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बालासोर के अस्थायी क्लीनिक में, चौबीसों घण्टे कोविड-19 के लिये RT-PCR परीक्षण उपलब्ध है.

भारत: ओडिशा में अस्थाई क्लीनिक के ज़रिये, स्वास्थ्य सेवाओं को मिली मज़बूती

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बालासोर के अस्थायी क्लीनिक में, चौबीसों घण्टे कोविड-19 के लिये RT-PCR परीक्षण उपलब्ध है.

भारत: ओडिशा में अस्थाई क्लीनिक के ज़रिये, स्वास्थ्य सेवाओं को मिली मज़बूती

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत के ओडिशा प्रदेश में, कोविड-19 के दौरान अपने साझीदारों के साथ मिलकर ऐसे अस्थाई क्लीनिक स्थापित किये, जिनसे लोगों को निर्बाध ढंग से अति-आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं.

बताया गया है कि ये सहायक स्वास्थ्य सुविधाएँ सफल साबित हुई हैं और अब इन्हें आपदा जोखिम प्रबन्धन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. कई अन्य राज्यों में भी ऐसे अस्थाई क्लीनिक स्थापित किए जा रहे हैं.

ओडिशा के बालासोर ज़िले में फ़कीर मोहन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (FMMCH) में सहायक स्वास्थ्य सुविधाओं (Auxiliary Health Facilities/AHF) में परीक्षण, टीकाकरण और आपातकालीन देखभाल के लिये मरीज़ों की क़तार लगी रहती है.

भारत में वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के दौरान, ओडिशा सरकार ने जून 2021 में बालासोर में सात स्थानों पर AHF की स्थापना की, ताकि लोगों को कोविड-19 के साथ-साथ, अन्य आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ भी निर्बाध रूप से प्रदान की जा सकें.

ओडिशा में AHF स्थापित करने के लिये, उच्च- गुणवत्ता वाले तम्बुओं का इस्तेमाल किया जाता है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मुहैया कराए हैं.

इन्हें आसानी से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है और स्वास्थ्य आपात स्थिति एवं प्राकृतिक ख़तरों के दौरान, चिकित्सा तम्बुओं के रूप में पुनर्निर्मित किया जा सकता है – ख़ासतौर पर, गर्भवती महिलाओं, माताओं और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों की देखभाल के लिये. 

भारत में कोविड संक्रमण मामलों में बढ़ोत्तरी के बाद, योरोपीय संघ के मानवीय सहायता के सहयोग से, भिन्न-भिन्न आकारों के लगभग 128 तम्बू ओडिशा को प्रदान किये गए. 9 जून 2021 को AHFs में स्वास्थ्य सेवाएँ शुरू कर दी गईं.

भोगराई में पंजीकरण और कोविड-19 टीकाकरण सत्र चल रहा है.
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भोगराई में पंजीकरण और कोविड-19 टीकाकरण सत्र चल रहा है.

बालासोर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर दुलालसेन जगतदेव ने बताया, “हमें एक ऐसे समय पर AHF प्रदान किये गए थे, जब मई 2021 में दूसरी लहर के दौरान हम परीक्षण करने और बुख़ार की निगरानी के लिये क्लीनिक चलाने में संघर्ष कर रहे थे."

"अस्पतालों पर भारी बोझ था. यहाँ तक कि कोविड-19 टीकाकरण के लिये जगह मिलना भी परेशानी का कारण बन गया था."

"ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन परेशानियों का समाधान  किया. समय पर मदद मिलने से, अस्पताल की क्षमता बढ़ी और हमें जीवन बचाने के लिये उपयुक्त सुविधाएँ मिलीं.”

कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य सुविधाएँ

AHF के ज़रिये एक ऐसे ज़िले में, उपचार और देखभाल को घर-घर ले जा पाना सम्भव हुआ है, जोकि बाढ़, चक्रवात, तूफ़ान और ताप लहरों के नज़रिये से सम्वेदनशील है.

56 वर्षीय शिक्षक, बीरेन्द्र राउत, मार्च 2020 में बालासोर में कोविड-19 से संक्रमित होने वाले पहले मरीज़ थे.

लेकिन उनके ज़िले में इलाज न उपलब्ध होने के कारण, उन्हें 200 किलोमीटर यात्रा करके, राजधानी भुवनेश्वर में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में इलाज के लिये जाना पड़ा.

भारत के ओडिशा राज्य के बालासोर ज़िले में सहायक स्वास्थ्य सुविधा में, कोविड-19 के टीके लगाए जाते हुए.
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भारत के ओडिशा राज्य के बालासोर ज़िले में सहायक स्वास्थ्य सुविधा में, कोविड-19 के टीके लगाए जाते हुए.

उन्होंने बताया, "मुझे घर से बहुत दूर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अलगाव, भय और उचित उपचार की कमी से मैं काफ़ी चिन्तित था."

"FMMCH में बुख़ार के मामलों, परीक्षण और टीकाकरण के लिये स्थापित AHF सुविधा विशाल, सुव्यवस्थित और मरीज़ों की ज़रूरतों के अनुकूल हैं. मैंने वहीं अपनी पत्नी का टीकाकरण करवाया.”

इन अस्थाई क्लीनिक्स में आरटी-पीसीआर और आरएटी परीक्षण की परीक्षण सुविधा में ढाई लाख से अधिक नमूने एकत्र किए गए, जिनमें से लगभग साढ़े 13 हज़ार संक्रमण मामलों की पुष्टि हुई.

इस अवधि के दौरान 53 हज़ार से अधिक टीके भी दिये गए.

आपदा के दौरान मदद

26 मई 2021 को ओडिशा में आने वाले चक्रवात ‘यास’ के दौरान भी ये स्वास्थ्य सुविधाएँ - AHFs बहुत प्रभावी रहीं.

ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फ़ोर्स और अन्य विभागों के सहयोग से, राज्य सरकार ने चक्रवात से बुरी तरह प्रभावित, भोगराई जैसे दूरदराज़ के तटीय क्षेत्रों में AHF स्थापित किये.

अपनी गर्भवती बहू शिल्पा गिरि के साथ वहाँ आने वाली, सीता रानी गिरि ने का कहना था, “कोविड -19 परीक्षण और टीकाकरण, अब अस्पताल के बाहर इन खुले, हवादार तम्बुओं में किये जा रहे हैं."

"मैं इससे बहुत सुरक्षित महसूस करती हूँ. मुझे आज कोविड वैक्सीन का दूसरा और मेरी बहू को पहला टीका लगा है.” 

जिन क्षेत्रों में कोविड संक्रमण मामले कम हैं, वहाँ ग्रामीण और कमज़ोर समुदायों को सुदृढ़ एवं एकीकृत स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिये AHF दोबारा तैयार किये गए हैं. 

बाढ़, चक्रवात, तूफ़ान की लहरों और गर्मी की लहरों की चपेट में आने वाले इस ज़िले में, AHF उपचार और देखभाल सुविधाएँ घर के क़रीब पहुँचाई गईं.
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बाढ़, चक्रवात, तूफ़ान की लहरों और गर्मी की लहरों की चपेट में आने वाले इस ज़िले में, AHF उपचार और देखभाल सुविधाएँ घर के क़रीब पहुँचाई गईं.

भद्रक यूनिट में WHO निगरानी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अर्चना गायेन कहती हैं, “AHF ने चौबीसों घण्टे परीक्षण सम्भव बनाया है और मज़बूत निगरानी, प्रसार की रोकथाम और सीमान्त इलाक़ों में बुनियादी स्वास्थ्य ढाँचे को मज़बूत करने में योगदान किया है."

"जिन लोगों ने संक्रमण के डर से आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये अस्पताल जाना बन्द कर दिया था, वे अब AHF में सुरक्षित ढंग से स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं.”

नियमित स्वास्थ्य सेवाओं के लिये कारगर

भोगराई के स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ब्रजा दुलाल कार ने बताया कि कोविड-19 परीक्षण और टीकाकरण के अलावा, एएचएफ़ का उपयोग मधुमेह क्लीनिक के रूप में, नियमित टीकाकरण गतिविधियों, बैठकों, और सामाजिक जागरूकता व निमोनिया को बेअसर करने की कार्रवाई के लिये, स्वास्थ्य देखभालकर्मियों के प्रशिक्षण के लिये भी किया जा रहा है.

इसके अलावा, नवम्बर में, नवजात देखभाल सप्ताह के दौरान, यहाँ माताओं और नवजात शिशुओं को प्रसव पूर्व देखभाल सुविधाएँ भी प्रदान की गई थीं.”

भारत में विश्व सवास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि, डॉक्टर रॉड्रिको एच ऑफ़्रिन ने कहा, “छह राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिज़ोरम, नागालैण्ड और ओडिशा के 51 इलाक़ों में, कोविड लहर के दौरान चिकित्सा क्षमता बढ़ाने में AHF, अत्यधिक अहम साबित हुए हैं."

"ओडिशा के अलावा, चार पूर्वोत्तर राज्यों -अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिज़ोरम और नागालैण्ड के 45 ज़िलों में एएचएफ़ चल रहे हैं. इनका उपयोग, सुविधाजनक तरीक़े से सेवा प्रदान करते हुए, बुख़ार की निगरानी व इलाज, टीकाकरण स्थल और परीक्षण केन्द्रों के रूप में किया जा रहा है."

एएचएफ़ को आसानी से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है और आपात परिस्थितियों के दौरान चिकित्सा तम्बुओं के रूप में पुन: उपयोग किया जा सकता है.
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एएचएफ़ को आसानी से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है और आपात परिस्थितियों के दौरान चिकित्सा तम्बुओं के रूप में पुन: उपयोग किया जा सकता है.

उनका कहना है कि तीन अन्य राज्यों - असम, बिहार और झारखण्ड में भी भावी ख़तरों, महामारी व आपात स्थिति से निपटने की तैयारी के लिये इन्हें तत्परता से अपनाया गया है. 

डॉक्टर ऑफ़्रिन ने बताया कि चिकित्सा आपूर्ति में कमियों को दूर करने, और एएचएफ़ के ज़रिये भारत की जवाबी कार्रवाई में सहयोग देने और स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के प्रयासों में, WHO, योरोपीय संघ के मानवीय सहायता समूह के साथ अपनी साझेदारी को महत्वपूर्ण मानता है.