2022: महासभा प्रमुख ने पेश की प्राथमिकताएँ, आशा व एकजुटता का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के लिये अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने, कोविड-19 संक्रमण मामलों में उछाल के बीच, एकजुटता और आशा के संचार पर बल दिया है. उन्होंने महासभा सत्र के इस वर्ष बचे शेष हिस्से के लिये अपनी प्राथमिकताओं का ख़ाका भी प्रस्तुत किया है.
यूएन महासभा प्रमुख ने सदस्य देशों को बताया कि “हमें साझा मानवता को संजोना होगा और हिंसक टकराव के कारकों के विरुद्ध रक्षा करनी होगी.“
अब्दुल्ला शाहिद के अनुसार, वैश्विक महामारी, परमाणु प्रसार, आतंकवाद व अन्तरराष्ट्रीय संघर्ष समेत अन्य चुनौतियों पर पार पाने के लिये यह आवश्यक है.
“If we are to finally enjoy the dividends of a lasting peace, we must cherish our common humanity and guard against the drivers of conflict. We simply will not survive the alternative.”My Statement at the resumed part of the #UNGAs 76th Session: https://t.co/Hl6lqfWDC9 pic.twitter.com/fyWDyh3hES
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अब्दुल्ला शाहिद ने बुधवार को, इस वर्ष यूएन महासभा की पहली बैठक को सम्बोधित करते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से यूएन चार्टर में उल्लिखित शान्ति सिद्धान्तों के लिये, नए सिरे से संकल्प लिये जाने का आहवान किया.
उन्होंने कहा कि पारस्परिक सौहार्द की भावना के साथ, एकजुट होकर भावी चुनौतियों का सामना किया जाना होगा.
महासभा प्रमुख ने अपने सम्बोधन में, जनरल ऐसेम्बली के 76वें सत्र के लिये अपनी अध्यक्षता की पाँच प्राथमिकताएँ प्रस्तुत की हैं, जिन्हें उन्होंने आशा की अध्यक्षता (Presidency of Hope) क़रार दिया है.
यूएन महासभा प्रमुख के मुताबिक़, निराशावाद, एक ऐसे रास्ते की ओर ले जाता है जिससे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में इत्मीनान के साथ बैठने का भाव जागता है.
और साथ ही ऐसा झूठा विश्वास भी पनप सकता है कि “हमारे क़दमों का कोई लाभ नहीं होगा.”
उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से वैक्सीन समता के लिये प्रतिबद्धता जताने का आग्रह किया, और कहा कि यह महामारी से उबरने का एकमात्र रास्ता है.
इस क्रम में, उन्होंने कोविड-19 से बचाव के लिये टीकों के त्वरित उत्पादन व वितरण और रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर किये जाने पर बल दिया है.
महासभा अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद ने टीकों के न्यायोचित वितरण के लिये, नए साल पर संकल्प अभियान के तहत पुकार लगाई, जिसे 120 सदस्य देशों का समर्थन प्राप्त हुआ है.
इस सिलसिले में, 25 फ़रवरी को एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई है, जिसके ज़रिये सार्वभौमिक कोविड टीकाकरण के लिये मौजूदा प्रयासों को मज़बूती दी जाएगी.
उन्होंने सचेत किया कि वैश्विक महामारी से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले समुदाय, अक्सर सबसे कम विकसित देशों, भूमिबद्ध विकासशील देशों और लघु द्वीपीय विकासशील देशों में रहते हैं. इनमें यूएन महासभा प्रमुख का देश, मालदीव भी है.
यूएन महासभा प्रमुख ने वैश्विक पर्यावरणीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, आर्थिक रणनीतियों का आहवान किया है, और इसके समानान्तर प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाना होगा.
इस मुद्दे पर मई महीने में एक उच्चस्तरीय बैठक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें पर्यटन के ज़रिये कोविड-19 से टिकाऊ पुनर्बहाली के विषय पर चर्चा होगी.
उन्होंने पृथ्वी की आवश्यकताओं का उल्लेख करते हुए आगाह किया कि पर्यावरण पर मंडराते जोखिम, फ़िलहाल नज़र नहीं सकते हैं, मगर दुनिया उसी रास्ते पर है.
“हमारी ज़िम्मेदारी कार्रवाई करना है.”
उन्होंने स्पष्ट किया कि मालदीव, निचले तटीय इलाक़े वाला देश है, और अगर समुद्री जलस्तर में वृद्धि जारी रही, तो इस सदी में उसके लुप्त होने का जोखिम बढ़ जाएगा.
महासभा प्रमुख ने टोंगा में ज्वालामुखी विस्फोट का भी ज़िक्र किया, जिसके बाद 15 जनवरी को समुद्री तूफ़ान – सूनामी से भीषण नुक़सान हुआ है.
उन्होंने कहा कि ये ऐसी त्रासदियाँ हैं, जिनका लघु द्वीपीय विकासशील देशों को अक्सर सामना करना पड़ता है.
अब्दुल्ला शाहिद ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से एक साथ मिलकर, टोंगा के लिये हरसम्भव सहायता मुहैया कराए जाने की अपील की है, और पीड़ितों व उनके परिजनों के प्रति अपनी सम्वेदना व्यक्त की है.
महासभा प्रमुख ने अपने सम्बोधन में, लैंगिक समानता और मानवाधिकारों के मुद्दों पर अपने कामकाज का भी उल्लेख किया.