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यूक्रेन के इर्द-गिर्द बढ़ते तनाव के बीच, सुरक्षा परिषद की कूटनैतिक समाधान बैठक

यूक्रेन में एक स्कूल के बाहर गश्त लगाता एक सशस्त्र पुलिस अधिकारी. (फ़ाइल)
© UNICEF/ Ashely Gilbertson V
यूक्रेन में एक स्कूल के बाहर गश्त लगाता एक सशस्त्र पुलिस अधिकारी. (फ़ाइल)

यूक्रेन के इर्द-गिर्द बढ़ते तनाव के बीच, सुरक्षा परिषद की कूटनैतिक समाधान बैठक

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने, पिछले कुछ सप्ताहों से, यूक्रेन के इर्द-गिर्द बढ़ते तनावों के बीच, संकट को टालने के रास्तों पर विचार विमर्श के लिये, सोमवार को अपनी पहली बैठक आयोजित की है. हाल के सप्ताहों में ऐसी ख़बरें आई हैं कि रूस ने यूक्रेन की सीमा के निकट एक लाख से भी ज़्यादा सैनिक और भारी हथियार तैनात किये हैं.

संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डी कार्लो ने सुरक्षा परिषद के सदस्य राजदूतों को सम्बोधित करते हुए, यूएन महासचिव की ये अपील दोहराई कि “राजनय और बातचीत का कोई अन्य विकल्प नहीं है”.

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राजनैतिक और शान्तिनिर्माण मामलों की अवर महासचिव रोज़मैरी डी कार्लो ने हाल के सप्ताहों के दौरान उठी जटिल और दीर्घकालीन सुरक्षा चिन्ताओं व जोखिम परिदृश्यों की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने दोहराते हुए कहा कि रूस या उत्तर अटलाण्टिक सन्धि संगठन (NATO) की भागीदारी वाला कोई भी सैन्य हस्तक्षेप, हर हालत में टाला जाना होगा. ध्यान रहे कि दोनों पक्षों की सेनाएँ ‘हाई ऐलर्ट’ पर हैं.

उन्होंने कहा कि किसी देश द्वारा किसी अन्य देश पर किया गया अतिक्रमण, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के विरुद्ध होगा.

रोज़मैरी डी कार्लो के अनुसार, रूस ने यूक्रेन के सीमावर्ती क्षेत्र में एक लाख सैनिक तो तैनात किये ही हैं, उनके अतिरिक्त, फ़रवरी में यूक्रेन, पोलैण्ड और बाल्टिक देशों से मिलने वाली सीमाओं पर होने वाले संयुक्त सैन्य अभियान से पहले, कुछ सैनिक तैनात किये हैं जिनकी संख्या की अभी पुष्टि नहीं हुई है.

ऐसी ख़बरें हैं कि नैटो के सदस्य देश भी, पूर्वी योरोपीय देश – यूक्रेन में अतिरिक्त सैन्य तैनाती की योजना बना रहे हैं, और नैटो ने कहा है कि फ़िलहाल साढ़े 8 हज़ार सैनिक ‘हाई ऐलर्ट’ पर तैयार हैं.

कूटनैतिक प्रयास

रोज़मैरी डी कार्लो ने मौजूदा कूटनैतिक प्रयासों का स्वागत करते हुए यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र को ये उम्मीद है कि तनाव में कमी करने के प्रयासों से, योरोप में, शान्ति और सुरक्षा मज़बूत होंगे.

इन कूटनैतिक प्रयासों में 13 जनवरी को, योरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन की वियेना में हुई बैठक, और 21 जनवरी को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिन्केन व रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लैवरॉफ़ के बीच जिनीवा में हुई बैठकें होना शामिल हैं.

यूक्रेन में संघर्ष का समाधान तलाश करने के लिये, 2014 में गठित हुए – फ्रांस, जर्मनी, रूस और यूक्रेन के समूह की बैठक भी, 26 जनवरी को पेरिस में हुई है. इस समूह की एक और बैठक फ़रवरी के दूसरे सप्ताह में, बर्लिन में प्रस्तावित है.

संयुक्त राष्ट्र की राजनैतिक प्रमुख रोज़मैरी डी कार्लो ने कहा कि ये दूसरी बैठक, इस बात का संकेत है कि राजनय (कूटनीति) के अच्छे नतीजे मिल सकते हैं.

हालाँकि उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में कहा, “हम अब भी गहराई के साथ चिन्तित हैं कि अलबत्ता ये प्रयास जारी हैं, फिर भी योरोप के केन्द्र में ख़तरनाक सैन्य जमावड़े के बीच, तनाव भी बढ़ रहा है.”

उन्होंने सभी पक्षों से, भड़काऊ बयानबाज़ी से बचने और कूटनैतिक प्रयासों की सफलता के ज़्यादा से ज़्यादा अवसर सम्भव बनाने के लिये कार्रवाई करने का भी आग्रह किया.

यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में एक क्षतिग्रस्त इमारत के पास से गुज़रता एक बच्चा (फ़ाइल)
© UNICEF/Ashley Gilbertson V
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में एक क्षतिग्रस्त इमारत के पास से गुज़रता एक बच्चा (फ़ाइल)

यूएन कार्रवाई

यूएन अवर महासचिव ने ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, यूक्रेन में भी अपने शासनादेशों (Mandates) पर अमल करने के लिये प्रतिबद्ध और तत्पर हैं.

उन्होंने कहा, “मानवीय सहायता के लिये सुरक्षित और निर्बाध पहुँच और सुलभता का सम्मान किया जाना होगा ताकि लगभग 29 लाख ज़रूरतन्द लोगों तक सहायता पहुँचाई जा सके. इनमें से अधिकतर लोग, सरकार के नियंत्रण वाले इलाक़ों से बाहर हैं.”

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के अनुसार मार्च 2014 में, रूस द्वारा क्रीमिया को छीने जाने के कुछ ही समय बाद शुरू हुए इस संकट के कारण, 14 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. इनमें लगभग तीन हज़ार आम नागरिक हैं और सात हज़ार से ज़्यादा लोग घायल भी हुए हैं.

यूक्रेन सरकार के आँकड़ों के अनुसार, ये संघर्ष भड़कने से लेकर अब तक लगभग 15 लाख लोग, देश के भीतर ही विस्थापित भी हुए हैं.

रोज़मैरी डी कार्लो ने कहा कि मौजूदा कूटनैतिक प्रयासों पर, यूक्रेन के लोगों की नज़दीकी निगाहें टिकी हुई हैं. यूक्रेन के लोग एक ऐसे संकट में फँसे हुए हैं जिसने 14 हज़ार लोगों की ज़िन्दगियाँ लील ली हैं और दुखद रूप से, अभी समाधान से बहुत दूर नज़र आता है.

उन्होंने कहा कि ये दर्दनाक रूप से ज़ाहिर है कि यूक्रेन के इर्द-गिर्द या उसके भीतर किसी भी तरह की तनाव या संघर्ष वृद्धि के परिणाम, मौतों और तबाही के रूप में दिखेंगे.

यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में, 'सम्पर्क रेखा' के निकट एक गाँव का दृश्य. (फ़ाइल)
© UNICEF/Aleksey Filippov
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में, 'सम्पर्क रेखा' के निकट एक गाँव का दृश्य. (फ़ाइल)

अमेरिका

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, स्थिति को तात्कालिक और ख़तरनाक क़रार दिया.

उन्होंने कहा कि ये किसी को भी स्पष्ट रूप से नज़र आ सकता है कि मौजूदा स्थिति, शान्ति व सुरक्षा के लिये एक स्पष्ट व परिणामी ख़तरा है.”

उनके अनुसार, रूस के क़दम, ना केवल यूक्रेन के लिये ख़तरा उत्पन्न कर कर रहे हैं, बल्कि इनसे योरोप और अन्तरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिये भी जोखिम उत्पन्न हो रहा है.

उन्होंने कहा, “अगर इसके बाद भी रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, तो हम में से कोई भी यह नहीं कह सकेंगे कि हमने इस गम्भीरता को आते हुए नहीं देखा.” और परिणाम बहुत भयावह होंगे, इसलिये आज की ये बैठक बहुत अहम है.

“हम शान्ति की राह पर चलने की इच्छा रखते हैं. हम बातचीत के रास्ते की चाह रखते हैं. हम टकराव नहीं चाहते. लेकिन, अगर रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो, हम निर्णायक, त्वरित और एकजुट होंगे.”

रूस

रूस के राजदूत वैसिली नेबेंज़िया ने अपनी बारी पर बोलते हुए, एक बार फिर खण्डन किया कि उनके देश की, यूक्रेन पर हमला करने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाया कि

उसने वातोन्माद (hysteria) फैलाने के लिये, सुरक्षा परिषद की ये बैठक बुलाई है.

उन्होंने कहा, “हम ये क़तई नहीं समझ पा रहे हैं कि हम आज यहाँ इस बैठक में किस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, और दरअसल हम यहाँ इस बैठक में मौजूद ही क्यों हैं.”

रूस ने शुरुआत में ही, यूक्रेन के मुद्दे पर इस बैठक को रद्द करने के लिये, एक प्रक्रियात्मक मतदान कराने की मांग की थी, मगर इस प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला.

रूसी राजदूत ने एक लाख सैनिकों के जमावड़े सम्बन्धी आरोपों को नकारते हुए कहा कि ये तैनाती, रूसी क्षेत्र में है, ऐसी सैन्य तैनातियाँ पहले भी होती रही हैं, और कभी कोई बखेड़ा खड़ा नहीं हुआ.
रूसी राजदूत ने पश्चिमी शक्तियों पर ये आरोप भी लगाया कि वो यूक्रेन में हथियारों के भण्डार खड़े कर रहे हैं.

यूक्रेन

यूक्रेन के स्थाई प्रतिनिधि सर्गीय किसलित्सया ने दलील पेश करते हुए कहा कि मौजूदा संकट का कोई कूटनैतिक समाधान निकालने के लिये, सुरक्षा परिषद के भीतर गम्भीर बातचीत की बेहद गम्भीर ज़रूरत है.

उन्होंने बताया कि गत 22 दिसम्बर के बाद से, गोलीबारी, गोलाबारी और चालक हरित हवाई वाहनों (UAVs) द्वारा किये गए हमलों में, यूक्रेन के 12 सैन्यकर्मियों की मौत हुई है और 14 अन्य घायल हुए हैं.

उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि यूक्रेन कोई सैन्य हमला नहीं करने वाला है – ना डोनबस में, ना क्रीमिया में और ना ही किसी अन्य स्थान पर.

उन्होंने कहा कि यूक्रेन की नज़र में, मौजूदा संघर्ष का समाधान, शान्ति और देश की सम्प्रभुता व क्षेत्रीय अखण्डता बहाल किये जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.