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अफ़ग़ानिस्तान व पड़ोसी देशों को समर्थन के लिये, 58 करोड़ डॉलर की अपील

अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में एक विस्थापित परिवार.
© UNOCHA/Sayed Habib Bidel
अफ़ग़ानिस्तान के कन्दाहार में एक विस्थापित परिवार.

अफ़ग़ानिस्तान व पड़ोसी देशों को समर्थन के लिये, 58 करोड़ डॉलर की अपील

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र प्रवासन संगठन (IOM) ने अफ़ग़ानिस्तान और छह पड़ोसी देशों में संकट-प्रभावित 36 लाख लोगों  की मानवीय और संरक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने, और स्थानीय समुदायों को सुदृढ़ बनाने के लिये 58 करोड़ 90 लाख डॉलर की एक अपील जारी की है. 

देश में हिंसक संघर्ष व टकराव के कारण, पिछले वर्ष, सात लाख से अधिक अफ़ग़ान नागरिकों को अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है. 

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अतीत के सालों में 55 लाख से अधिक लोग पहले से ही विस्थापन का शिकार हुए हैं. 

यूएन एजेंसी ने मंगलवार को एक बयान जारी कर बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में जारी संकट के कारण मानवीय आवश्यकताएँ और गहन हुई हैं. 

देश के भीतर और क्षेत्र में स्थित देशों की सीमाओं पर विस्थापन का जोखिम बढ़ा है.

पिछले साल अगस्त और दिसम्बर महीनों के दौरान, यूएन एजेंसी ने अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, कज़ाख़्स्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान में अपनी अभियान क्षमता बढ़ाई है और इन देशों में छह लाख लोगों तक मदद पहुँचाई गई है.

वर्तमान में, आपात आश्रय और ग़ैर-खाद्य वस्तुओं मुहैया कराये जाने के मामले में यूएन एजेंसी दूसरी सबसे बड़ी प्रदाता है और कड़ी सर्दी में विस्थापित आबादी को राहत मुहैया कराई जा रही है. 

प्रवासन संगठन ने देश की सीमाओं पर स्थापित केंद्रों के संचालन के साथ-साथ, कोविड-19 टीकाकरण समेत 12 प्रान्तों में स्वास्थ्य देखभाल की भी ज़िम्मेदारी ली है.

चिन्ताजनक हालात

मौजूदा हालात में महिलाओं और लड़कियों के लिये हालात ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो गए हैं, और उन्हें विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. 

चरमपंथी संगठन तालेबान ने अन्तरराष्ट्रीय सैन्य बलों की वापसी के बाद, अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर फिर से वर्चस्व स्थापित कर लिया था.

इससे पहले, तालेबान का देश पर 1990 के दशक से 2001 तक नियंत्रण रह चुका है.

तालेबान के आने के बाद से ही, अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामी क़ानून की कठोर व्याख्या को फिर से लागू किये जाने के सम्बन्ध में चिन्ताएँ जताई गई हैं, जिनके तहत लड़कियों का स्कूल जाना वर्जित है.

अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में बदलाव के बावजूद, यूएन प्रवासन एजेंसी ने देश में अपनी मौजूदगी बरक़रार रखी है. 

देश के 34 प्रान्तों में विस्थापित आबादियों व प्रवासियों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की गई है.

अफ़ग़ानिस्तान में शासन व्यवस्था के ध्वस्त होने के कगार पर पहुँचने की आशंका व्यक्त की गई है, और देश की आधी से अधिक आबादी को मानवीय राहत की ज़रूरत है.

विस्थापन जारी रहने की सम्भावना

यूएन एजेंसी ने बताया कि पिछले वर्ष, देश की सीमा पार कर ईरान और पाकिस्तान जाने वाले अफ़ग़ान नागरिकों की संख्या बढ़ी है, और यह रुझान आने वाले महीनों में भी जारी रह सकता है.

संगठन ने एक चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बढ़ती मानवीय ज़रूरतों के बीच, महत्वपूर्ण सेवाओं की सततता और सुलभता, आजीविकाओं की पुनर्बहाली और नाज़ुक हालात में रह रही आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने में विफलता हाथ लगने से विस्थापन व प्रवासन के मामलों में वृद्धि होगी.

36 लाख से अधिक लोगों की मानवीय और संरक्षण ज़रूरतों के मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने 58 करोड़ डॉलर से अधिक रक़म की एक अपील जारी की है.

जवाबी राहत अभियान के लिये धनराशि का इन्तज़ाम ना हो पाने की स्थिति में, अफ़ग़ानिस्तान में सामाजिक व आर्थिक हालात का बद से बदतर होना जारी रहने की आशंका है.

इन हालात में, देश में पिछले दो दशकों में कड़ी मेहनत से दर्ज की गई प्रगति की दिशा पलट जाने का जोखिम है.