अल्प-वित्तपोषित संकटग्रस्त देशों के लिये, 15 करोड़ डॉलर की रक़म जारी

संयुक्त राष्ट्र ने अफ़्रीका, अमेरिका, एशिया और मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थित 13 देशों में मानवीय राहत अभियानों को मज़बूती प्रदान करते हुए, गुरूवार को 15 करोड़ डॉलर की सहायता धनराशि जारी की है.
मानवीय मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र अवर महासचिव और आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने यह रक़म केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष (CERF) से जारी की है.
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने, दुनिया भर में मानवीय राहत अभियानों व मौजूदा आवश्यकताओं की पृष्ठभूमि में ‘Global Humanitarian Overview’ नामक एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.
यह रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022 में 27 करोड़ से अधिक लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता होगी, जोकि पिछले कुछ दशकों में ज़रूरतमन्दों की सबसे बड़ी संख्या है.
रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदार संगठनों का लक्ष्य, 41 अरब डॉलर की रक़म के ज़रिये, विश्व भर में 18 करोड़ सर्वाधिक निर्बलों तक सहायता पहुँचना है.
गुरूवार को जारी की गई 15 करोड़ डॉलर की धनराशि के ज़रिये सीरिया में राहत अभियानों के लिये ढाई करोड़ डॉलर, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में दो करोड़ 30 लाख डॉलर, सूडान में दो करोड़ डॉलर और म्याँमार में एक करोड़ 20 लाख डॉलर का समर्थन प्रदान किया जाएगा.
इसके अलावा, बुर्कीना फ़ासो, चाड और निजेर में मानवीय सहायता अभियानों के लिये एक-एक करोड़ डॉलर की धनराशि मुहैया कराई जाएगी.
शेष धनराशि के ज़रिये हेती (80 लाख डॉलर), लेबनान (80 लाख डॉलर), मेडागास्कर (70 लाख डॉलर), केनया (60 लाख डॉलर), अंगोला (60 लाख डॉलर) और होण्डुरस (50 लाख डॉलर) में ज़रूरतमन्दों के लिये राहत सुनिश्चित की जाएगी.
यूएन के शीर्ष अधिकारी मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि इस धनराशि से लाखों-करोड़ों लोगों तक सहायता पहुँचाई जाएगी, जोकि अल्प वित्तपोषित संकटग्रस्त हालात में रहने के लिये मजबूर हैं.
बताया गया है कि यूएन कोष की ओर से यह अब तक का सबसे बड़ा आबण्टन है, जिसकी मदद से निर्बल समुदायों की तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा किया जाएगा.
CERF कोष, संकटों में फँसे ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने का सबसे तेज़ और स्मार्ट ज़रिया है. इसकी मदद से, यूएन एजेंसियों के लिये समय रहते, कारगर ढंग से ज़रूरतमन्दों के लिये आपात राहत इन्तज़ाम कर पाना सम्भव हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस कोष की स्थापना वर्ष 2005 में की थी, और इसके लिये 130 से अधिक सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों और अन्य दानदाताओं ने उदार योगदान किया है.
इसका उद्देश्य, लगातार बढ़ती और जटिल होती मानवीय सहायता ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, देशों की सरकारों की प्रतिबद्धताओं को साकार करना है.
अब तक 110 से अधिक देशों व क्षेत्रों में साढ़े सात अरब डॉलर की धनराशि के ज़रिये, करोड़ों लोगों को सहायता प्रदान की गई है.