा का सन्देश बुलन्द व स्पष्ट है: यूक्रेन में दुश्मनी का अब अन्त हो. बन्दूकें अब शान्त हों. सम्वाद व कूटनीति का दरवाज़ा अब खुले.”

बीत रहा है समय

यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि यूक्रेन में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, और इसलिये जल्द क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है.

इससे पहले, मंगलवार को मानवीय सहायता के लिये एक औचक अपील जारी की गई, जिसके लिये रिकॉर्ड स्तर पर समर्थन मिला और उदारता से दान दिया गया है.

इससे, महत्वपूर्ण सहायता के वितरण का दायरा व स्तर बढ़ाने में मदद मिलेगी और ज़रूरतमन्द लोगों तक जल, भोजन व संरक्षण सेवाएँ पहुँचाई जा सकेंगी.

महासचिव ने भरोसा दिलाया कि वह आने वाले दिनों में टकराव को टालने और शान्ति वार्ता आगे बढ़ाने के लिये हरसम्भव प्रयास जारी रखेंगे.

“यूक्रेन में लोगों को किसी भी तरह शान्ति चाहिये. और दुनिया भर में लोग इसकी मांग कर रहे हैं.”

महासभा के प्रस्ताव

यूएन महासभा के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं होते हैं, मगर उनका राजनैतिक वज़न होता है क्योंकि उनमें संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की राय झलकती है.

वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिये विश्व के अहम मंच के विशेष सत्र के दौरान देशों ने महासभा के मंच से यूक्रेन संकट पर अपना रुख़ व्यक्त किया.

193 सदस्य देशों वाली महासभा ने यूक्रेन की सम्प्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता को फिर से पुष्ट किया है.

यह प्रस्ताव 90 से अधिक देशों ने प्रायोजित किया और महासभा में पारित होने के लिये, उसे दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता थी.

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में, रूस के सैन्य अभियान में दागे गए रॉकेट के कुछ अवशेष, एक क्रीडास्थल में. ये तस्वीर 25 फ़रवरी 2022 की है.
© UNICEF/Andrii Marienko/UNIAN
यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में, रूस के सैन्य अभियान में दागे गए रॉकेट के कुछ अवशेष, एक क्रीडास्थल में. ये तस्वीर 25 फ़रवरी 2022 की है.

इस आपात विशेष सत्र से पहले रविवार को, यूक्रेन मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की एक विशेष बैठक हुई थी.

शुक्रवार को यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई की निन्दा करने वाला एक मसौदा प्रस्ताव, सुरक्षा परिषद की बैठक में पेश किया गया था, मगर रूस के वीटो के कारण वो प्रस्ताव पारित नहीं हुआ.

यूक्रेन में तेज़ी से बदले घटनाक्रम के मद्देनज़र, सुरक्षा परिषद की कई बार बैठकें भी बुलाई गईं जिनके बाद सोमवार को महासभा का आपात सत्र शुरू हुआ.

आपात विशेष सत्र

1950 के बाद से, यूएन महासभा के ऐसे केवल 10 आपात विशेष सत्र आयोजित हुए हैं जोकि प्रस्ताव संख्या 377A (V) के प्रावधान के तहत होते हैं, जिन्हें “शान्ति के लिये एकता – Uniting for Peace” के नाम से भी जाना जाता है.

ये प्रस्ताव महासभा को ऐसी स्थिति में अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के मामले उठाने की शक्ति देता है जब सुरक्षा परिषद, इसके पाँच स्थाई सदस्यों के बीच सर्वसहमति के अभाव में, कोई कार्रवाई करने में असमर्थ होती है.

ध्यान रहे कि चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका और रूस, सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्य हैं जिनके पास वीटो का अधिकार है.