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रेडियो मिराया: ‘हेट स्पीच’ और दुष्प्रचार के बीच, विश्वसनीय समाचार स्रोत

दक्षिण सूडान में रेडियो मिराया का एक कार्यक्रम
UNMISS
दक्षिण सूडान में रेडियो मिराया का एक कार्यक्रम

रेडियो मिराया: ‘हेट स्पीच’ और दुष्प्रचार के बीच, विश्वसनीय समाचार स्रोत

संस्कृति और शिक्षा

रेडियो मिराया, दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षा मिशन ने, शान्ति समझौते के क्रियान्वयन में मदद करने के लिये, वर्ष 2005 में शुरू किया था. इस शान्ति समझौते से, दक्षिण सूडान और सूडान के बीच लम्बे समय से चला आ रहा युद्ध ख़त्म हुआ था. रेडियो मिराया, देश में सबसे लोकप्रिय रेडियो स्टेशन और सूचना का एक भरोसेमन्द स्रोत बन गया है.

इस वर्ष के विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर, यूएन न्यूज़ ने, रेडियो मिराया में, दक्षिण सूडानी मूल के एक रेडियो प्रोड्यूसर गैब्रियेल जोसेफ़ शादर के साथ बातचीत की और यह युवा देश ख़ुद को, जब संघर्ष के बाद के दौर में ढालने करने की कोशिश कर रहा है, तो इस रेडियो स्टेशन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानना चाहा...

“तमाम दक्षिण सूडानी लोग आपसे कहेंगे कि उन्हें रेडियो बहुत पसन्द है, विशेष रूप से वो लोग, जो 1960 और 1970 के दौर में पैदा हुए, जब सोशल मीडिया नहीं था. जब यूएन शान्ति मिशन देश में आया तो, मैंने रेडियो मिराया के साथ काम करना शुरू किया, और पिछले 15 साल के दौरान, रेडियो ही मेरी ज़िन्दगी बन गया है.

दक्षिण सूडान में, ज़्यादातर आबादी ग्रामीण इलाक़ों में बसती है, जहाँ मज़बूत और भरोसेमन्द इण्टरनेट सेवा उपलब्ध नहीं है, अख़बार भी कभी-कभार ही पहुँचते हैं, और टेलीविज़न कवरेज भी नहीं है. इसलिये, सूचना व जानकारी हासिल करने का सबसे आसान साधन रेडियो ही है: आपको केवल बैटरी का ही इन्तेज़ाम करना है और बस.

रेडियो आप अपने खेतों में सुन सकते हैं, मवेशियों के पीछे-पीछे चलते हुए सुन सकते हैं, और आपकी ज़िन्दगी चलती रहती है. दक्षिण सूडान में बहुत से लोगों को पढ़ना-लिखना नहीं आता है, इसलिये वो रेडियो मिराया से प्रसारित होने वाली सूचना व जानकारी पर ही निर्भर हैं.

सूचना, शिक्षा और मनोरंजन

रेडियो मिराया पर शैक्षिक कार्यक्रम सुनते हुए कुछ बच्चे.
© UNICEF/Helene Sandbu Ryeng
रेडियो मिराया पर शैक्षिक कार्यक्रम सुनते हुए कुछ बच्चे.

रेडियो मिराया, अभी तक तो दक्षिण सूडान का सबसे बड़ा नैटवर्क है जो सूचना देता है, शिक्षित करता है और मनोरंजन भी करता है. इसके ज़्यादातर कार्यक्रम अंग्रेजी में होते हैं, मगर कुछ कार्यक्रम, आम भाषा - अरबी में भी होते हैं.

आम लोगों की आवाज़ें शामिल करने की हमारी बहुत कोशिश होती है, मगर हम अधिकारियों और आम नागरिकों के बीच एक कड़ी बनाने का भी काम कर रहे हैं, ताकि आम लोगों को सूचना व जानकारी मिल सके, और अधिकारियों को उन लोगों की राय भी मिल सके जिनका वो प्रतिनिधित्व करते हैं.

हम बहुत से विषयों व मुद्दों पर कार्यक्रम पेश करते हैं, जो अन्य रेडियो स्टेशन नहीं कर सकते, जिनमें राजनीति से लेकर जीवन शैली, युवाओं के मुद्दे, और लैंगिक मुद्दे शामिल हैं. हम हर शनिवार को एक गम्भीर चर्चा भी आयोजित करते हैं. हम जो संगीत प्रसारित करते हैं, उसमें लगभग 70 प्रतिशत दक्षिण सूडानी होता है, और हम स्थानीय संगीतज्ञों के साथ-साथ, पड़ोसी क्षेत्रों, अफ़्रीका के अन्य हिस्सों, और विश्व के अन्य हिस्सों के संगीतज्ञों को भी बहुत प्रोत्साहन देते हैं.

यूएन शान्तिरक्षा मिशन की विभिन्न इकाइयों का काम दिखाने के लिये भी हम कार्यक्रम पेश करते हैं. उदाहरणस्वरूप, हमने यूएन पुलिस और अपराध कम करने के लिये किये जा रहे उनके काम के लिये, एक कार्यक्रम समर्पित कर रखा है. एक अन्य कार्यक्रम संघर्ष का समाधान निकालने और शान्ति को बढ़ावा देने के लिये समर्पित है. इनके अलावा स्वास्थ्य के बारे में, बच्चों के बारे में, युवाओं के बारे में, और महिलाओं को समर्पित कार्यक्रम भी प्रसारित होते हैं.

शान्ति समझौते की कवरेज, हमारे सभी कार्यक्रमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहता है. हम, संसद, राष्ट्रपति भवन या मंत्रिपरिषद में होने वाली महत्वपूर्ण गतिविधियों की सीधी कवरेज करते हैं, साथ ही, हम विभिन्न क्षेत्रों के लिये, स्थानीय विषय और मुद्दे उठाने के लिये भी चर्चाओं पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं.

इस रेडियो स्टेशन की बदौलत ही, बहुत से दक्षिण सूडानी लोग, संघर्ष, शान्ति समझौते के क्रियान्वयन, मानवीय स्थिति, और मानवाधिकार व आम लोगों की सुरक्षा के बारे में समझ पैदा कर सके हैं.

‘फ़ेक न्यूज़’ और ‘हेट स्पीच’

संयुक्त राष्ट्र में सेनेगल के राजदूत फ़ोडे सैक से बातचीत करते हुए, रेडियो मिराया के पत्रकार गैब्रीयेल शादर (दिसम्बर 2016)
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संघर्ष के दौरान ‘हेट स्पीच’ यानि नफ़रत भरी भाषा का फैलाव एक प्रमुख मुद्दा रहा है. लोगों के बीच बातचीत के ज़रिये, और विशेष रूप से सोशल मीडिया के ज़रिये, देश के बाहर रहने वाले लोगों के ज़रिये, हुत बड़े पैमाने पर 'हेट स्पीच' फैल रही है.

हमें हर दिन इसका सामना करना होता है, हर मामले में अलग तरह से. सोशल मीडिया और गलियों-सड़कों पर जो कुछ नफ़रत भरा कहा जा रहा होता है, हमें उसका सटीक मुक़ाबला करना होता है.

हेट स्पीट इस स्तर तक पहुँच गई है कि कुछ लोग, हमारे रेडियो स्टेशन के भी फ़र्ज़ी फ़ेसबुक पन्ने बना रहे हैं, और हमें, उन फ़र्ज़ी पन्नों को बन्द कराने के लिये कई बार फ़ेसबुक से सम्पर्क करना पड़ा.

इन फ़र्ज़ी फ़ेसबुक पन्नों को तैयार करने वाले लोग, बहुत सारी हेट स्पीच और दुष्प्रचार फैलाते हैं, जो हमारी असल तस्वीर पेश नहीं करते और ना ही हमारे रेडियो स्टेशन की सम्पादकीय नीति से मेल खाते हैं.

यहाँ तक कि कुछ लोगों ने सोशल मीडिया से, झूटी कहानियों के ‘स्क्रीन शॉट’ (तस्वीरें) खींचकर, यह कहते हुए हमारे पन्नों पर लगा दी हैं, कि वो कहानियाँ हमने प्रकाशित की हैं.

सिविल सोसायटी संगठनों के बहुत से कार्यकर्ताओं और संस्थाओं ने, ख़ुद को हेट स्पीट का मुक़ाबला करने के लिये समर्पित कर दिया है, और हम उनकी गतिविधियों पर भी कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे हैं, उन्हें अपने कार्यक्रमों में बुलाकर मुद्दों पर बातचीत भी की जाती है. मेरा ख़याल है कि हम कामयाब रहे हैं, क्योंकि अभी तक तो हम ही, देश के सर्वाधिक भरोसेमन्द रेडियो स्टेशन में से एक रहे हैं."