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'अफ़ग़ान लोगों की मदद करने का समय, निकल रहा है हाथों से'

अफ़ग़ानिस्तान में कड़ाके की सर्दी में बच्चे आग जलाकर, ख़ुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं.
© UNICEF/Sayed Bidel
अफ़ग़ानिस्तान में कड़ाके की सर्दी में बच्चे आग जलाकर, ख़ुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं.

'अफ़ग़ान लोगों की मदद करने का समय, निकल रहा है हाथों से'

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने क्षोभ जताते हुए कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में आम नागरिक एक दुस्वप्न जी रहे हैं और उनकी सहायता किये जाने के लिये समय बीता जा रहा है. उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ान लोगों की सहायता करने और तालेबान से बुनियादी स्वतंत्रताओं का सम्मान किये जाने की अपील की है.

संयुक्त राष्ट्र ने दो दिन पहले ही, किसी एक देश के लिये अब तक की सबसे बड़ी मानवीय राहत अपील जारी करते हुए, पाँच अरब डॉलर की सहायता राशि जुटाने की पुकार लगाई थी.

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यूएन के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत मे बताया कि इस अपील का स्तर, विकट परिस्थितियों को परिलक्षित करता है.

“भाई-बहनों को खाना खिलाने के लिये शिशुओं को बेचा जा रहा है. स्वास्थ्य केन्द्रों में जमा देने वाले हालात में कुपोषित बच्चों का ताँता लगा हुआ है.”

“सर्दी में गर्माहट बनाए रखने के लिये लोग अपने सामान जला रहे हैं. देश भर में आजीविका के साधन ख़त्म हो गए हैं.”

बताया गया है कि फ़िलहाल, अफ़ग़ानिस्तान में आधे से अधिक आबादी जीवनरक्षक सहायता पर निर्भर है.

महासचिव गुटेरेश के मुताबिक़, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा पहले से ज़्यादा समन्वित प्रयासों के अभाव में, लगभग हर पुरुष, महिला और बच्चे को निर्धनता का सामना करना पड़ सकता है.

सहायता धनराशि की दरकार

यूएन प्रमुख ने कहा कि पर्याप्त रूप से सहायता धनराशि का प्रबन्ध होने से, सहायता अभियानों में हैरान कर देने वाले नतीजे हासिल करने की क्षमता होती है.

संयुक्त राष्ट्र और मानवीय राहत संगठनों ने वर्ष 2021 के दौरान, देश भर में एक करोड़ 80 लाख लोगों तक राहत पहुँचाई. वर्ष 2020 के मुक़ाबले, यह आँकड़ा 60 फ़ीसदी अधिक है.

उन्होंने कहा कि राहतकर्मियों के लिये अब उन इलाक़ों और समुदायों तक पहुँचना सम्भव हुआ है, जोकि पहले पहुँच से दूर थे.

मगर, मानवीय राहत अभियानों के लिये ज़्यादा धनराशि और लचीलेपन की आवश्यकता है.

“जमा देने वाले तापमान और सम्पत्तियों को ज़ब्त किया जाना, अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिये एक घातक मिश्रण है.

महासचिव ने उन नियमों और परिस्थितियों की ओर इशारा किया, जोकि ज़िन्दगियों और अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिये धन के इस्तेमाल से रोकते हैं, और कहा कि आपात हालात में ऐसा नहीं होने दिया जा सकता. 

“अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय मदद के ज़रिये सार्वजनिक-सैक्टर के कर्मचारियों के वेतन के भुगतान और अफ़ग़ान संस्थानों द्वारा स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा व अन्य अहम सेवाएँ सुनिश्चित करने में मदद की अनुमति दी जानी चाहिये.”

पाबन्दियों में छूट

यूएन महासचिव ने पिछले वर्ष दिसम्बर में, सुरक्षा परिषद में पारित उस प्रस्ताव का स्वागत किया, जिसमे अपवाद के तौर पर जीवनरक्षक मदद के लिये पाबन्दियों में छूट दी गई है.

उनका मानना है कि इस निर्णय से वित्तीय संस्थाओं और वाणिज्यिक पक्षकारों को मानवीय राहत एजेंसियों के साथ सम्पर्क व कामकाज बनाए रखने के लिये क़ानूनी आश्वासन मिलेगा.

साथ ही प्रतिबन्धों का उल्लंघन हो जाने का भय भी नहीं होगा.

यूएन प्रमुख ने कहा कि अफ़ग़ान अर्थव्यवस्था को ध्वस्त होने से बचाने के लिये यह ज़रूरी है कि देश में केन्द्रीय बैंक के कामकाज का संरक्षण किया जाए. 

इसके समानान्तर, मुद्रा भण्डार से विदेशी मुद्रा को सशर्त जारी किये जाने का रास्ता भी तैयार किया जाना होगा. 

Afghanistan: freezing temperatures & frozen assets are lethal combination -UN Chief | United Nations


महासचिव ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र देश की अर्थव्यवस्था में नक़दी फूँकने के लिये क़दम उठा रहा है और सृजनात्मक समाधानों का सहारा लिया जा रहा है, मगर ये सागर में बून्द के समान है.

यूएन प्रमुख ने विश्व बैंक द्वारा तैयार अफ़ग़ानिस्तान पुनर्निर्माण भरोसा कोष (Afghanistan Reconstruction Trust Fund) का उल्लेख किया. 

दिसम्बर 2021 में, इस पहल के ज़रिये संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और विश्व खाद्य कार्यक्रम के सहायता अभियान के लिये 28 करोड़ डॉलर जारी किये गए हैं. 

“मुझे आशा है कि शेष संसाधन, एक अरब 20 करोड़ से अधिक राशि, अफ़ग़ानिस्तान में सर्दी के दौरान लोगों की सहायता के लिये काम आएगी.”

विश्व समुदाय से अपील

महासचिव गुटेरेश ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के नाम एक अपील जारी करते हुए कहा, तालेबान नेतृत्व से भी महिलाओं और लड़कियों के बुनियादी अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा किये जाने की माँग की है.

उन्होंने कहा कि पूरे देश में महिलाएँ व लड़कियाँ, कक्षाओं व कार्यालयों से नदारद हैं. एक पीढ़ी की लड़कियों के लिये आशाएँ और सपने चकनाचूर हो रहे हैं. 

“महिला वैज्ञानिक, वकील और शिक्षक बन्द किये जा रहे हैं, उनके ऐसे कौशल व प्रतिभाएँ बर्बाद किये जा रहे हैं, जिनसे देश भर और निसन्देह, दुनिया को लाभ हो सकता है.

यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि कोई भी हस्ती या पक्ष, अपनी आधी आबादी के अधिकारों को नकार कर, फल-फूल नहीं सकते.