सुरक्षित व नियमित प्रवासन के लिये, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने पर बल

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षित, व्यवस्थित व नियमित प्रवासन के लिये ‘ग्लोबल कॉम्पैक्ट’ पर यूएन महासभा में अपनी दूसरी रिपोर्ट पेश करते हुए, प्रवासन को मानवता व दुनिया के लिये बेहद अहम बताया है.
महासचिव गुटेरेश ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रवासन, जीवन की एक सच्चाई है और इससे समाज व अर्थव्यवस्थाएँ समृद्ध होते हैं.
मगर, उन्होंने आगाह किया कि उचित प्रबन्धन के अभाव में, प्रवासन से बड़ी चुनौतियाँ भी उत्पन्न हो सकती हैं – जीवन के त्रासद अन्त से लेकर, अधिकारों के हनन व सामाजिक तनावों तक.
“Now is the time for action on migration.” .@UNmigration presents a series of policy briefs complementing the UN Secretary General’s report on the implementation of the Global Compact for Migration https://t.co/PdxKA2TWqY
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यूएन प्रमुख ने इसके मद्देनज़र, प्रवासन के प्रभावी प्रबन्धन और प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिये अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को मज़बूती प्रदान करने का आग्रह किया है.
“ग्लोबल कॉम्पैक्ट, प्रवासन को सर्वजन के लिये कारगर बनाने के लिये अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के संकल्प को परिलक्षित करता है.”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने प्रवासियों के मेज़बान व उनके एकीकरण में मदद करने वाले देशों के साथ-साथ, प्रवासियों के मूल देशों, यात्रा मार्गों में स्थित देशों व गन्तव्य देशों के बीच सहयोग की सराहना की है.
उन्होंने सचेत किया कि इसके बावजूद, अभी अतिरिक्त प्रयास किये जाने होंगे.
यूएन महासचिव ने रिपोर्ट की प्रमुख अनुशंसाओं को साझा करते हुए चार प्राथमिकताएँ पेश की हैं.
पहला, समावेशी समाजों को बढ़ावा दिया जाना होगा, और कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई व पुनर्बहाली प्रयासों में प्रवासियों को शामिल करना होगा.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि यह बहुत ज़रूरी है कि सभी देशों की सरकारें, प्रवासियों के मानवाधिकारों की बेहतर ढंग से रक्षा करें, अति-आवश्यक सेवाओं की सुलभता में अवरोध दूर करें, प्रवासन मार्गों का विस्तार करें और जबरन वापिस भेजे जाने पर रोक लगाएँ.
दूसरा, सुरक्षित व नियमित प्रवासों को बढ़ावा दिया जाना होगा.
विश्व भर में, 80 फ़ीसदी से अधिक प्रवासियों की देशों के बीच आवाजाही सुरक्षित व व्यवस्थित ढंग से होती हैं, मगर अनियमित प्रवासन जारी रहने की एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ती है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि नाज़ुक हालात का सामना करने वाले प्रवासियों की रक्षा की जानी होगी, और आपदाओं व जलवायु संकट से प्रभावित प्रवासियों का भी ध्यान रखा जाना होगा.
तीसरा, प्रवासन के दौरान जीवन हानि और अन्य त्रासदियों की रोकथाम की जानी होगी.
पिछले सात वर्षों में, विश्व भर में 50 हज़ार से अधिक प्रवासियों की मौत दर्ज की गई है, जबकि वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है.
उन्होंने इन मौतों को सामूहिक शर्मिन्दगी का एक स्रोत बताते हुए मानव तस्करी के उन्मूलन को मानवीय अनिवार्यता और एक नैतिक व क़ानूनी दायित्व बताया.
महासचिव ने अपनी चौथी प्राथमिकता में क्षमता निर्माण पर बल दिया.
यूएन प्रमुख ने कहा कि सभी देशों में रचनात्मक सहयोग, ग्लोबल कॉम्पैक्ट का एक अहम घटक है.
उन्होंने इस क्रम में, प्रवासन के लिये यूएन नैटवर्क की ओर ध्यान आकृष्ट किया है, जिसमें इन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु एक क्षमता निर्माण तंत्र की स्थापना की गई है.
महासचिव ने भरोसा जताया कि समन्वित व एकजुट प्रयासों के ज़रिये साझा मानवता की रक्षा और सर्वजन के लिये अधिकार व गरिमा सुनिश्चित की जा सकती है.