युगाण्डा को, डीआरसी को करोड़ों डॉलर का मुआवज़ा देने का आदेश

अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने बुधवार को अपने एक निर्णय में युगाण्डा को, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) को साढ़े 32 करोड़ डॉलर का मुआवज़ा देने का आदेश दिया है. यह फ़ैसला, दोनों देशों के बीच वर्ष 1998 से 2003 के दौरान चले हिंसक संघर्ष से जुड़े मामले में सुनाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र की उच्चतम अदालत ने बुधवार को अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि डीआरसी को साढ़े 22 करोड़ डॉलर का मुआवज़ा, व्यक्तियों और समुदायों को पहुँची क्षति के लिये देना होगा.
विश्व की सर्वोच्च अदालत के मुताबिक़, युगाण्डा ने अपने अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन किया है.
इसमें जान हानि, बलात्कार, बाल सैनिकों की भर्ती और आमजन का विस्थापन शामिल है.
READ HERE: a summary of the #ICJ Judgment on the question of reparations in the case concerning Armed Activities on the Territory of the Congo (#DRC v. #Uganda) https://t.co/0d6FBDrZYy pic.twitter.com/6PtL8vho33
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इसके अलावा, डीआरसी को चार करोड़ डॉलर सम्पत्तियों को पहुँचे नुक़सान और छह करोड़ डॉलर प्राकृतिक संसाधनों की क्षतिपूर्ति के रूप में देना होगा.
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) ने अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में पहली बार मामला, जून 1999 में दाख़िल किया था.
डीआरसी ने अपने क्षेत्र में युगाण्डा के सशस्त्र आक्रामण का आरोप लगाते हुए कहा था कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अफ़्रीकी एकता संगठन के चार्टर का खुल्ला उल्लंघन है.
युद्ध के चरम दिनों में नौ से अधिक अफ़्रीकी देश लड़ाई का हिस्सा बन गए थे.
इससे पहले, न्यायालय ने दिसम्बर 2005 में अपने आदेश में युगाण्डा से, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य को मुआवज़ा देने का निर्णय सुनाया था.मगर, दोनों पक्षों में इस विषय पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी.
अब युगाण्डा को पाँच वार्षिक क़िस्तों में कुल 32 करोड़ 50 लाख डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया गया है.
अदालत के फ़ैसले के तहत, युगाण्डा को हर वर्ष साढ़े छह करोड़ डॉलर की रक़म चुकानी होगी, जिसकी पहली क़िस्त सितम्बर में देने का निर्दश दिया गया है.
अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय को विश्व अदालत के रूप में भी जाना जाता है, जोकि संयुक्त राष्ट्र का उच्चतम न्यायिक अंग है.
देशों द्वारा कोर्ट के संज्ञान में क़ानूनी विवादों को लाये जाने के बाद उनका निपटारा अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत किया जाता है.
साथ ही अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र के अधिकृत अंगों और विशेषीकृत एजेंसियों द्वारा पूछे गए क़ानूनी प्रश्नों पर, परामर्श प्रदान करता है.
देशों के बीच विवादों पर न्यायालय का निर्णय बाध्यकारी होता है.
नैदरलैण्ड्स के हेग शहर में स्थित अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है.