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हमें ‘इतिहास से सबक़ सीखना होगा’, मानवाधिकार परिषद अध्यक्ष

यूएन मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष फ़ेडेरीको विलेगास, यूएन जिनीवा कार्यालय में, मीडिया से बात करते हुए.
Partha Konwar/UN Geneva
यूएन मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष फ़ेडेरीको विलेगास, यूएन जिनीवा कार्यालय में, मीडिया से बात करते हुए.

हमें ‘इतिहास से सबक़ सीखना होगा’, मानवाधिकार परिषद अध्यक्ष

मानवाधिकार

यूक्रेन संकट गहराने और कोविड-19 महामारी का क़हर जारी रहने के बीच, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद अपना महीने भर चलने वाला, वार्षिक सत्र सोमवार को शुरू करने की तैयारी कर रही है.

मानवाधिकार परिषद के इस वार्षिक सत्र की उच्चस्तरीय चर्चा में, 130 से भी ज़्यादा विदेशी हस्तियों के शिरकत करने की अपेक्षा है जो स्विटज़रलैण्ड के जिनीवा शहर में यूएन मुख्यालय पैलेस डी नेशंस में मौजूद होंगे.

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यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने भी इस सत्र में शिरकत करने का कार्यक्रम बनाया था, मगर उनके प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि यूक्रेन संकट के कारण गम्भीर होती स्थिति के मद्देनज़र, महासचिव न्यूयॉर्क में ही मौजूद रहेंगे.

यूएन मानवाधिकार परिषद का ये 49वाँ वार्षिक सत्र होगा और इसके नव निर्वाचित अध्यक्ष फ़ेडेरीको विलेगास ने इस मौक़े पर, यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में, सत्र की कार्यवाही, परिषद में ध्रुवीकरण से सम्बन्धित चुनोतियों, और सिविल सोसायटी संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की है.

‘एक सामूहिक ज़िम्मेदारी’

फ़ेडेरीको विलेगास, जिनीवा में यूएन कार्यालय के लिये, अर्जेण्टीना के राजदूत  हैं. उनका कहना है कि दुनिया में ऐसा एक भी देश नहीं है जो ये कह सके कि उनके यहाँ कोई मानवाधिकार चुनौती नहीं है.

ऐसे में जबकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय भू-राजनैतिक तनावों में बढ़ोत्तरी देख रहा है, तो वयोवृद्ध कूटनीतिज्ञ का कहना है कि कोई भी देश, सम्पर्क स्थापित करने के दायरे से परे नहीं है.

उन्होंने कहा कि जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार या फिर भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष की बात आती है तो कोई भी देश ये दावा नहीं कर सकता कि उसने “सब कुछ सुलझा” लिया है, “इसलिये हम सबकी एक सामूहिक ज़िम्मेदारी बनती है.”

मानवाधिकार परिषद वो स्थान है जहाँ यह ज़िम्मेदारी निभाई जाती है.

यूक्रेन से मिला अनुरोध

मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था के अन्तर्गत, एक ऐसी अन्तर-सरकारी संस्था है जिसे यूएन महासभा ने 2006 में गठित किया था. इसके 47 सदस्य हैं जिन पर, दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रोत्साहन व संरक्षण को मज़बूती देने की ज़िम्मेदारी है.

पिछले सप्ताह यूक्रेन संकट बढ़ने के बीच ही, यूएन जिनीवा में देश की राजदूत येफ़हेनीया फलिपेन्को ने, देश में मानवाधिकार स्थिति पर, इसी सत्र के दौरान एक विशेष चर्चा कराए जाने का अनुरोध भी किया.

इस वर्ष के सत्र में, अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, दक्षिण सूडान और म्याँमार की स्थिति पर चर्चा, एजेण्डा में शामिल है, साथ ही पर्याप्त व सम्मानजनक आवास की उपलब्धता का अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकार मुद्दों पर भी चर्चा होगी.

विकलांगता वाले व्यक्तियों के अधिकारियों पर भी एक वार्षिक चर्चा इस सत्र में होनी है.

कोविड-19 पर ध्यान

यूएन मानवाधिकार परिषद के इस सत्र में, कुल मिलाकर ऐसी लगभग 100 रिपोर्ट्स पर विचार होगा जो 30 मानवाधिकार विशेषज्ञ और समूह, इस 49वें सत्र में प्रस्तुत करेंगे. ये सत्र एक अप्रैल को समाप्त होगा.

इन रिपोर्ट्स में, लगभग 50 देशों की स्थितियों व 40 विषयों पर ध्यान रहेगा, जिनमें कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति भी शामिल है.

सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों, वैक्सीन की उपलब्धता, और मानवाधिकारों पर महामारी के प्रभावों की समीक्षा करने के लिये, तीन पैनल चर्चाएँ आयोजित होंगी.

परिषद का ये ताज़ा सत्र, पाँच सप्ताहों की रिकॉर्ड अवधि के लिये आयोजित होगा, जिसका रूप ‘हाइब्रिड’ होगा यानि जिसमें प्रतिनिधि, निजी रूप में और ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिये भी शिरकत करेंगे.

कोविड-19 के कारण, लगभग दो वर्ष तक अनौपाचरिक चर्चाओं से वंचित रहने के बाद, प्रतिनिधियों ने अब रूबरू बैठकें फिर शुरू होने का स्वागत किया है.

परिषद के अध्यक्ष फ़ेडेरीको विलेगास ने रूबरू बैठकों को, “बहुपक्षीय कूटनीति का हृदय” क़रार दिया है, और ये चर्चाएँ, स्विट्ज़रलैणड में स्वास्थ्य प्रतिबन्धों में ढील दिये जाने की बदौलत सम्भव हो सकेंगी.

हालाँकि, उन्होंने ये भी ध्यान दिलाया कि महामारी ने, किस तरह टैक्नॉलॉजी के बहुमूल्य नवाचार सम्भव और उपलब्ध बनाए हैं.

वर्चुअल बैठकों का मतलब है कि दुनिया के किसी कोने में बैठे प्रतिनिधि भी, चर्चाओं में शिरकत कर सकते हैं, जबकि अतीत में इस तरह की भागीदारी, दूरी या ख़र्च के कारण प्रभावित या बाधित होती थी.

यूएन मानवाधिकार परिषद के एक सत्र का दृश्य
UN Photo/Jean-Marc Ferré
यूएन मानवाधिकार परिषद के एक सत्र का दृश्य

रचनात्मक सम्वाद की उम्मीद

अध्यक्ष फ़ेडेरीको विलेगास ने इस 49वें सत्र के दौरान, परिषद का राजनैतिक ध्रुवीकरण होने से बचाने की अपनी इच्छा के बारे में भी बात की.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ये यूएन संस्था, संघर्षों की रोकथाम करने और युद्ध की चपेट में आए आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का बेहरीन रास्ता है. “हमें इतिहास से सबक़ सीखना होगा और रचनात्मक सम्वाद के लिये अवसर तलाश करना होगा.” 

परिषद के अध्यक्ष फ़ेडेरीको विलेगास ने कहा कि इस सत्र में भी ग़ैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के योगदान भी, चर्चा के लिये अहम होंगे. जिनीवा में, राजदूतों और मानवाधिकार विशेषज्ञों के साथ-साथ, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों का भी स्वागत किया जाएगा.

फ़ेडेरीको विलेगास ने सिविल सोसायटी की दोहरी भूमिका को भी रेखांकित किया, जिसमें वो देशों की त्रुटियों की तरफ़ ध्यान दिलाते हैं, और ज़्यादा निपुण सार्वजनिक नीतियों के विकास के लिये, देशों के साथ सहयोगात्मक कार्य भी करते हैं.