‘वैश्विक शिक्षा संकट’ जारी, करोड़ों अब भी प्रभावित
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोरोनावायरस महामारी को लगभग दो वर्ष पूरे हो चुके हैं और स्कूल बन्द रहने के कारण, दुनिया भर में लगभग तीन करोड़ 10 लाख बच्चों की शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है, जिससे “वैश्विक शिक्षा संकट” की स्थिति और ज़्यादा ख़राब हो रही है.
यूएन प्रमुख ने सोमवार, 24 जनवरी को अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर अपने वीडियो सन्देश में कहा कि अगर हम कार्रवाई नहीं करते हैं तो विकसित देशों में, स्कूल छोड़ने वाले ऐसे बच्चों की संख्या 53 प्रतिशत से 70 प्रतिशत हो जाएगी, जो पढ़ नहीं सकते हैं.
We’re at a turning point:Gaping inequalities 💰Damaged planet 🌍 Growing polarization ❗Devastating impact of #COVID19 😷Urgent action is needed to change course. We must transform education to build a better future!https://t.co/JPXfabARCo #EducationDay #PowerEducation pic.twitter.com/Xc6vM4ypSY
UNESCO
यूएन प्रमुख ने दुनिया भर में शिक्षा जगत में, कोविड-19 द्वारा मचाई गई उथल-पुथल को याद करते हुए ध्यान दिलाया कि इस महामारी की चरम स्थिति के दौरान, लगभग एक अरब 60 करोड़ स्कूली व कॉलेज छात्रों की शिक्षा बाधित हुई.
उन्होंने कहा कि हालात कुछ बेहतर तो हुए हैं, मगर संकट अभी दूर नहीं हुआ है, और व्यवधान की ये स्थिति, शिक्षा की उपलब्धता व विषमता के सवालों से भी परे का मुद्दा है.
बदलती दुनिया
इस वर्ष के अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम है – बदलती चर्चा, बदलती शिक्षा.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का कहना है कि दुनिया चौंका देने वाली गति के साथ बदल रही है जिसमें तकनीकी नवाचार, कामकाजी दुनिया में अभूतपूर्ण बदलाव, जलवायु आपदा की मौजूदगी, और लोगों व संस्थाओं के बीच कम होते आपसी भरोसे के हालात शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इस परिदृश्य में, परम्परागत शैक्षित प्रणालियाँ ऐसे ज्ञान, कौशल और मूल्य सिखाने में जद्दोजेहद महसूस कर रही हैं, जिनकी ज़रूरत, सर्वजन के वास्ते एक हरित, बेहतर और सुरक्षित भविष्य बनाने के लिये है.
यूएन प्रमुख ने, इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा बदलाव पर, सितम्बर 2022 में एक शिखर सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा की है.
उन्होंने कहा, “शिक्षा की ख़ातिर हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता में फिर से जान फूँकने का समय आ गया है.”
यूएन महासचिव की नज़र में, इसका मतलब है – व्यापक पुनर्बहाली प्रयासों के केन्द्र में शिक्षा को रखना, जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्थाओं और समाजों में बदलाव लाना और टिकाऊ विकास की दिशा में प्रगति को तेज़ करना है.
इसका ये मतलब – विकासशील देशों के साथ वित्तीय एकजुटता दिखाना भी है और ये समझना भी है कि अब से लेकर 2030 के बीच के समय में, देशों की शिक्षा प्रणालियों में किस तरह बदलाव लाए जा सकते हैं.
एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि ये शिखर सम्मेलन ऐसा पहला अवसर होगा जब विश्व नेता, युवजन और तमाम शिक्षा हित धारक, इन बुनियादी सवालों पर विचार करने के लिये एकत्र होंगे.
एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि ये शिखर सम्मेलन ऐसा पहला अवसर होगा जब विश्व नेता, युवजन और तमाम शिक्षा हित धारक, इन बुनियादी सवालों पर विचार करने के लिये एकत्र होंगे.
यूएन महासभा के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने भी कोविड-19 महामारी के दो वर्षों के दौरान प्रभावों के बारे में गहराई से विचार-विमर्श करने पर ज़ोर दिया है.
अब्दुल्ला शाहिद ने बच्चों और युवाओं के सशक्तिकरण के लिये दरपेश चुनौतियों को रेखांकित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र के एक संयुक्त प्रकाशन का ज़िक्र किया जिसमें दिखाया गया है कि इन बाधाओं के परिणामस्वरूप, छात्रों को अपने जीवनकाल में, लगभग 17 ट्र्लियन डॉलर की आमदनी से वंचित होने की सम्भावना है.