कोविड-19: महामारी से पुनर्बहाली के लिये, व्यक्ति-केन्द्रित उपायों की पुकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 महामारी से पुनर्बहाली के मुद्दे पर आयोजित एक बैठक को सम्बोधित करते हुए, व्यक्ति-केन्द्रित उपायों को प्राथमिकता दिये जाने का आहवान किया है. उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा के वादे को साकार किया जाना होगा और लोगों को उपयुक्त व शिष्ट रोज़गार उपलब्ध कराए जाने होंगे.
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ‘Global Forum for Human-centred Recovery’ विषय पर एक तीन-दिवसीय फ़ोरम का आयोजन किया है, जिसमें वैश्विक महामारी के आर्थिक व सामाजिक प्रभावों पर चर्चा हो रही है.
यूएन प्रमुख ने बैठक के लिये अपने वीडियो सन्देश में कहा कि, दुनिया कोविड-19 के लिये तो तैयार नहीं थी, मगर, अब इसे दोहराए जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
The #ILOGlobalForum comes at a crucial time when our ability to recover from this pandemic —and rescue the #SDGs— hangs in the balance. As the theme reminds us, we need a human-centred, green recovery that puts people first @antonioguterres Join us 👉https://t.co/3DntBzWE3T pic.twitter.com/f92lNRGIO6
ilo
उनके मुताबिक़, इस कठिन घड़ी में पुनर्बहाली के लिये साझा समाधानों के ज़रिये, सर्वोत्तम प्रयासों के साथ एकजुट होना होगा, और इन प्रयासों के केन्द्र में व्यक्तियों को रखा जाना होगा.
यूएन महासचिव ने आगाह किया कि कोविड-19 महामारी के कारण, निर्धनता बढ़ रही है, विषमताएँ गहरी हो रही हैं, पारिवारिक आय में गिरावट आई है, जबकि अरबपतियों के निजी मुनाफ़े में उछाल आया है.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि महिलाओं के लिये हालात और भी अधिक ख़राब है, जिनका कुल वैश्विक आय में हिस्सा 35 प्रतिशत से भी कम है.
उन्हें बढ़ती बेरोज़गारी और हर देश में देखभाल के भीषण बोझ का सामना करना पड़ रहा है.
पुनर्बहाली में विषमताएँ
कोविड-19 टीकाकरण में पसरी गहरी विषमता और राजकोषीय विभाजनों के कारण, धनी देश इस संकट से उबर रहे हैं, जबकि निर्धनतम देशों के लिये प्रगति अवरुद्ध हो रही है.
महासचिव ने सचेत किया कि सम्पन्न देश, अपने सकल घरेलू उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा, पुनर्बहाली प्रयासों में निवेश के लिये उपयोग कर रहे हैं.
इसके विपरीत, निम्न-आय वाले देश कर्ज़ के चक्र में फँसे हैं और संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. वहीं विकासशील देशों को रोज़गार अवसरों में एक विशाल चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी के अनुसार, दुनिया मौजूदा जलवायु आपात स्थिति से निपटने के लिये, इस दशक में तात्कालिक, रूपान्तरकारी व ठोस कार्रवाई में विफल साबित हो रहा है.
वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये पुख़्ता उपायों और विकासशील देशों को जलवायु अनुकूलन के लिये 100 अरब डॉलर मुहैया कराए जाने के संकल्प को साकार नहीं किया जा सका है.
महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि इन हालात में व्यक्ति-आधारित, हरित पुनर्बहाली की आवश्यकता है, जिसमें आमजन को प्राथमिकता देनी होगी.
व्यक्ति-केन्द्रित उपाय
उन्होंने कहा कि आमजन को पुनर्बहाली के केन्द्र में रखने से मन्तव्य, सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा को हासिल करना है, जोकि सभी प्रकार के व्यवधानों से रक्षा करने और न्यायसंगत प्रगति के लिये बेहद अहम है.
महासचिव के मुताबिक़, इसका अर्थ उपयुक्त व शिष्ट रोज़गारों में रणनैतिक निवेश और अनौपचारिक सैक्टर में रोज़गारों को औपचारिक रूप प्रदान करना है.
साथ ही, वैक्सीन समता सुनिश्चित करनी होगी, और सरकारों, औषधि-निर्माता कम्पनियों को एक साथ मिलकर हर जगह, हर व्यक्ति तक वैक्सीन पहुँचानी होगी.
इसके अलावा, वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भी सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है, ताकि ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने के लिये हर देश को वित्तीय संसाधन मुहैया कराए जा सकें.
इस क्रम में, क़र्ज़ राहत और निष्पक्ष कर प्रणाली सुनिश्चित किया जाना महत्वपूर्ण है ताकि वित्त पोषण को सर्वाधिक निर्बलों तक पहुँचाया जा सके.
महासचिव ने कहा कि आमजन को प्राथमिकता दिये जाने से तात्पर्य, उन जलवायु संकल्पों से है, जिन्हें संकट के स्तर व तात्कालिकता के अनुरूप लिया जाना होगा.
इसके तहत, देशों को कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ने के लिये, वित्तीय व तकनीकी समर्थन मुहैया कराया जाना होगा और हरित रोज़गारों का सृजन करना होगा.
महासचिव के मुताबिक़, लोगों को सर्वोपरि रखने का अर्थ, सामाजिक अनुबन्ध का नए सिरे से नवीनीकरण करने, और उनके भावी कल्याण में व्यापक निवेश किये जाने से है.
“स्वास्थ्य व शिक्षा से लेकर...खाद्य प्रणालियों और बुनियादी ढाँचे तक...सामाजिक संरक्षा कार्यक्रमों तक, ताकि हर किसी के लिये समान ज़मीन तैयार की जा सके.”
रोज़गार सृजन पर बल
यूएन प्रमुख ने कहा कि ‘रोज़गारों व सामाजिक संरक्षा की दिशा में तेज़ी लाए जाने पर केन्द्रित, ‘Global Accelerator on Jobs and Social Protection’, संयुक्त राष्ट्र की जवाबी कार्रवाई का एक अहम घटक है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि 40 करोड़ रोज़गार सृजित करने के लिये, देशों की सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं, नागरिक समाज और निजी सैक्टर के साथ मिलकर प्रयास किये जाएंगे.
इस सिलसिले में हरित, देखभाल और डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाना है, और चार अरब लोगों को सामाजिक संरक्षा के दायरे में लाए जाने का प्रयास किया जाएगा.
यूएन प्रमुख ने अपनी ‘हमारा साझा एजेण्डा’ नामक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि वैश्विक हालात में व्यापक बेहतरी के लिये सही विकल्प चुनना महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि इस कठिन घड़ी में पुनर्बहाली के लिये साझा समाधानों के ज़रिये, सर्वोत्तम प्रयासों के साथ एकजुट होना होगा.