यूक्रेन संकट: बमबारी से भयभीत परिवारों ने भूमिगत स्थलों में ली शरण
यूक्रेन में रूस के कथित “विशेष सैन्य अभियान” में राजधानी कीयेफ़ और अन्य शहरों में घातक मिसाइल हमलों की ख़बरों के बीच, भयभीत परिवार भूमिगत स्थलों पर शरण लेने के लिये मजबूर हो गए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को बताया कि हिंसा की वजह से अब तक कम से कम एक लाख लोगों के विस्थापन का शिकार होने की आशंका है.
योरोप और मध्य एशिया में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की क्षेत्रीय निदेशिका, अफ़शाँ ख़ान ने जिनीवा में जानकारी देते हुए बताया कि कीयेफ़ में बड़े हमले हुए हैं, जिनसे स्थानीय आबादी में बड़े पैमाने पर भय और अफ़रा-तफ़री का माहौल पैदा हो गया है.
“...परिवार डरे हुए हैं, वे अपने बच्चों के साथ भूमिगत परिवहन साधनों (Subway) व आश्रयस्थलों की ओर जा रहे हैं, और यह देश भर में बच्चों के लिये भयावह पल है.”
We are gravely concerned about developments on Thursday and overnight in #Ukraine, and are receiving increasing reports of civilian casualties. We are also disturbed by arbitrary arrests in #Russia of demonstrators protesting against war: https://t.co/nWkDf03LQ6 pic.twitter.com/q2r5lNZpb9
UNHumanRights
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने यूक्रेन में मौजूदा संकट के मद्देनज़र, गुरूवार को शान्ति की अपील की और केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष से तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये दो करोड़ डॉलर की रक़म जारी की है.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि किसी एक देश द्वारा दूसरे देश के विरुद्ध बल प्रयोग, उन सिद्धान्तों की अवहेलना है जिन्हें हर देश ने सर्वोपरि रखने का निर्णय लिया है.
उन्होंने यूक्रेन में सैन्य आक्रमण पर कहा, “यह ग़लत है. यह चार्टर के विरुद्ध है. यह अस्वीकार्य है. मगर, ऐसा नहीं है कि इसे पलटा ना जा सके.”
आम नागरिक हताहत
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने बताया कि रूसी सैन्य बलों द्वारा यूक्रेन के भीतर सैन्य अभियान शुरू किये जाने के बाद अब तक अनेक आम लोग हताहत हुए हैं.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि अब तक कम से कम 127 आम लोगों के हताहत होने की ख़बरें मिली हैं.
बमबारी और हवाई कार्रवाई में 25 लोगों की मौत हुई है और 102 घायल हुए हैं, जबकि हताहतों की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने की आशंका है.
यूएन मानवीय राहत एजेंसियों ने आगाह किया है कि स्थानीय समुदायों को सहायता मुहैया कराने की ज़रूरत है.
ईंधन, नक़दी और मेडिकल सामान की क़िल्लत
यूनीसेफ़ की वरिष्ठ अधिकारी अफ़शाँ ख़ान के मुताबिक़, ईंधन, नक़दी की क़िल्लत महसूस की जा रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सर्वाधिक निर्बल व्यक्तियों तक मानवीय राहत पहुँचाने के लिये रास्ते खुले रखे जाने की अपील की है और कहा है कि मेडिकल टीम असाधारण परिस्थितियों का सामना कर रही हैं.
यूक्रेन में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रतिनिधि यार्नो हैबिश्ट ने बताया कि हताहतों के सम्बन्ध में अभी अस्पतालों से रिपोर्ट नहीं मिल पाई हैं.
उन्होंने कहा कि मेडिकल किटों की उपलब्धता पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है, और जल्द ही उनके समाप्त होने की आशंका है.
इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी के प्रतिनिधि ने सामग्री की नई आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने का आग्रह किया है, जिसके लिये पड़ोसी देशों से मानवीय राहत गलियारे खुले रखे जाने होंगे.
बढ़ती ज़रूरतें
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ, यूक्रेन में पिछले अनेक वर्षों से सक्रिय रही हैं, विशेष रूप से वर्ष 2014 में रूस द्वारा क्राइमिया को अपने नियंत्रण में लिये जाने के बाद. अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने मोटे तौर पर रूस के इस क़दम को ख़ारिज किया है.
नेत्स्क, लूहान्स्क और अन्य पूर्वी क्षेत्रों में नाज़ुक हालात से जूझ रहे लोगों की ज़रूरतों की, तात्कालिक प्राथमिकता के तौर पर समीक्षा की जा रही है.
यूनीसेफ़ की क्षेत्रीय निदेशिका ने कहा, “हम अब भी निगरानी करने की कोशिश कर रहे हैं कि नागरिक बुनियादी ढाँचे के सम्बन्ध में कैसे हालात हैं.”
यूक्रेन संकट के लिये आपात सहायता के लिये दो करोड़ डॉलर की रक़म जारी किये जाने की घोषणा की गई है.
महासचिव गुटेरेश ने भरोसा दिलाया है कि यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ और साझीदार संगठन, ज़रूरत की इस घड़ी में, वहाँ रुक कर यूक्रेन के लोगों के समर्थन के लिये प्रतिबद्ध हैं.
जीवन में उथल-पुथल
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने कहा है कि जबरन सामूहिक विस्थापन की शुरुआत हो गई है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता शाबिया मण्टू ने बताया कि एक लाख से अधिक लोगों ने अपने घर खो दिये हैं और वे विस्थापित हैं.
उन्होंने बताया कि हज़ारों लोगों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं को पार किये जाने की भी ख़बरें मिल रही हैं और यह सब, तनाव शुरू होने के कुछ ही समय के भीतर हुआ है.
ख़बरों के अनुसार, पाँच हज़ार शरणार्थी मोलदोवा पहुँचे हैं, और पोलैण्ड, रोमानिया, स्लोवाकिया और रूसी महासंघ से भी ऐसी ही ख़बरें मिली हैं.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने सचेत किया है कि यूक्रेन में स्थानीय लोग हालात और ज़्यादा बिगड़ने की आशंका से चिन्तित हैं.
वहीं, रूस में भी मौजूदा घटनाक्रम पर चिन्ता है. बताया गया है कि युद्ध के विरोध में हुए प्रदर्शनों के बाद एक हज़ार 800 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें पत्रकार भी हैं.
उन्होंने कहा कि ये गिरफ़्तारियाँ रूस के लगभग 50 शहरों में हुई हैं मगर, अभी स्पष्ट नहीं है कि कितने लोगों को रिहा किया गया है.