भेदभाव को बढ़ावा देने वाले 'हानिकारक क़ानूनों' को हटाने का आग्रह

एचआईवी/एड्स मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की अग्रणी एजेंसी – यूएनएड्स (UNAIDS) ने मंगलवार को ‘शून्य भेदभाव दिवस’ पर ऐसे सभी क़ानूनों को ख़त्म किये जाने का आग्रह किया है, जिनसे नाज़ुक हालात में रह रहे लोगों के साथ भेदभाव को बढ़ावा मिलता है. यूएन एजेंसी ने कहा है कि हर किसी को एक स्वस्थ, पूर्ण व गरिमामय जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है.
इण्डोनेशिया के लिये यूएनएड्स की देशीय निदेशक कृत्यावन बुन्टु ने कहा कि एचआईवी के नज़रिये से सर्वाधिक निर्बल लोग, समाज में सबसे अधिक हाशिये पर धेकेले जाने के भी शिकार होते हैं.
“दुर्भाग्यवश, भेदभाव से पर्याप्त संरक्षण मिलने के उलट, नुक़सान पहुँचानेवाले क़ानून मौजूद हैं, जिनसे हाशिये पर मौजूद आबादियों के लिये नाज़ुक हालात और बढ़ते हैं.”
Laws in 18 countries legally allow husbands to prevent their wives from working.On #ZeroDiscrimination Day, 1 March, we celebrate the right of everyone to live a full & productive life—and live it with dignity and free from discrimination.https://t.co/M1GnhlgnBl pic.twitter.com/7SELJnckTT
Winnie_Byanyima
यूएनएड्स ने मंगलवार, 1 मार्च, को ‘शून्य भेदभाव दिवस’ पर भेदभावपूर्ण क़ानूनों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की अहमियत को रेखांकित किया है.
अनेक देशों में क़ानूनों की वजह से लोगों के साथ अलग ढंग से बर्ताव किया जाता है, वे अति-आवश्यक सेवाओं के दायरे से बाहर होते हैं, या फिर जीवन जीने के लिये ग़ैरज़रूरी पाबन्दियाँ लगाई जाती हैं.
यूएनएड्स ने कहा कि यह केवल इसलिये कि वे कौन हैं, क्या करते हैं, या किसे प्यार करते हैं.
“आपराधिकरण से एचआईवी के ख़िलाफ़ कार्रवाई काफ़ी कमज़ोर होती है. ऐसे क़ानून भेदभावपूर्ण हैं – वे मानवाधिकारों और बुनियादी आज़ादियों को नकारते हैं.”
बताया गया है कि यह सदस्य देशों का नैतिक व क़ानूनी दायित्व है कि ऐसे भेदभावपूर्ण क़ानून हटाए जाएँ और लोगों की भेदभाव से रक्षा करने वाले क़ानून लागू किये जाएँ.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, यह हर किसी का दायित्व है कि देशों को जवाबदेह बनाया जाए, सकारात्मक बदलाव लाने के लिये प्रयास किये जाएँ, और क़ानूनी रूप प्राप्त भेदभाव को हटाने में योगदान दिया जाए.
यूएन की देशीय निदेशक ने कहा, “इस शून्य भेदभाव दिवस पर, यूएनएड्स ने देशों से निर्बल समूहों की रक्षा के लिये तत्काल कार्रवाई की पुकार लगाई है.”
शैली नामक एक महिला ने बताया कि उन्हें एक उपचार केन्द्र से दूसरे पर जाने के लिये मजबूर होना पड़ता था, चूँकि नर्स अपने मरीज़ों की चिकित्सा जानकारी के बारे में हँसी-मज़ाक करते थे.
शैली ने इस वजह से कैरीबियाई द्वीप के जमैका में एक एड्स समर्थन केन्द्र का रुख़ किया.
“मुझे असहजता महसूस होती थी. अगर मैं अन्य लोगों के बारे में सुन रही हूँ, तो अन्य लोग भी भीतर आकर, मेरे बारे में सुन सकते हैं.”
जमैका के लिये यूएनएड्स की देशीय निदेशक मैनोएला मनोवा ने बताया कि व्यापक भेदभाव-विरोधी उपायों के ज़रिये क़ानूनी फ़्रेमवर्क को मानवाधिकारों की रक्षा के लिये मज़बूती दी जा सकती है.
पीटर को वर्ष 2016 में जब अपनी एचआईवी अवस्था के बारे में पता चला, तो उन्होंने थाईलैण्ड में अपना व्यवसाय छोड़ दिया, चूँकि उन्हें नहीं मालूम था कि वे कितने लम्बे समय तक जीवित रहेंगे.
“दिशा-निर्देश और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन के बिना, मेरे मन में एचआईवी के प्रति बहुत सी ग़लत धारणाएँ थीं, और मैं अवसाद से पीड़ित होना शुरू हो गया.”
पीटर ने एचआईवी से ग्रस्त होने के लिये स्वयं को ज़िम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करने लगे, अपने संगी को छोड़ दिया और आत्महत्या की भी कोशिश की.
“मगर, एचआईवी के साथ रह रहे लोगों के स्थानीय संगठनों के समर्थन के सहारे, मैंने फिर से अपने जीवन पर नियंत्रण पाना शुरू किया...दूसरे युवजन की मदद के लिये एचआईवी के बारे में खुल कर बात करता हूँ, मैं एचआईवी कार्यकर्ता बन गया.”
वर्ष 2019 में थाईलैण्ड में शून्य भेदभाव के लिये एक साझेदारी की घोषणा की, जिसमें सरकारों और नागरिक समाज के बीच रचनात्मक सहयोग बढ़ाने की पुकार लगाई गई है.
इसके ज़रिये, स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों से परे, मसलन, कार्यस्थलों, शिक्षा व क़ानूनी प्रणालियों में कथित कलंक, भेदभाव से निपटने का प्रयास किया जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस दिवस पर दोहराया है कि हर किसी के पास एक स्वस्थ व पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है.
हर किसी के लिये नस्ल, जातीयता, आयु, लिंग, धर्म, जन्म स्थान, स्वास्थ्य या अन्य किसी दर्जे की परवाह किये बग़ैर, स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराई जानी होगी. स्वास्थ्य सैक्टर की भेदभाव ख़त्म करने में एक अहम भूमिका है.
यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि दुनिया भर में विषमता, कलंक और भेदभाव, सभी प्रकार की व्याधियों के कारक रहे हैं.
उन्होंने उन सभी अवरोधों से निपटे जाने का आग्रह किया है जो लोगों और उनके लिये ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं के बीच में पनपे हैं.