मातृ भाषा दिवस: भाषाई विविधता को सहेजने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कतिक संगठन – यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने सोमवार को, अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को सहेजे जाने का आहवान किया है.
यूएन शैक्षिक व सांस्कृतिक एजेंसी की मुखिया ने ध्यान दिलाया कि दुनिया भर में किस तरह, हर 10 में से चार बच्चे, अपनी बोलचाल या समझने की भाषा में, शिक्षा हासिल करने से वंचित हैं, जिसका मतलब है कि उनकी शिक्षा प्राप्ति की बुनियाद ही बहुत नाज़ुक है.
उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा शुरू करने के पहले ही दिन से, बहुत से बच्चे किसी अनजान भाषा और उससे जुड़े विचारों की दुनिया में झाँकने का अनिश्चित अनुभव करते हैं – जबकि साथ ही उस भाषा को भूलने का भी ऐहसास होता है जिसे वो अपने शिशु काल से ही जानते हैं.
ऑड्री अज़ूले का कहना है, “मातृ भाषा से ये दूरी, हम सभी को प्रभावित करती है, क्योंकि भाषाई विविधता एक सामान्य भलाई है. और भाषाई विविधता का संरक्षण एक कर्तव्य है.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हर भाषा की एक निश्चित तान होती है, और उसमें हर चीज़ को देखने-परखने व उसके बारे में सोचने का एक ख़ास तरीक़ा होता है.
यूनेस्को प्रमुख ने कहा, “इसलिये, किसी एक भाषा को सीखना या भूलना, केवल संचार का एक साधन, सीखने या भूलने मात्र का एक मामला भर नहीं है. ये एक तरह से एक पूरी दूनिया का वजूद में आना या खो जाना है.”
संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के माध्यम से, यह पहचाना जाता है कि भाषाएँ, विकास, सांस्कृतिक विविधता और अन्तर-सांस्कृतिक संवाद सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
इस वर्ष इस दिवस की थीम है – ‘अनेक भाषाएँ सीखने के लिये टैक्नॉलॉजी का प्रयोग: चुनौतियाँ और अवसर.’
यूनेस्को में, शिक्षा कार्यक्रम की विशेषज्ञ ऐण्ड्रियामिसेज़ा नोरो का मानना है कि प्रोद्योगिकी में आज के दौर में, शिक्षा की कुछ महानतम चुनौतियों के समाधान पेश करने की क्षमता मौजूद है.
इसमें मातृ भाषा पर आधारित बहुभाषाई शिक्षा भी शामिल है जो शिक्षा में समावेश सुनिश्चित करने के लिये एक महत्वपूर्ण तत्व है. इससे विविधता के लिये सम्मान भी पनपता और बढ़ता है; और देशों व लोगों के बीच अन्तर-सम्पर्क का एक ऐहसास भी विकसित होता है.
उन्होंने यूएन न्यूज़ से कहा, “टैक्नॉलॉजी, वास्तविक स्थिति में मौजूदगी को सम्भव बनाती है, जोकि हम एक पुस्तक या अभ्यास पुस्तिका के ज़रिये महसूस नहीं कर सकते.”
ऐण्ड्रियामिसेज़ा नोरो ने कहा कि युवजन, आमतौर पर, कक्षा से बाहर टैक्नॉलॉजी का प्रयोग करते हैं. “और मुझे लगता है कि वो इन टैक्नॉलॉजी माध्यमों के ज़रिये और ज़्यादा तेज़ी से सीखते हैं. इसलिये टैक्नॉलॉजी में ये सम्भावना मौजूद है जिसके ज़रिये हम और ज़्यादा बहु-भाषाई हो सकते हैं, व ज़्यादा तेज़ी से संचार कर सकते हैं.”