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कोविड-19: महामारी अभी कुछ समय तक हमारे बीच रहेगी, WHO प्रमुख

इण्डोनेशिया का एक परिवार, अपने एक परिजन की क़ब्र पर, जिसकी मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से हुई.
© UNICEF/Jiro Ose
इण्डोनेशिया का एक परिवार, अपने एक परिजन की क़ब्र पर, जिसकी मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण से हुई.

कोविड-19: महामारी अभी कुछ समय तक हमारे बीच रहेगी, WHO प्रमुख

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को कहा है कि दुनिया को ये स्वीकार कहना होगा कि कोविड-19 हमारे साथ अभी काफ़ी समय तक रहने वाला है, भले ही इस महामारी का ख़तरनाक दौर वर्ष के अन्त तक हो जाए, तो भी.

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यूएन स्वासथ्य एजेंसी के प्रमुख ने जिनीवा में कहा कि बीते सप्ताह, औसतन प्रति तीन सेकण्ड की अवधि में संक्रमण के 100 मामले दर्ज किये गए, हर 12 सेकण्ड में, किसी एक व्यक्ति की मृत्यु, कोरोनावायरस के कारण हुई.

उन्होंने कहा कि ये समझ लेना अभी ख़तरनाक होगा कि ओमिक्रॉन इस वायरस का अन्तिम वैरिएण्ट होगा, या फिर हम इस महामारी के अन्तिम चरण में पहुँच गए हैं.

डॉक्टर टैड्रॉस ने ज़ोर देकर कहा कि इस वायरस को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की घोषणा किये जाने के बिल्कुल ढाई वर्ष बाद, दुनिया भर में, और ज़्यादा वैरिएण्ट्स के उभरने के लिये अनुकूल परिस्थितियाँ हैं.

आपात काल दौर

सोमवार को ही, योरोप क्षेत्र के लिये, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के पदाधिकारियों ने कहा है कि अलबत्ता, कोरोनावायरस संकट अभी ख़त्म होने से बहुत दूर है, मगर इस महामारी का आपातकाल दौर, वर्ष 2022 के दौरान ख़त्म हो जाने की आशा है.

योरोप के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय डायरेक्टर हैन्स क्लूगे ने कहा कि डेल्टा वैरिएण्ट की तुलना में, ओमिक्रॉन से काफ़ी कम नुक़सान हुआ है, मगर अब भी बहुत से लोग, इसके बढ़ते संक्रमण के कारण, अस्पतालों में भर्ती होने को मजबूर हैं. अलबत्ता, ओमिक्रॉन के संक्रमण के मामलों में, सघन चिकित्सा कक्ष (ICU) में भर्ती होने वालों की संख्या बहुत कम है.

भविष्य मज़बूती

डॉक्टर टैड्रॉस ने, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के सदस्य देशों से एक अपील करते हुए कहा कि उनकी प्राथमिकता, भविष्य में, स्वास्थ्य जोखिमों को पनपने देने और दुनिया भर में, स्वास्थ्य प्रणालियों, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को इतने व्यापक पैमाने पर नुक़सान पहुँचाने देने से रोकनी की होनी चाहिये. 

उन्होंने सभी के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर फिर से ध्यान बढ़ाने की पुकार लगाते हुए कहा कि इसके लिये, तमाम देशों को स्वास्थ्य और बेहतर रहन-सहन को बढ़ावा देना और बीमारियों के मूल में मौजूद कारणों के समाधान तलाश करने होंगे.

मौतों की कम संख्या दर्ज

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि महामारी के लगभग दो वर्ष के दौरान संक्रमण के क़रीब 35 करोड़ मामले दर्ज हुए हैं और लगभग 55 लाख लोगों की मौत हुई है, जबकि ये संख्या असल मौतों से कहीं कम समझी जाती है. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बेहद कमज़ोर हालात वाले लोगों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने के लिये, बहुत से अन्य उपाय अपनाए जाने की ज़रूरत है.

डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “कोविड-19 की मौजूदगी के बीच ही जीवन जीने का मतलब ये नहीं है कि हम वायरस को खुली छूट दे दें. इसका मतलब ये नहीं हो सकता कि हम एक ऐसी बीमारी से, हर सप्ताह लगभग 50 हज़ार ज़िन्दगियाँ ख़त्म होने को स्वीकार करके बैठ जाएँ जिसकी रोकथाम और उपचार सम्भव हैं.”

“इसका ये मतलब भी नहीं है कि हम अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों पर, अस्वीकार्य बोझ स्वीकार कर लें, जबकि हद से ज़्यादा थके हुए स्वास्थ्यकर्मियों को, हर दिन, एक बार फिर, अग्रिम मोर्च पर जाना पड़ता है.”