यूक्रेन पर सुरक्षा परिषद की आपात बैठक: 'कोई बड़ा संघर्ष हर क़ीमत पर टालने की पुकार'

यूक्रेन की स्थिति पर सोमवार रात को, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक आयोजित की गई है जिसकी शुरुआत, राजनैतिक व शान्तिनिर्माण मामलों की प्रमुख रोज़मैरी ए. डीकार्लो ने “बड़ी चिन्ता और खेद” के साथ की और यूक्रेन के इर्द-गिर्द हालात को तेज़ी से बदलती ख़तरनाक स्थिति बताया.
रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा, “एक बड़ा संकट भड़क जाने का जोखिम वास्तविक है और ऐसे किसी संघर्ष को हर क़ीमत पर रोका जाना होगा.”
.@DicarloRosemary on Russia's decision concerning certain areas of the Donetsk and Luhansk regions of #Ukraine: "We very much regret this decision, which risks having regional and global repercussions." Her remarks to the Security Council tonight: https://t.co/n3FMJKPi5x pic.twitter.com/RMT4CVRJ3x
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उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि यूक्रेन के पूर्वी इलाक़ों - दोनेत्स्क और लूहान्स्क को स्वतंत्र प्रान्तों के रूप में मान्यता देने का रूस का फ़ैसला, यूक्रेन की क्षेत्रीय अखण्डता और सम्प्रभुता का हनन है और इसके क्षेत्रीय व वैश्विक परिणाम होंगे.
उन्होंने कहा, “हम यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में, रूसी सेनाएँ तैनात करने के आदेश पर भी खेद प्रकट करते हैं, अलबत्ता, इस तैनाती को शान्तिरक्षा मिशन बताया गया है.”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि ये सैन्य तैनाती, दोनेत्स्क और लूहान्स्क इलाक़ों से, बहुत बड़ी आबादी को, रूसी महासंघ में चले जाने का आदेश देने के बाद की गई है.
रोज़मैरी डीकार्लो ने, सम्पर्क रेखा के आसपास गोलाबारी में तेज़ी पर भी चिन्ता व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप, अनेक लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं.
उन्होंने यूक्रेन के पूर्वी इलाक़ों में हाल के समय में युद्धविराम के उल्लंघन के अनेक मामलों का सन्दर्भ भी दिया.
संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ अधिकारी ने ध्यान दिलाते हुए कहा, “हम सभी सम्बद्ध पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और मानवाधिकार क़ानून के तहत, उनकी ज़िम्मेदारियों की याद दिलाते हैं.”
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, विभिन्न पक्षों द्वारा किये गए अलग-अलग दावों की पुष्टि करने की स्थिति में तो नहीं है, मगर उन्होंने आम लोगों के हताहत होने, सिविल बुनियादी ढाँचे को निशाना बनाए जाने, और स्थानीय आबादी को हटाए जाने की ख़बरों पर चिन्ता जताई.
रोज़मैरी डीकार्लो ने मौजूदा बातचीत के ढाँचे पर, ताज़ा घटनाक्रम के सम्भावित प्रभावों की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया.
उन्होंने कहा, “मौजूदा जोखिमों व अनिश्चितता के हालात के बीच, बातचीत को आगे बढ़ाना और भी ज़्यादा महत्वरूर्ण है.” मतभेदों को दूर करने का “एक मात्र रास्ता” बातचीत ही है.
उन्होंने कहा कि इससे पहले, कि स्थिति और ज़्यादा भड़के, तमाम सम्बद्ध पक्षों को, अपने तमाम प्रयास, भड़काव को तत्काल ठण्डा करने पर केन्द्रित करने होंगे.
उन्होंने कहा, “सिविल आबादी व बुनियादी ढाँचे को सुरक्षा मुहैया करानी होगी, और ऐसी गतिविधियों व बयानों से बचना होगा जो स्थिति को और ज़्यादा ख़राब बना सकते हों.”
संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान, बहुत सी अहम हस्तियाँ, योरोप के केन्द्र में इस नए संघर्ष को भड़कने से रोकने के लिये, “सघन कूटनैतिक प्रयासों” में व्यस्त रही हैं.
रोज़मैरी डीकार्लो ने यूक्रेन के लिये, संयुक्त राष्ट्र के समर्थन का संकल्प दोहराते ध्यान दिलाया कि यूक्रेन अपनी स्वतंत्रता के 30 वर्षों बाद भी लोकतांत्रिक सुधारों पर काम कर रहा है.
उन्होंने कहा, “इस मुश्किल घड़ी के दौरान, हम यूक्रेन में बने रहने, अपनी सेवाएँ देने व पूर्ण रूप से सक्रिय रहने के लिये प्रतिबद्ध हैं, इनमें दोनेत्स्क और लूहान्स्क क्षेत्र भी शामिल हैं. हमारे तमाम स्टाफ़ की सुरक्षा और संरक्षा संगठन के लिये बहुत बहुत अहम मुद्दा है और सभी पक्षों को इसका सम्मान करना होगा.”
रोज़मैरी डीकार्लो ने अपनी बात पूरी करते हुए, अगले कुछ घण्टों व दिनों को बहुत नाज़ुक बताया और सुरक्षा परिषद को आश्वासन दिया कि यूएन महासचिव, मौजूदा संकट का समाधान निकालने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे.
संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किसलित्सा ने, चेहरे से मास्क हटाकर, अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि रूस, पिछले आठ वर्षों के दौरान, युद्ध भड़काने के लिये एक “वायरस” बनता रहा है: “संयुक्त राष्ट्र एक कमज़ोर संगठन है. यह एक सच्चाई है. ये रूस द्वारा फैलाए गए एक वायरस का निशाना बन चुका है.”
उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि यूक्रेन की अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमाएँ अपरिवर्तनीय रही हैं और आगे भी ऐसी ही रहेंगी, “रूसी महासंघ के कोई भी बयान या कार्रवाई क्यों ना हों.”
उन्होंने कहा, “हम अपनी ज़मीन पर हैं. किसी के लिये हमारी कोई देनदारी नहीं है. और हम किसी को भी कुछ भी नहीं देंगे. हम किसी भी स्थिति या किसी से भी बिल्कुल भी नहीं डरते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत वैसिली नेबेन्ज़या ने, अनेक भावुक बयानों, तथ्यपरक आकलन और दूरगामी निष्कर्षों के बाद, अपनी बात रखते हुए कहा कि वो इन पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देंगे बल्कि इस मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित करेंगे कि “युद्ध कैसे टाला जा सकता है”.
उन्होंने सदस्य देशों को सूचित किया कि “लूहान्स्क और दोनेत्स्क गणराज्यों द्वारा 21 फ़रवरी को दस्तख़त किये गए समझौतों के अनुसार... उनके क्षेत्रों में शान्तिरक्षा की गतिविधियाँ, रूसी महासंघ के सशस्त्र बल चलाएंगे.”
उन्होंने पश्चिमी देशों के राजदूतों से आग्रह किया कि “वो समझदारी से काम लें, अपनी भावनाओं को एक तरफ़ रखें और स्थिति को और ज़्यादा ना बिगाड़ें”.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने, यूक्रेन पर हमला करने की स्थिति बनाने के लिये राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के क़दमों को आधार बताया. उन्होंने कहा कि अगर युक्रेन पर हमला होता है तो उसके परिणाम, यूक्रेन की सीमाओं से कहीं दूर भी महसूस किये जाएंगे.
उन्होंने कहा कि श्रीमान पुतिन, हमारे संकल्प की परीक्षा ले रहे हैं और वो ये दिखाना चाहते हैं कि वो ताक़त के बल पर, संयुक्त राष्ट्र को एक सरकस बना सकते हैं.
लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा कि अमेरिका, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के इस स्पष्ट उल्लंघन के लिये, रूस को जवाबदेह ठहराने के लिये, और भी क़दम उठाएगा. उन्होंने कहा कि रूस अगर यक्रेन पर हमला करता है तो जवाब “बहुत त्वरित व गम्भीर” होगा.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश भी, इससे पहले दिन में, यूक्रेन की स्थिति पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त कर चुके हैं और उन्होंने आगामी कुछ दिनों के दौरान, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) का अपना यात्रा मिशन रद्द कर दिया है.