वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

वैश्विक प्रगति के बावजूद, आमजन में असुरक्षा का बढ़ता अहसास - UNDP रिपोर्ट

फ़िलिपीन्स के क्वियापो में कोविड-19 महामारी से बचाव के लिये लोगों ने फ़ेस मास्क पहना है.
IMF/Lisa Marie David
फ़िलिपीन्स के क्वियापो में कोविड-19 महामारी से बचाव के लिये लोगों ने फ़ेस मास्क पहना है.

वैश्विक प्रगति के बावजूद, आमजन में असुरक्षा का बढ़ता अहसास - UNDP रिपोर्ट

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्षों से दर्ज की गई प्रगति के बावजूद, लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है और हर 7 में से 6 लोगों में यह अहसास महसूस किया जा सकता है. इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने प्रगति की फिर से व्याख्या किये जाने और एकजुटता व विकास प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया गया है. 

यूएन एजेंसी ने मंगलवार को मानव सुरक्षा पर अपनी रिपोर्ट, ‘New Threats to Human Security in the Anthropocene’, जारी की है, जिसके अनुसार वैश्विक विकास पथ पर आगे बढ़ने का अर्थ, अपने आप, सुरक्षा भावना का मज़बूत होना नहीं है.

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रिपोर्ट में नए आँकड़ों और विश्लेषण के ज़रिये यह स्पष्ट किया गया है कि लगभर हर देश में, आमजन में सुरक्षा व सलामती की भावना निचले स्तर पर है.

इनमें धनी देश भी हैं, जहाँ अनेक वर्षों से विकास क्षेत्र में सफलताएँ दर्ज की गई हैं.

यूएन एजेंसी के प्रशासक एखिम स्टाईनर ने कहा, “निर्बाध आर्थिक प्रगति की तलाश में, हमने अपनी प्राकृतिक दुनिया को तबाह करना जारी रखा है, जबकि देशों के भीतर और उनके बीच विषमताएँ बढ़ रही हैं.”

“यह समय, भीषण दबाव झेल समाजों में संकेतों को पहचानने और वास्तव में प्रगति के अर्थ को फिर से निर्धारित करने का है.”

जिन देशों में लोग, बेहतर स्वास्थ्य, सम्पदा और शिक्षा नतीजों के उच्चतम मानकों से लाभान्वित हुए हैं, वे भी 10 वर्ष पहले की तुलना में ज़्यादा बेचैनी से ग्रस्त हैं.

विकास और सुरक्षा की भावना के बीच की दूरी को पाटने के लिये, रिपोर्ट में देशों के बीच ज़्यादा एकजुटता का आहवान किया गया है.

साथ ही, विकास मार्ग पर नए दृष्टिकोण को अपनाए जाने की आवश्यकता है, ताकि लोग अपनी चाहत, भय, बेचैनी और तिरस्कार से मुक्त जीवन जी सकें.

कार्रवाई का समय, अभी

रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि सुरक्षा भावना बढ़ाने के लिये प्रयास किये जाने होंगे. 

कोविड-19 महामारी के कारण, लगातार दूसरे वर्ष जन्म के समय जीवन प्रत्याशा (life expectancy) में गिरावट दर्ज की गई है और मानव विकास के अन्य उपायों की दिशा भी पलटी है.

आगामी वर्षों में जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ सकती है. 

कार्बन उत्सर्जन में कुछ हद तक कटौती सुनिश्चित किये जाने के बावजूद भी, इस सदी के अन्त तक तापमान में होने वाले बदलावों से, क़रीब चार करोड़ लोगों की मौत होने की आशंका व्यक्त की गई है. 

अध्ययन में कुछ ऐसे बड़े ख़तरों की पड़ताल की गई है, जोकि हाल के कुछ वर्षों में चिन्ताजनक ढंग से उभरे हैं. 

संरक्षण, सशक्तिकरण, एकजुटता

इनमें डिजिटल टैक्नॉलॉजी, विषमता, हिंसक संघर्ष, और कोविड-19 महामारी के कारण उपजी चुनौतियों और उनसे निपटने में स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता समेत अन्य ख़तरे हैं. 

यूएन विशेषज्ञों का कहना है कि इन ख़तरों से निपटने के लिये, नीति-निर्धारकों को संरक्षण, सशक्तिकरण, और एकजुटता का एक साथ ख़याल रखना होगा.

मानव सुरक्षा, ग्रह की परिस्थितियों पर विचार और मानव विकास को समन्वित ढंग से आगे बढ़ाए जाने की ज़रूरत है, ताकि एक समस्या के समाधान से अन्य के लिये मुश्किलें पैदा ना हों.

रिपोर्ट के अनुसार, भरोसे में लगातार हो रही कमी और असुरक्षा की भावना में सीधा सम्बन्ध है.

जिन लोगों में मानव असुरक्षा के अहसास का स्तर ऊँचा है, उनके द्वारा अन्य लोगों को भरोसे लायक़ मानने की सम्भावना तीन गुना कम होती है.