वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

चरम निर्धनता में वृद्धि चिन्ताजनक, सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा उपाय हैं ज़रूरी

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, दुनिया भर में, लगभग एक अरब लोगों को पर्पाय्त सामाजिक संरक्षा हासिल नहीं है जिनमें बहुत से दिहाड़ी विक्रेता भी शामिल हैं.
ILO Photo/Marcel Crozet
अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, दुनिया भर में, लगभग एक अरब लोगों को पर्पाय्त सामाजिक संरक्षा हासिल नहीं है जिनमें बहुत से दिहाड़ी विक्रेता भी शामिल हैं.

चरम निर्धनता में वृद्धि चिन्ताजनक, सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा उपाय हैं ज़रूरी

आर्थिक विकास

सामाजिक विकास के लिये यूएन आयोग का 60वाँ सत्र सोमवार को आरम्भ हुआ है, जिसमें कोविड-19 महामारी के कारण अत्यधिक निर्धनता और खाद्य असुरक्षा में, पिछले 20 वर्षों में पहली बार दर्ज की गई वृद्धि और इससे उपजी चुनौतियों से निपटने के उपायों पर चर्चा हो रही है.

सोमवार को बैठक के दौरान वैश्विक महामारी को मानवता के लिये एक बदलाव लाने वाला पड़ाव बनाने और सामाजिक संरक्षा प्रणालियों को सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध बनाये जाने की अपील की गई हैं. 

यूएन में आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग के अवर महासचिव लियू झेनमिन ने सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि वैश्विक महामारी ने सामाजिक नीतियों की अहम भूमिका को रेखांकित किया है.

“कोविड-19 संकट ने विषमताओं और  को गहरा किया है और वंचित रह जाने के विविध रूपों को उजागर किया है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अनेक देशों में आपात उपाय लागू किये गए हैं.

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यूएन के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस महामारी का एक मुख्य सबक़, संकट काल में सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा, आर्थिक व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना है.

एक अनुमान के अनुसार दिसम्बर 2020 से मई 2021 तक, सामाजिक संरक्षा पर कुल व्यय में 270 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह बढ़कर दो हज़ार 900 अरब डॉलर तक पहुँच गया है.

अवर महासचिव ने कहा कि इनमें से कई उपायों को अब स्थाई रूप दिया जाना होगा, ताकि 2030 टिकाऊ विकास एजेण्डा को पूरा किया जा सके.

संयुक्त राष्ट्र के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़, फ़िलहाल दुनिया चरम ग़रीबी के उन्मूलन के वैश्विक लक्ष्य के रास्ते से दूर है.

निर्णायक कार्रवाई के अभाव में अत्यधिक निर्धनता में जीवन गुज़ारने वाले लोगों की संख्या वर्ष 2030 तक 60 करोड़ पहुँचने की आशंका है, जोकि विश्व आबादी का सात प्रतिशत है.

चार प्राथमिकताएँ

लियू झेनमिन ने कहा कि पुनर्बहाली की ओर बढ़ते समय, चार प्राथमिकताओं पर ध्यान दिया जाना होगा.

पहला, आमजन में निवेश: आजीविकाओं के पुनर्निर्माण में स्वास्थ्य, शिक्षा और पहुँच के भीतर आवास की व्यवस्था अहम है. 

दूसरा, निर्धनता, भुखमरी, असमानता के विभिन्न कारकों को दूर किया जाना होगा, और आय सृजन के लिये उपयुक्त व शिष्य रोज़गार के अवसर पैदा करने होंगे.

तीसरा, सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षा प्रणालियों की व्यवस्था की जानी होगी, जिनका पर्याप्त, व्यापक और सतत होना महत्वपूर्ण है.

चौथा, खाद्य प्रणालियों को पहले से कहीं अधिक दक्ष, समावेशी, सुदृढ़ और टिकाऊ बनाना होगा.

संकट और अवसर

यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया और कोरोनावायरस संकट से लिये गए सबक़ पर विचार करने का आग्रह किया. 

उन्होंने कहा कि सामाजिक संरक्षा उपायों में बढ़ोत्तरी हुई है, मगर उन्हें विषमतापूर्ण ढँग से लागू किया गया है और विकसित व विकासशील देशों में बड़ी खाई है.

महासभा प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि मौजूदा विषमताओं के बावजूद, प्रयास दर्शाते हैं कि सामाजिक संरक्षा उपायों कारगर हैं और उनसे लोगों की ज़िन्दगियों व आजीविकाओं में बदलाव लाया जा सकता है.

उन्होंने सदस्य देशों से कहा कि वैश्विक महामारी को संकट व अवसर, दोनों रूपों में देखे जाने की आवश्यकता है.
“इसके लिये हमें अपनी मंशाओं में निडर व महत्वाकाँक्षी होना होगा और अपने कार्य में उदार बनना होगा.”

यूएन महासभा प्रमुख ने कार्रवाई के लिये चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों को रेखांकित किया है:

- टैक्नॉलॉजी, संसाधन और क्षमता में निवेश और उन्हें साझा किया जाना
- बुनियादी सेवाओं और ढाँचों की सार्वभौमिक सुलभता को प्राथमिकता
- प्रशिक्षण और शिक्षा अवसरों में निवेश
- उजागर हुई खाइयों को पाटने के लिये त्वरित प्रयास