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म्याँमार: आम लोगों की आवाज़ सर्वोपरि, यूएन प्रमुख का आग्रह 

म्याँमार में युवजन, लोकतंत्र के समर्थन में हो रहे एक प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं.
Unsplash/Pyae Sone Htun
म्याँमार में युवजन, लोकतंत्र के समर्थन में हो रहे एक प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं.

म्याँमार: आम लोगों की आवाज़ सर्वोपरि, यूएन प्रमुख का आग्रह 

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट का एक वर्ष पूरे होने के मौक़े पर, आम लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की है, और देश के समावेशी व लोकतांत्रिक समाज की दिशा में लौटने के लिये क़दम बढ़ाने का आहवान किया है. म्याँमार में सैन्य नेतृत्व ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई आंग सान सू ची सरकार को, एक फ़रवरी 2021 को बेदख़ल कर दिया था, जिसके बाद से देश राजनैतिक संकट से जूझ रहा है. 

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने रविवार शाम महासचिव गुटेरेश की ओर से एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें विविध संकटों से जूझ रहे म्याँमार में हालात पर चिन्ता व्यक्त की गई है.

उन्होंने कहा कि देश में गहन होती हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों, बढ़ती निर्धनता और सैन्य शासन के दौरान बदतर होती परिस्थितियों के प्रति उदासीनता से, संकट और भी ज़्यादा गहरा हुआ है.

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“म्याँमार में नाज़ुक हालात से जूझ रहे सभी लोगों, और उसमें क्षेत्रीय नतीजों के लिये, एक तात्कालिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि ज़रूरतमन्दों तक मानवीय राहत पहुँचाने के रास्ते खुले रखना, ज़मीनी स्तर पर सहायता अभियान जारी रखने के लिये संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों के लिये बेहद अहम है. 

“सशस्त्र बलों और सभी हितधारकों को मानवाधिकारों व बुनियादी स्वतंत्रताओं का सम्मान करना होगा. म्याँमार के लोगों को ठोस नतीजे देखने की ज़रूरत है.”

म्याँमार की सेना ने पिछले वर्ष 1 फ़रवरी को, आंग सान सू ची की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार और राष्ट्रपति विन म्यिन्त को सत्ता से बेदख़ल कर दिया था. 

साथ ही, देश में आपातकाल लागू करते हुए लोकतांत्रिक नेताओं को हिरासत में लिया गया. सैन्य बलों ने मार्शल लॉ लागू किये जाने के बाद, खुले स्थानों पर सैन्य तख़्तापलट का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का सख़्ती से दमन किया गया.  

नए सिरे से प्रयासों की दरकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने शुक्रवार, 28 जनवरी को ध्यान दिलाया था कि विरोध का स्वर मुखर करने के लिये 12 हज़ार से अधिक लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया.

इनमें से नौ हज़ार लोग अब भी हिरासत में हैं, जबकि कम से कम 290 लोगों की हिरासत में मौत हो चुकी है. इनमें से अधिकतर लोगों को यातना दिये जाने की आशंका व्यक्त की गई है.

देश भर में सशस्त्र झड़पों की आवृत्ति व गहनता बढ़ी है और रोहिंज्या समेत अन्य जातीय व धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं.

यूएन मानवाधिकार मामलों की प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने ज़ोर देकर कहा कि यह समय, मानवाधिकारों और लोकतंत्र को फिर से बहाल किये जाने के लिये, तत्काल, नए सिरे से प्रयास करने का है.

साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना होगा कि व्यवस्थागत ढंग से मानवाधिकार हनन और दुर्व्यवहारों के दोषियों की जवाबदेही तय की जाए. 

म्याँमार के यंगून शहर में चावल वितरण
© WFP/Kaung Htet Linn
म्याँमार के यंगून शहर में चावल वितरण

सक्रिय प्रयास

संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत नोएलीय हेज़र, म्याँमार के नेतृत्व में प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिये, सभी पक्षकारों के साथ सम्पर्क व बातचीत के लिये प्रयासरत हैं. 

महासचिव ने अपने वक्तव्य मे कहा कि विशेष दूत, तत्काल उपायों के लिये, संगठित प्रयास जारी रखेंगी. 

इस क्रम में, दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समूह (आसियान) और संयुक्त राष्ट्र के बीच सहयोग मज़बूत किया जाएगा, ताकि म्याँमार में आम लोगों की ज़रूरतों का ध्यान रखा जा सके. 

महासचिव गुटेरेश के मुताबिक़, देश में समावेशी सम्वाद हेतु सामर्थ्यवान माहौल के निर्माण के नज़रिये से यह बेहद अहम है.

मौजूदा संकट से प्रभावित होने वाले लोगों की आवाज़ों को ध्यान से सुनने और उनके साथ सीधी बातचीत के ज़रिये ही समाधान तलाश किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.

उन्होंने कहा कि देश की जनता को आवाज़ों को सुना और बढ़ावा दिया जाना होगा.