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म्याँमार: 'आम लोगों पर हमलों में इस्तेमाल' किये गए हथियारों पर पाबन्दी की मांग  

यूएन के विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद हालात बद से बदतर हुए हैं.
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यूएन के विशेष रैपोर्टेयर के अनुसार, म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद हालात बद से बदतर हुए हैं.

म्याँमार: 'आम लोगों पर हमलों में इस्तेमाल' किये गए हथियारों पर पाबन्दी की मांग  

मानवाधिकार

म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ ने मानवाधिकार परिषद के लिये अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि देश के सैन्य नेतृत्व को ऐसे हथियार मुहैया कराए जाने पर तुरन्त रोक लगानी होगी, जिनका इस्तेमाल कथित रूप से - आम लोगों के विरुद्ध हमले करने में किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार म्याँमार को हथियार आपूर्ति करने वाले देशों में, सुरक्षा परिषद के दो स्थाई सदस्य देश भी हैं.

Enabling Atrocities: UN Member States’ Arms Transfers to the Myanmar Military’ नामक रिपोर्ट के अनुसार तीन देशों, चीन, रूस और सर्बिया, ने म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद से, देश के सैन्य नेतृत्व को हथियारों की आपूर्ति की है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने म्याँमार को हथियार निर्यात करने वाले देशों से अपने हथियारों की बिक्री तुरन्त रोके जाने की अपील की है.

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साथ ही, इस मुद्दे पर चर्चा और प्रस्ताव पर मतदान के लिये सुरक्षा परिषद का एक आपात सत्र बुलाए जाने का आग्रह किया है ताकि इन हथियारों के हस्तान्तरण पर पाबन्दी लगाई जा सके.

यूएन विशेषज्ञ टॉम एण्ड्रयूज़ ने बताया कि यह विदित है कि ऐसे हथियारों का इस्तेमाल, म्याँमार में आम नागरिकों पर हमला करने और उन्हें जान से मारने के लिये किया गया है.

“यह निर्विवाद होना चाहिये कि आम नागरिकों को मारने के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले हथियार, अब म्याँमार को हस्तान्तरित ना किये जाएँ. ये हथियार हस्तान्तरण वास्तव में चेतना को झकझोरते हैं.”

मानवाधिकार विशेषज्ञ ने ज़ोर देकर कहा कि सैन्य नेतृत्व के क्रूरतापूर्ण अपराधों को रोकने की शुरुआत, हथियारों तक उनकी पहुँच पर पाबन्दी लगाकर की जानी चाहिये.

“दुनिया इसमें जितनी देर लगाती है, उतने ही अधिक बच्चों समेत मासूम लोगों की म्याँमार में मौत होगी.”

“म्याँमार की जनता, यूएन से कार्रवाई की गुहार लगाई रही है.”

उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पर वोट की हक़दार हैं, ताकि उन्हें मारने के लिये इस्तेमाल किये जा रहे हथियारों की बिक्री पर रोक लग सके.

म्याँमार में, फ़रवरी 2021 में, सैन्य तख़्तापलट के बाद से व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, और सुरक्षा बलों ने असहमति को दबाने की कोशिश की है.

इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है, हिंसा में तेज़ी आई है और हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है. 

हथियारों की बिक्री 

यूएन के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने मंगलवार को कहा कि म्याँमार में एक वर्ष पहले सैन्य तख़्तापलट के बाद से, दण्डमुक्ति की भावना से किये गए क्रूर अपराधों के सम्बन्ध में तथ्य मौजूद हैं.

इसके बावजूद, यूएन सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों, रूस और चीन ने म्याँमार में सैन्य नेतृत्व को अनेक लड़ाकू विमान, बख़्तरबन्द वाहन मुहैया कराना जारी रखा है. रूस ने और ज़्यादा हथियार भेजे जाने का वादा भी किया है.

इसी अवधि में, सर्बिया ने म्याँमार सेना को निर्यात के लिये रॉकेट और तोपों की बिक्री की स्वीकृति दी है.

ग़ौरतलब है कि जून 2021 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें, सदस्य देशों से म्याँमार में हथियार भेजे जाने पर रोक लगाने की बात कही गई है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि म्याँमार की जनता, नागरिक समाज संगठनों और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार पैरोकारी समूहों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया था.

मगर, इस प्रस्ताव से संकट पर कोई ख़ास असर नहीं हुआ है, और सैन्य नेतृत्व द्वारा आमजन पर हमलों की क्षमता से क्रोध व हताशा बढ़ी है.

तत्काल उपायों की अपील

यूएन विशेषज्ञ ने बताया कि महासभा में प्रस्ताव के विरुद्ध किसी भी सदस्य देश ने मतदान नहीं किया, लेकिन सुरक्षा परिषद में इस पर चर्चा या मतदान नहीं हुआ है, जिसके ज़रिये इसे सदस्य देशों के लिये बाध्यकारी बनाया जा सकता था.

टॉम एण्ड्रयूज़ ने कहा, “यह अनिवार्य है कि सदस्य देश और सुरक्षा परिषद, सैन्य नेतृत्व को हथियारों की बिक्री पर रोक लगाने के लिये तत्काल क़दम उठाएँ. मानव ज़िन्दगियाँ और सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता दाँव पर लगी हैं.”

इसके मद्देनज़र, स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने एक प्रस्ताव के ज़रिये उन हथियारों पर प्रतिबन्ध लगाए जाने की अपील की है, जिनका इस्तेमाल मासूम लोगों को मारे जाने के लिये किया जा रहा है.

साथ ही, रिपोर्ट में सदस्य देशों से सैन्य नेतृत्व की राजस्व तक पहुँच पर रोक लगाने की पुकार भी लगाई है. उन्होंने बताया कि म्याँमार में आम नागरिक भी सेना से सम्बद्ध सामग्री का व्यापक रूप से बहिष्कार कर रहे हैं.

रिपोर्ट में उन सदस्य देशों का भी नाम लिया गया है, जिन्होंने वर्ष 2018 में हथियार हस्तान्तरण की स्वीकृति दी थी.

उस दौरान म्याँमार की सेना पर रोहिंज्या अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध बर्बरतापूर्ण अपराधों के आरोपों के बारे में दस्तावेज़ तैयार किये गए हैं और यूएन के एक सत्य अन्वेषण मिशन ने हथियारों की बिक्री पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग की थी.

सभी स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, यूएन मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किये जाते हैं, और वो अपनी निजी हैसियत में, स्वैच्छिक आधार पर काम करते हैं. ये मानवाधिकार विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और ना ही उन्हें उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.