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'नज़र आने लगा है जलवायु परिवर्तन का असर', अनूकूलन पर बल

बांग्लादेश में क्षरण के कारण क्षतिग्रस्त हुए एक घर से ईंटें निकाली जा रही हैं.
Climate Visuals Countdown/Moniruzzaman Sazal
बांग्लादेश में क्षरण के कारण क्षतिग्रस्त हुए एक घर से ईंटें निकाली जा रही हैं.

'नज़र आने लगा है जलवायु परिवर्तन का असर', अनूकूलन पर बल

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र के अन्तरसरकारी आयोग (IPCC) की सोमवार को एक वर्चुअल बैठक शुरू हुई है, जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, अनुकूलन और सम्वेदनशीलता पर आधारित एक रिपोर्ट पर चर्चा होगी.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के महासचिव पेटेरी टालस ने बैठक को सम्बोधित करते हुए चिन्ता जताई कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को दुनिया भर में देखा जा सकता है.

इस बैठक के दौरान, आईपीसीसी के दूसरे कार्यसमूह (Second IPCC Working Group) की रिपोर्ट को स्वीकृति दी जानी है, जोकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, अनुकूलन और सम्वेदनशीलता पर आधारित है. 

वर्किंग समूह का यह योगदान, इस महीने के अन्त में आईपीसीसी की छठी समीक्षा रिपोर्ट (Sixth Assessment Report) में शामिल किया जाएगा.

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आईपीसीसी के पहले कार्यसमूह (First IPCC Working Group) की रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के भौतिक विज्ञान पर ध्यान केंद्रित किया गया, और इसने पिछले वर्ष ग्लासगो में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप26) में चर्चा को प्रभावित किया.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी टालस ने प्रतिनिधियों को ध्यान दिलाते हुए कहा कि एक भी राष्ट्राध्यक्ष ने वैज्ञानिक तथ्यों पर सवाल खड़े नहीं किये हैं, और सन्देश को स्पष्टता से सुना गया है.

यूएन एजेंसी प्रमुख के अनुसार, विश्व के कुछ क्षेत्रों, विशेष रूप से अफ़्रीका, दक्षिणी एशिया और प्रशान्त द्वीपों में स्थित देश, जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से सम्वेदनशील हैं.

पिछले वर्ष मौसम विज्ञान संगठन ने पिछले पाँच दशकों के दौरान आपदा सम्बन्धी आँकड़ों पर अपनी एक रिपोर्ट प्रकाशित की.

रिपोर्ट के मुताबिक़, 20 वर्षों में साढ़े चार अरब लोगों ने एक बड़ी मौसम-सम्बन्धी आपदाओं का अनुभव किया है.

बेहतर समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों की मदद से हताहतों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है, मगर आर्थिक क्षति में नाटकीय वृद्धि हुई है. 

एक सप्ताह पहले ही, मेडागास्कर में ‘श्रेणी 4’ के जानलेवा चक्रवाती तूफ़ान बातीसिराय से मानव कल्याण और अर्थव्यवस्था को गम्भीर क्षति पहुँची है. 

“हमें इन तथ्यों पर जानकारी देते समय सावधानी बरतनी होगी. हमें स्वाभाविक परिवर्तिता के असर को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अलग करना होगा.”

तापमान वृद्धि सीमित रखने का लक्ष्य

वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने को महत्वाकाँक्षी माना गया है.

मगर, जलवायु परिवर्तन मामलों पर यूएन संस्था की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह बढ़ोत्तरी 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर देने से हालात को काफ़ी हद तक बदला सकता है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि इसके बाद के वर्षों में, जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों में 1.5 डिग्री सेल्सियस ही इच्छित नतीजे के रूप में देखा जाने लगा.

पैरिस में कॉप सम्मेलन के बाद ग्लासगो में कॉप26 वार्ता को अब तक की दूसरी सबसे सफल वार्ता के रूप में देखा जाता है, मगर 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य जीवित रखने में कठिनाइयाँ हैं. 

उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम जारी रखा जाना होगा.

अनुकूलन उपायों की अनिवार्यता

समुद्री जलस्तर में वृद्धि, हिमनदों के पिघलने और प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते रुझानों के मद्देनज़र, यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी प्रमुख ने अनुकूलन के महत्व पर बल दिया है.

उन्होंने सचेत किया कि जलवायु परिवर्तन के असर अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा, बुनियादी ढाँचे, जीवन व स्वास्थ्य पर नज़र आते हैं.

“हमें जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढलना है. इसका अर्थ सूखा, बाढ़, चक्रवाती तूफ़ान, ताप लहरें, जल क़िल्लत और तटीय इलाक़ों में जल भराव है.”

वर्ष 2022 में कॉप27 सम्मेलन, मिस्र के शर्म-अल-शेख़ में आयोजित होना है, और उसके बाद कॉप28 बैठक संयुक्त अरब अमीरात में होगी.

कार्रवाई में तेज़ी

पेटेरी टालस ने बताया कि अफ़्रीकी देशों और कैरीबियाई द्वीपों पर जलवायु कार्रवाई में पसरी खाई, अनुकूलन प्रयासों के नज़रिये से एक बड़ा अवरोध हैं. 

उन्होंने कहा कि आपदाओं से होने वाले असर का पूर्वानुमान लगाने के लिये, विश्व मौसम विज्ञान संगठन एक बहु-जोखिम समय पूर्व चेतावनी सेवा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

इस क्रम में, पर्यवेक्षण प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिये एक वित्त पोषण तंत्र और एक जल व जलवायु गठबंधन की ओर ध्यान आकृष्ट किया, जिसके तहत जल क़िल्लत पर ध्यान दिया जाएगा.

साथ ही, संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकऱण के साथ साझीदारी बढ़ाते हुए, जलवायु परिवर्तन व आपदाओं पर एक उत्कृष्ट केंद्र की स्थापना की जानी है. 

उन्होंने कहा कि समय पूर्व चेतावनी सेवाओं में अधिक धनराशि आवण्टित करने के लिये विश्व बैंक, योरोपीय संघ, यूएन विकास कार्यक्रम, हरित जलवायु कोष समेत अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर प्रयास किये जा रहे हैं.