दक्षिण सूडान में, 2020 के दौरान हिंसा के मामलों में 42 प्रतिशत की कमी

दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन - उनमिस (UNMISS) की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश वर्ष 2020 की तुलना में, साल 2021 में आम लोगों के ख़िलाफ हुई हिंसक घटनाओं में 42 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
दक्षिण सूडान में, आम लोगों को प्रभावित करने वाली हिंसा के बारे में, उनमिस की मानवाधिकार शाखा की वार्षिक जानकारी में ऐसे तीन हज़ार 414 आम लोगों के मामले दर्ज किये गए हैं जो या तो मारे गए, या घायल हुए, कुछ का अपहरण हुआ, और कुछ को संघर्ष सम्बन्धी यौन हिंसा का निशाना बनाया गया.
कुल पीड़ितों में से लगभग 75 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 14 प्रतिशत मामलों में महिलाएँ पीड़ित थीं, और 11 प्रतिशत बच्चे थे.
उनमिस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि वर्ष 2020 के दौरान, पीड़ित आम लोगों की संख्या 5 हज़ार 850 थी.
संघर्ष सम्बन्धी यौन हिंसा के मामलों में भी कुछ गिरावट दर्ज की गई है जो वर्ष 2020 में 211 और 2021 में कम हो कर 194 रहे, मगर फिर भी ये अस्वीकार्य रूप से बहुत ज़्यादा संख्या है.
हताहत हुए ज़्यादातर लोग, समुदाय आधारित सशस्त्र मिलिशिया के हमलों के निशाना बने.
मई 2021 में, हिंसा में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई जिसमें 230 लोग मारे गए और 120 घायल हुए. 178 लोगों का अपहरण किया गया, और 14 महिलाओं को संघर्ष सम्बन्धित यौन हिंसा का निशाना बनाया गया.
रिपोर्ट कहती है कि अनेक प्रान्तों में ऐसे जातीय मिलिशिया के बीच भी लड़ाई में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई जो संघर्ष के परम्परागत पक्षों से सम्बद्ध हैं.
इस हिंसा में 440 लोगों की मौत हुई, 18 घायल हुए और 74 लोगों का अपहरण किया गया. 64 व्यक्तियों को यौन हिंसा का निशाना बनाया गया और लगभग 80 हज़ार लोग विस्थापित हुए.
उनमिस ने ऐसे ठिकानों पर ऐहतियाती तौर पर शान्तिरक्षक तैनात किये जो पूरे साल संघर्ष के लिये संवेदनशील बने रहे थे.
रिपोर्ट कहती है कि मिशन ने वर्ष, 2021 के दौरान 116 ऐसे अस्थाई अभियान ठिकाने स्थापित किये जिनके तहत छोटी व लम्बी दूरी की सतर्कता गश्तें लगाई गईं और आम लोगों के लिये सुरक्षा मज़बूत की गई.
इनके साथ ही, उनमिस ने स्थानीय, प्रान्तीय और राष्ट्रीय स्तर पर, राजनैतिक व सामुदायिक सम्पर्क भी क़ायम किये, जिनमें मानवीय-विकास-शान्ति के मिले-जुले गठजोड़ का रुख़ अपनाया गया.
उनमिस ने दक्षिण सूडान सरकार से, मानवाधिकार हनन व दुर्व्यवहार के मामलों की जाँच कराने का आग्रह किया है, चाहे वो मामले कहीं भी हुए हों.
ज़िम्मेदार तत्वों को जवाबदेह ठहराए जाने का भी आग्रह किया गया है, क्योंकि देश के अनेक हिस्सों में हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है.