सीरिया के एक शीर्ष गुप्तचर अधिकारी की अपराध सिद्धि, ‘एक असाधारण बढ़त’

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार पदाधिकारियों ने, जर्मनी की एक अदालत द्वारा गुरूवार को सुनाए एक ऐतिहासिक फ़ैसले का स्वागत किया है जिसमें सीरिया के एक पूर्व गुप्तचर अधिकारी को मानवता के विरुद्ध अपराधों का दोषी क़रार दिया गया है.
सीरिया के इस पूर्व अधिकारी का नाम अनवर आर है जिस पर राजधानी दमिश्क में, 2011 और 2012 के बीच, देश की गुप्तचर सेवा की अल ख़ातिब शाखा में हज़ारों लोगों को प्रताड़ित किये जाने में शामिल होने के आरोप निर्धारित किये गए हैं.
German court’s historic crimes against humanity finding in #Syria case must spur momentum for international justice. UN Human Rights Chief @mbachelet says it's a clear example of how national courts can and should help bring perpetrators to account.Read: https://t.co/usnbsulZSj pic.twitter.com/r3HVGYUhmN
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संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि इस मुक़दमे से, उन अनगिनत सीरियाई लोगों की असहनीय तकलीफ़ों पर फिर से अहम ध्यान केन्द्रित हुआ है, जिन्हें बन्दीगृहों में उत्पीड़न और अमानवीय बर्ताव का सामना करना पड़ा.
उन्होंने कहा, “सीरिया में एक दशक से भी लम्बे समय तक गम्भीर मानवाधिकार हनन के मामलों में, सत्य, न्याय और भरपाई व मुआवज़े की तलाश में, यह निर्णय एक महत्वपूर्ण बढ़त है.”
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय से, अकथनीय अपराधों को अंजाम देने वाले लोगों व हस्तियों की जवाबदेही तय करने के प्रयासों को, और ज़्यादा व्यापकता के साथ बढ़ावा मिलना चाहिये. और ये ध्यान रहे कि इस तरह के अपराध, इस क्रूर संघर्ष का अटूट हिस्सा नज़र आए हैं.
जर्मनी के कोबलेन्ज़ क्षेत्रीय उच्च न्यायालय ने 58 वर्षीय अनवर आर को, प्रताड़ना, हत्याएँ, स्वतंत्रताओं का हनन, बलात्कार, यौन हमले और लोगों को बन्धक बनाने के अपराधों के लिये दोषी पाते हुए, आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है.
जर्मनी में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के उलट, वर्ष 2002 में एक अपराध संहिता अपनाई गई थी जिसमें अन्य देशों में, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के विरुद्ध अंजाम दिये गए अपराधों के लिये भी जर्मनी में मुक़दमा चलाया जा सकता है, अपराधी और पीड़ित, जर्मन नागरिक ना भी हों तो भी.
इस जर्मन अपराध संहिता में, इन अपराधों के लिये वैधानिक सीमितताओं को भी दरकिनार किया गया है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट का कहना था कि इस निर्णय ने, तमाम सरकारी अधिकारियों को, चाहें वो कहीं भी हों और कितने भी वरिष्ठ पदों पर बैठे हों, नोटिस पर रख दिया है – अगर ऐसे कोई भी व्यक्ति उत्पीड़न या गम्भीर मानवाधिकार हनन को अंजाम देंगे, तो देर-सबेर उनकी जवाबदेही अवश्य निर्धारित की जाएगी, उनके अपने देश में या विदेश में.
अनवर आर, ऐयाद अल ग़ारिब नामक एक सीरियाई गुप्तचर अधिकारी के सुपरवाइज़र थे. ग़ारिब को भी फ़रवरी 2021 में इसी अदालत ने, मानवता के विरुद्ध अपराधों को अंजाम देने और सहायता करने का दोषी क़रार दिया. ग़ारिब को साढ़े चार साल की उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.
मिशेल बाशेलेट ने कहा, “ये एक स्पष्ट उदाहरण है कि किसी देश की राष्ट्रीय अदालतें, ऐसे अपराधों के स्थानों पर जवाबदेही निर्धारित किये जाने में की गई कोताहियों को सही करने की ज़िम्मेदारी निभा सकती हैं और निभानी ही चाहिये. अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों व मानकों के अनुरूप निष्पक्ष और स्वतंत्र जाँच-पड़ताल करके और मुक़दमे चलाकर ऐसा किया जा सकता है.”
“ये निर्णय एक शक्तिशाली निवारक व निरोधक का काम करेगा और इससे भविष्य में अत्याचारों को रोकने में भी मदद मिले सकेगी.”
सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र जाँच आयोग ने भी गुरूवार को जर्मनी कि एक अदालत के इस निर्णय का स्वागत किया है. आयोग ने हालाँकि साथ ही, उन अत्याचारों के शिकार हुए पीड़ितों के लिये न्याय सुनिश्चित करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया.
इस आयोग की तीन रिपोर्टें, इस मुक़दमे में सबूतों के तौर पर प्रस्तुत की गईं.
आयोग के अध्यक्ष पाउलो सर्गियो पिनहीरो का कहना था कि इस तरह के निर्णयों में, सीरिया में युद्धापराधों के पीड़ितों के लिये न्याय हासिल करने की दिशा में प्रगति नज़र आती है जिसकी बहुत ज़रूरत है.
जबकि ये भी सर्वविदित है कि इस तरह के मामलों में जवाबदेही निर्धारित किये जाने के मामलों में, सीरिया में, और यूएन सुरक्षा परिषद में, कुछ सीमितताएँ नज़र आती हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने ध्यान दिलाया है कि अनेक देशों के पूर्व सरकारी अधिकारियों और ग़ैर-सरकारी सशस्त्र गुटों के सदस्यों पर, इस तरह के अत्याचारों को अंजाम देने के मामलों में आपराधिक और सिविल मुक़दमे चले हैं.
अनेक देशों के राष्ट्रीय न्यायालयों में, इस समय अनेक मुक़दमे चल रहे हैं.
मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि विशेष रूप में, सीरिया में राष्ट्रीय स्तर पर भी कार्रवाई बहुत महत्वपूर्ण है.
सीरिया ने 1998 में वजूद में आई रोम संविधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं जो, अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने स्थापित की थी.
इस संविधि के तहत युद्धापराधों और मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के लिये मुक़दमे चलाए जाते हैं, और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, ये स्थिति, आईसीसी अभियोजन पक्ष को भेजने में बार-बार नाकाम रही है.