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पाँच वैश्विक ख़तरों से निपटने के लिये, महासचिव ने गिनाए पाँच आपात उपाय

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में, वर्ष 2022 के लिये अपनी प्राथमिकताएँ पेश की हैं.
UN Photo/Eskinder Debebe
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में, वर्ष 2022 के लिये अपनी प्राथमिकताएँ पेश की हैं.

पाँच वैश्विक ख़तरों से निपटने के लिये, महासचिव ने गिनाए पाँच आपात उपाय

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दुनिया के सामने दरपेश, पाँच विशाल ख़तरों से निपटने के लिये आपात उपाय अपनाए जाने की पुकार लगाई है. उन्होंने वर्ष 2022 के आरम्भ में, यूएन महासभा की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए, अपनी प्राथमिकताओं में कोविड-19 महामारी पर क़ाबू पाने, वैश्विक वित्तीय प्रणाली में बदलाव लाने, जलवायु संकट पर कार्रवाई करने, सर्वजन की भलाई के लिये टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल सुनिश्चित करने और वैश्विक शान्ति के प्रसार के प्रयासों पर बल दिया है. 

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने शुक्रवार को महासभा के सत्र में वर्ष 2022 के लिये अपना एजेण्डा प्रस्तुत किया है.

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महासचिव ने कहा कि दुनिया इस समय पाँच बड़ी आगों से जूझ रहा है, जिन्हें बुझाने के लिये सभी देशों द्वारा संगठित प्रयास किये जाने होंगे.

“हम एक और साल की शुरुआत वैश्विक महामारी की चपेट में कर रहे हैं. कोविड-19 से ज़िन्दगियों, योजनाओं और उम्मीदों में उठापठक जारी है.”

“एकमात्र निश्चितता, ज़्यादा अनिश्चितता ही है. इस बीच, विषमताएँ बढ़ रही हैं, मुद्रास्फीति में वृद्धि हो रही है, जलवायु संकट, प्रदूषण और जैवविविधता को हो रहा नुक़सान बढ़ता जा रहा है.”

यूएन प्रमुख के मुताबिक़, दुनिया राजनैतिक अशान्ति और भीषण हिंसक संघर्षों का सामना कर रही है, और देशों के बीच आपसी विश्वास का अभाव बढ़ता जा रहा है.

यूएन प्रमुख ने निम्न पाँच ख़तरों से निपटने के लिये अपनी प्राथमिकताएँ साझा की हैं:

पहला अलार्म, कोविड-19 से लड़ाई में आपात उपायों का इस्तेमाल करना होगा

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि ओमिक्रॉन एक और चेतावनी है. कोरोनावायरस का अगला वैरीएण्ट इससे भी बदतर हो सकता है. 

उनके मुताबिक़, हर स्थान पर वायरस के फैलाव को रोकना, एजेण्डा पर सर्वोपरि प्राथमिकता होना चाहिये.

मगर, यह भी ध्यान रखा जाना होगा कि मानवाधिकारों को कमज़ोर बनाने, नागरिक समाज के लिये स्थान संकुचित करने और प्रैस आज़ादी पर पाबन्दियाँ लगाने के लिये वायरस को बहाना ना बनाया जाए.

“हमारी कार्रवाई को विज्ञान व सहज-बोध पर आधारित रखना होगा. विज्ञान स्पष्ट है: वैक्सीन कारगर हैं. वैक्सीन ज़िन्दगियों की रक्षा करती हैं.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने उच्च - और निम्न - आय वाले देशों के बीच वैक्सीन विषमता के प्रति आगाह करते हुए कहा कि विश्व में अब हर महीने डेढ़ अरब टीकों का उत्पादन हो रहा है.

उन्होंने कहा कि वैक्सीन का वितरण बेहद विषमतापूर्ण है, और इस संकट पर पार पाने के लिये, हर स्थान पर तेज़ी से टीकाकरण किये जाने की आवश्यकता है. 

“वायरस को जंगल में आग की तरह फैलने देने के बजाय, हमें टीकों का जंगल में आग की तरह प्रसार करने की ज़रूरत है.”

उन्होंने सभी देशों व कम्पनियों से कोवैक्स पहल के तहत, वैक्सीन आपूर्ति को प्राथमिकता देने और परीक्षणों, वैक्सीन व उपचार को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराने के लिये, परिस्थितियाँ सृजित करने का आहवान किया है.  

साथ ही अगली महामारी से निपटने की तैयारियों को मज़बूती देने के लिये, स्वतंत्र आयोग की सिफ़ारिशों को ध्यान में रखने का आग्रह किया है.

डॉमिनिकन गणराज्य में कोविड-19 के दौरान एक नर्स अस्पताल जाने के लिये तैयार हो रही है.
Unsplash/SJ Objio
डॉमिनिकन गणराज्य में कोविड-19 के दौरान एक नर्स अस्पताल जाने के लिये तैयार हो रही है.

दूसरा अलार्म, वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिये आपात उपाय अपनाने होंगे

यूएन प्रमुख ने खरे-खरे शब्दों में कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली नैतिक रूप से दिवालिया है. 

“यह धनी का साथ देती है, और निर्धनों को दण्डित करती है.”

महासचिव ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली का एक मुख्य काम, स्थिरता सुनिश्चित करना और वित्तीय झटकों के दौरान अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन देना है.

“इसके बावजूद, एक बिलकुल ऐसे ही झटके यानि वैश्विक महामारी के दौरान यह विफल हो गई.”

उन्होंने कहा कि निम्न-आय वाले देशों में एक पीढ़ी में सबसे धीमी प्रगति दर्ज की जा रही है, जबकि बहुत से मध्य-आय वाले देशों को बढ़ती निर्धनता के बावजूद, क़र्ज़ राहत नहीं मिल पाएगी. 

महासचिव के मुताबिक़, विकसित और विकासशील देशों के बीच रास्तों की दूरी व्यवस्थागत होती जा रही है – जोकि अस्थिरता, संकट और जबरन प्रवासन का कारक है. 

यूएन प्रमुख ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की आलोचना करते हुए कहा कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में वे निर्णय-निर्धारक बन गई हैं, विकासशील देशों को ख़राब रेटिंग दी जा जाती है.

इससे उनके लिये, निजी क्षेत्र से वित्तीय संसाधन का प्रबन्ध करने में मुश्किल होती है. उन्होंने कहा कि रेटिंग एजेंसी के लिये जवाबदेही और पारदर्शिता आवश्यक है.  

उन्होंने वैश्विक वित्तीय व्यवस्था की गम्भीर समीक्षा का सुझाव दिया है, साथ ही क़र्ज़ राहत के लिये फ़्रेमवर्क, धन के अवैध लेन-देन की रोकथाम, और बहुपक्षीय विकासशील बैंकों को और अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाने पर बल दिया है.

मेडागास्कर में अधिकाँश लोग बेहद निर्धनता में जीवन गुज़ारने के लिये मजबूर हैं.
ILO Photo/Marcel Crozet
मेडागास्कर में अधिकाँश लोग बेहद निर्धनता में जीवन गुज़ारने के लिये मजबूर हैं.

तीसरा अलार्म, जलवायु संकट के विरुद्ध आपात उपाय अपनाने होंगे 

यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की लड़ाई इसी दशक में हारी या जीती जाएगी. 

मगर, दुनिया फ़िलहाल रास्ते से हट चुकी है, और पृथ्वी के तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी हो चुकी है.

इसके विनाशकारी नतीजे हुए हैं, और 2020 में, जलवायु झटकों के कारण, तीन करोड़ लोगों को अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा.

हिंसा और युद्ध के कारण विस्थापितों की संख्या की तुलना में यह आँकड़ा तीन गुना अधिक है.

उन्होंने कार्बन उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार विकसित और विकासशील देशों से और अधिक उपाय करने की पुकार लगाई है, ताकि पीड़ा को कम किया जा सके.

महासचिव ने कहा कोयले के इस्तेमाल पर निर्भरता कम करनी होगी और नवीनीकृत ऊर्जा की ओर बढ़ना होगा, जिसके लिये ज़रूरतमन्द देशों को वित्तीय व तकनीकी सहायता मुहैया कराई जानी अहम है.

कोयला-चालित नए संयंत्रों का निर्माण रोकना होगा, तेल व गैस उत्पादन में विस्तार से पीछे हटना होगा, और नवीकरणीय ऊर्जा के बुनियादी ढाँचे में अभूतपूर्व निवेश किया जाना होगा. 

उन्होंने कहा कि इस सदी के मध्य तक, कार्बन तटस्थता (नैट कार्बन उत्सर्जन शून्य) का लक्ष्य हासिल करने के लिये, 2030 तक वैश्विक उत्सर्जनों में 45 प्रतिशत की कटौती आवश्यक है.

बांग्लादेश में लाखों लोग बाढ़ सहित अन्य जलवायु चनौतियों से प्रभावित हुए हैं.
WFP/Sayed Asif Mahmud
बांग्लादेश में लाखों लोग बाढ़ सहित अन्य जलवायु चनौतियों से प्रभावित हुए हैं.

चौथा अलार्म, मानवता को टैक्नॉलॉजी के केन्द्र में रखते हुए आपात उपाय अपनाने होंगे

यूएन प्रमुख ने कहा कि टैक्नॉलॉजी को हमारा इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिये, बल्कि हमें टैक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करना है. 

उनका मानना है कि बेहतर व्यवस्था के ज़रिये असाधारण अवसर सृजित किये जा सकते हैं, विशेष रूप से अगर सुरक्षित इण्टरनैट कनेक्टिविटी सुनिश्चित की जा सके.

“कम ब्रॉडबैण्ड जुड़ाव वाले देशों में, स्कूलों में इण्टरनैट कनेक्टिविटी बढ़ाकर, सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है.”

महासचिव ने कहा कि डिजिटल खाई को पाटने और सर्वजन तक सुरक्षित ढंग से इण्टरनैट पहुँचाने के साथ-साथ, डेटा के ग़लत इस्तेमाल, भ्रामक सूचनाओं और साइबर अपराधों से भी निपटा जाना होगा.

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया कम्पनियाँ ऐसे एल्गोरिथम का इस्तेमाल करती हैं, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा की बजाय, लत, ग़ुस्सा और बेचैनी को बढ़ावा मिलता है.

उन्होंने इन व्यावसायिक मॉडल में बदलाव के लिये मज़बूत नियामक फ़्रेमवर्क तैयार करने पर ज़ोर दिया है.

गुटेरेश ने इन चुनौतियों से निपटने के लिये एक Global Digital Compact का आग्रह किया है, जिसमें देशों की सरकारें, निजी सैक्टर और नागरिक समाज, एक साथ मिलकर वैश्विक डिजिटल सहयोग पर सहमति को रूप देंगे.

डिजिटल युग में सरकारें, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये निगरानी टैक्नॉलॉजी का सहारा ले रही हैं.
© UNICEF/Elias
डिजिटल युग में सरकारें, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये निगरानी टैक्नॉलॉजी का सहारा ले रही हैं.

पाँचवा अलार्म, शान्ति और सुरक्षा

यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि वर्ष 1945 के बाद दुनिया सबसे अधिक संख्या में हिंसक संघर्षों का सामना कर रही हैं, और वैश्विक शान्ति बेहद आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों को चोट पहुँच रही है, लोकप्रियतावाद बढ़ रहा है, नस्लवाद व चरमपन्थ उभरा है और मानवीय संकट भी बढ़े हैं, जिन्हें जलवायु परिवर्तन से ईंधन मिल रहा है.

उन्होंने वैश्विक शान्ति के लिये यूएन की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और कहा कि विश्व भर में शान्ति के लिये संगठित अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों में कोई क़सर नहीं छोड़ी जाएगी. 

महासचिव ने हिंसक संघर्ष में झुलस रहे अनेक देशों का उल्लेख करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में ‘हॉटस्पॉट’ के लिये यह दुनिया बड़ी छोटी है.

उन्होंने, शान्ति व सुरक्षा के क्षेत्र में उपज रही चुनौतियों से निपटने के क्रम में, सुरक्षा परिषद में एकता पर बल दिया है.

महासचिव ने बताया कि हिंसक टकरावों की रोकथाम, शान्ति प्रक्रिया और शान्ति निर्माण में महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित की जा रही है, और निर्णय-निर्धारण व मध्यस्थता में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये प्रयास हो रहे हैं.

इसराइली हवाई कार्रवाई के बाद ग़ाज़ा में क्षतिग्रस्त इलाक़ा.
UNOCHA/Mohammad Lubbad
इसराइली हवाई कार्रवाई के बाद ग़ाज़ा में क्षतिग्रस्त इलाक़ा.