तेज़ी से फैलने वाला एचआईवी वैरीएण्ट, प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर की दर दोगुनी

एचआईवी/एड्स के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी – यूएनएड्स (UNAIDS) के अनुसार एक नए शोध में एचआईवी वायरस के ऐसे वैरीएण्ट का पता चला है जोकि ज़्यादा तेज़ी से फैलता है और अधिक क्षति पहुँचा सकता है.
एचआईवी वैरीएण्ट के इस नए उप-प्रकार (subtype) से पीड़ित लोगों को अपने प्रतिरक्षा प्रणाली में गिरावट की दोगुनी रफ़्तार का सामना करना पड़ता है.
साथ ही, उनमें वायरस की मात्रा (viral load) भी अपेक्षाकृत अधिक होती है.
The identification of a fast-spreading #HIV variant provides evidence of urgency to halt the pandemic and reach all with testing and treatment. Read press release: https://t.co/6jvZ61208I pic.twitter.com/Yrme77rsF0
UNAIDS
बताया गया है कि वायरस के किसी अन्य प्रकार की तुलना में, इस वैरीएण्ट का पता चलने के बाद एड्स की बीमारी दो से तीन गुना तेज़ी से हो सकती है.
रीसर्च के मुताबिक़, यह वैरीएण्ट नीदरलैण्ड्स में कई वर्षों से फैल रहा है और उपचार से मदद सम्भव है.
ऑक्सफ़र्ड युनिवर्सिटी के ‘बिग डेटा इंस्टीट्यूट’ के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में अग्रणी भूमिका निभाते हुए, वायरस के subtype-B के सम्बन्ध में जानकारी दी है.
यूएनएड्स ने अपने एक प्रैस वक्तव्य में कहा है कि अध्ययन दर्शाता है कि वैश्विक महामारी को जल्द से जल्द रोके जाने की ज़रूरत है और हर किसी तक परीक्षण व उपचार का लाभ पहुँचाया जाना होगा.
लम्बे समय से जारी एचआईवी महामारी, हर मिनट में एक मौत होने का कारण है और वैज्ञानिकों ने काफ़ी समय से नए, ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाले वायरस के वैरीएण्ट के विकसित होने पर चिन्ता जताई है.
यूएनएड्स के अनुसार, वायरस का नया वैरीएण्ट, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये कोई बड़ा ख़तरा नहीं है, मगर यह एड्स के अन्त के लिये, यूएन के प्रयासों में तेज़ी लाने की अहमियत रेखांकित करता है.
कार्यक्रम के उप कार्यकारी निदेशक इमॉन्न मर्फ़ी ने कहा कि दुनिया भर में फ़िलहाल एचआईवी की अवस्था में रह रहे क़रीब एक करोड़ लोगों को एण्टीवायरल थेरेपी उपलब्ध नहीं है.
इससे वायरस को तेज़ी से फैलते रहने का अवसर मिलता है और भविष्य में नए रूप व प्रकारों के उभरने की आशंका बढ़ती है.
“हमें जल्द से जल्द अति-आधुनिक चिकित्सा नवाचारों को ऐसे तैनात करने की ज़रूरत है, जिनसे सर्वाधिक ज़रूरतमन्दों समुदायों तक पहुँचा जा सके.”
“चाहे यह एचआईवी उपचार हो, या फिर कोविड-19 वैक्सीन, सुलभता में विषमता, महामारियों को इस तरह से बढ़ाती जा रही हैं, जिनसे हम सभी को नुक़सान पहुँचता है.”
यूएन एजेंसी का कहना है कि एचआईवी, मौजूदा दौर का सबसे जानलेवा वैश्विक महामारी है.
1980 के दशक में पहली बार पता चलने के बाद, इस वायरस से सात करोड़ 90 लाख लोग संक्रमित हुए हैं, और इसके लिये फ़िलहाल कोई वैक्सीन या इलाज उपलब्ध नहीं है.
इस महामारी की शुरुआत से अब तक तीन करोड़ 60 लाख लोगों की एड्स-सम्बन्धी बीमारियों के कारण मौत हो चुकी है और वर्ष 2020 में 15 लाख नए संक्रमण मामलों का पता चला.
वायरस के साथ फ़िलहाल तीन करोड़ 80 लाख लोग जीवन गुज़ार रहे हैं.
इनमें से दो करोड़ 80 लाख लोगों को एण्टीरेट्रोवायरल थेरेपी उपलब्ध है, जिससे उनके जीवन की रक्षा करने और वायरस के फैलाव की रोकथाम करने में मदद मिलती है.