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म्याँमार: नागरिक शासन की बहाली के लिये, संगठित प्रयासों की दरकार

म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के विरोध में जन प्रदर्शन
Unsplash/Pyae Sone Htun
म्याँमार में सैन्य तख़्तापलट के विरोध में जन प्रदर्शन

म्याँमार: नागरिक शासन की बहाली के लिये, संगठित प्रयासों की दरकार

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, म्याँमार में सेना से देश के नागरिकों के ख़िलाफ़ हिंसक अभियान रोकने और नागरिक शासन की बहाली पर ज़ोर देने के लिये दबाव बनाने की अपील की है. ये अपील म्याँमार में एक फ़रवरी 2021 को हुए सैन्य तख़्तापलट की पहली वर्षगाँठ के अवसर पर की गई है.

मिशेल बाशेलेट ने बताया है कि इस सप्ताह उन्होंने ऐसे दृढ़ निश्चयी और साहसिक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत की है जिन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ देने का आग्रह किया है. बल्कि, उन्होंने ऐसे ठोस और असरदार उपाय करने का भी आग्रह किया है जिनसे उनके अधिकारों की रक्षा और सेना की जवाबदेही सुनिश्चित हो.

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पुकार सुनें

यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने कहा, “मैं क्षेत्र में और उससे भी परे, तमाम सरकारों व कारोबारों से, इस अपील को सुनने का आग्रह करती हूँ."

"ये म्याँमार में मानवाधिकार और लोकतंत्र की बहाली के लिये तात्कालिकता के साथ प्रयास बढ़ाने का समय है. साथ ही ये सुनिश्चित करने का भी समय है कि देश में व्यवस्थागत मानवाधिकार हनन और दुर्व्यवहारों की जवाबदेही निर्धारित की जाए.”

मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि उन्होंने रौंगटे खड़े कर देने वाली आपबीतियाँ सुनी हैं. मसलन पत्रकारों को प्रताड़ित किया जाना, फ़ैक्टरी कामगारों को डराया-धमकाया जाना, उन्हें जबरन ख़ामोश करना और उनका शोषण करना; और रोहिंज्या सहित, नस्लीय व धार्मिक अल्पसंख्यकों का सघन उत्पीड़न.

इनके अलावा, मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तारियाँ, बन्दीकरण और राजनैतिक विद्रोहियों पर फ़र्जी मुक़दमे चलाया जाना, तथाकथित छानबीन अभियानों के नाम पर ग्रामीणों को प्रताड़ित करना; और आबादी वाले इलाक़ों में अन्धाधुन्ध हमले करना, जिनमें हवाई हमलों व भारी हथियारों का प्रयोग किये जाने की ख़बरें भी मिली हैं.

उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद, साहसिक मानवाधिकार पैरोकारों और मज़दूर संगठनों ने प्रदर्शन, पैरोकारी, घटनाओं का रिकॉर्ड रखना और मानवाधिकार हनन के मामलों के सबूत एकत्र करना जारी रखा है. 

असहमति, बन्दीकरण और मृत्यु

म्याँमार में, फ़रवरी 2021 में, सैन्य तख़्तापलट के बाद से, सुरक्षा बलों ने असहमति को दबाने की कोशिश की है जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 1500 लोगों की मौत हुई है. 

इसमें देश भर में सघन हुई हिंसा और सशस्त्र संघर्ष के दौरान मारे गए हज़ारों अन्य लोगों की संख्या शामिल नहीं है.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने मानवाधिकार हनन के मामलों की जानकारी दैनिक आधार पर दर्ज की है, विशेष रूप से सुरक्षा बलों के हाथों हुए हनन की.

सेना से विरोध जताने के आरोप में, लगभग 12 हज़ार लोगों को मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाया गया है, चाहे ये विरोध शान्तिपूर्ण प्रदर्शनों के रूप में था या ऑनलाइन मंचों के ज़रिये.

अब भी लगभग 8 हज़ार 792 लोग हिरासत में हैं, और 290 लोगों की तो, हिरासत में ही मौत हो गई, जिसके लिये सम्भवतः प्रताड़ना को ज़िम्मेदार बताया जाता है.

म्याँमार में मानवाधिकार स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट मार्च 2021 में प्रकाशित की जाएगी.