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उम्र दराज़ लोगों के लिये एआई के लाभ और ख़तरे रेखांकित

एक उम्र दराज़ व्यक्ति स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करते हुए.
Unsplash/Joshua Hoehne
एक उम्र दराज़ व्यक्ति स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करते हुए.

उम्र दराज़ लोगों के लिये एआई के लाभ और ख़तरे रेखांकित

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence - AI) प्रौद्योगिकियाँ उम्रदराज़ लोगों के स्वास्थ्य व रहन-सहन को बेहतर बना सकती हैं, बशर्ते कि इन प्रौद्योगिकियों के डिज़ायन, क्रियान्वयन और प्रयोग में से, उम्र की छाप यानि आयुवाद को हटा दिया जाए.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने Ageism in artificial intelligence for health नामक अपने नए नीति-पत्र में कुछ ऐसे क़ानूनी, क़ानून-इतर और तकनीकी उपाय प्रस्तुत किये हैं जिनका प्रयोग, एआई के ज़रिये आयुवाद में तेज़ी लाने या उसकी पहचान कराने के जोखिम को कम किया जा सकता है.

एजेंसी के अनुसार, कृत्रिम गुणवत्ता, बहुत से क्षेत्रों में क्रान्तिकारी बदलाव ला रही है जिनमें उम्र दराज़ लोगों के लिये सार्वजनिक स्वास्थ्य और औषधि भी शामिल हैं. 

ये टैक्नॉलॉजी स्वास्थ्य जोखिमों और घटनाओं के बारे में अनुमान लगाने में मदद कर सकती है, औषधि विकास सम्भव बना सकती है, स्वास्थ्य देखभाल प्रबन्धन को व्यक्तिगत रूप देने में सहारा दे सकती है और उससे भी कहीं ज़्यादा.

जोखिम

अलबत्ता, कुछ चिन्ताएँ भी हैं. एआई टैक्नॉलॉजी को अगर बे-लगाम छोड़ दिया जाए तो समाज में मौजूदा आयुवाद में और इज़ाफ़ा कर सकती है; और उम्र दराज़ लोगों को मिलने वाली स्वास्थ्य व सामाजिक देखभाल की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप में प्रभावित कर सकती है.

उम्र दराज़ लोग अपने दैनिक जीवन में, टैक्नॉलॉजी के साथ किस तरह तालमेल बिठाते हैं, इस बारे में त्रुटिपूर्ण क़यास, इन प्रौद्योगिकियों के डिज़ायन और पहुँच को सीमित कर सकते हैं. 

त्रुटिपूर्ण क़यासों के कारण, अन्तर-पीढ़ी सम्पर्क कम हो सकता है और डिजिटल पहुँच में मौजूद बाधाएँ और गहरी हो सकती हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन में जनसांख्यिकी और स्वस्थ आयु वृद्धि इकाई की प्रमुख ऐलाना ऑफ़िसर के अनुसार, समाज में, बढ़ी उम्र के इर्द-गिर्द मौजूद पूर्वाग्रहों की अक्सर, इस क्षेत्र में भी पुनरावृत्ति होती है.

उन्होंने कहा, “एआई की लाभकारी भूमिका सुनिश्चित करने के लिये, आयुवाद की शिनाख़्त करके, एआई प्रौद्योगिकियों के डिज़ायन, विकास, प्रयोग और मूल्यांकन से उसे हटाना होगा. नए नीति-पत्र में यही दिखाया गया है कि ये कैसे किया जा सकता है.”

कुछ सम्पन्न देशों में कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी काफ़ी पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है.
Unsplash/Possessed Photography
कुछ सम्पन्न देशों में कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी काफ़ी पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है.

ध्यान – विचार

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नए दस्तावेज़ में, आठ बिन्दुओं का प्रस्ताव किया है जिनमें वृद्ध लोगों की भागीदारी से तैयार किये गए एआई डिज़ायन, आयु विविधता वाली डेटा विज्ञान टीमें और आयु समावेशी डेटा एकत्रीकरण शामिल हैं. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने वृद्ध जन और उनके स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदाताओं व देखभाल कर्मियों के लिये, डिजिटल ढाँचे और डिजिटल साक्षरता में निवेश का मुद्दा भी उठाया है. 

एजेंसी ने, एआई के नए प्रयोगों को समझने और पूर्वाग्रहों को दूर करने; इन प्रौद्योगिकियों के विकास व क्रियान्वयन में ठोस नैतिक प्रक्रियाओं के लिये और ज़्यादा शोध किये जाने के लिये भी कहा है.

आयुवाद का मुक़ाबला

ये नीति-पत्र आयुवाद पर वैश्विक रिपोर्ट के सन्देशों से भी मेल खाता है, जो आयुवाद का मुक़ाबला करने वाले वैश्विक अभियान के लिये आधार मुहैया कराती है.

यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह रिपोर्ट, यूएन मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR), संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) और यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) के साथ मिलकर तैयार की है, जिसमें कहा गया है कि आयुवाद की छाप बहुत प्रबल और हानिकारक है, मगर इस छाप को ख़त्म भी किया जा सकता है. 

रिपोर्ट में स्वास्थ्य, रहन-सहन और अर्थव्यवस्थाओं के तमाम पहलुओं पर, आयुवाद के दूरगामी प्रभावों का विवरण भी प्रस्तुत किया गया है.

इस में, तीन साबित हो चुकी रणनीतियों में भी संसाधन निवेश करने की स्पष्ट ज़रूरत की तरफ़ ध्यान खींचा गया है: बेहतर नीतियाँ और क़ानूनी ढाँचे बनाना, शैक्षिक गतिविधियाँ, और अन्तरराष्ट्रीय पहलें व कार्यक्रम.

और अन्त में, रिपोर्ट में आयुवाद पर आँकड़ों व शोध को बेहतर बनाने और उम्र के इर्द-गिर्द बातचीत व विचारों को बदलने की ज़रूरत को रेखांकित किया गया है. जिसके लिये #AWorld4AllAges को वास्तविकता बनाने की बात भी कही गई है.