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विश्व बैंक: कोविड-19 के नए रूपों और बढ़ते क़र्ज़ से, वैश्विक आर्थिक विकास ख़तरे में

दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग शहर के बाहर स्थित सूत के कारखाने में, एक व्यक्ति काम कर रहा है.
UNCTAD/Kris Terauds
दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग शहर के बाहर स्थित सूत के कारखाने में, एक व्यक्ति काम कर रहा है.

विश्व बैंक: कोविड-19 के नए रूपों और बढ़ते क़र्ज़ से, वैश्विक आर्थिक विकास ख़तरे में

आर्थिक विकास

विश्व बैंक ने अपनी एक नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि अगले दो वर्षों में, कोविड-19 के नए रूपों के "ताज़ा ख़तरों" व बढ़ती मुद्रास्फ़ीति, ऋण और आय असमानता के कारण, वैश्विक विकास की गति धीमी होगी.

मंगलवार को जारी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2021 में अलबत्ता, आर्थिक विकास में एक मज़बूत बहाली देखने को मिली, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें पिछले वर्ष के 5.5 प्रतिशत के मुक़ाबले, 2022 में 4.1 प्रतिशत तक और 2023 में 3.2 प्रतिशत तक गिरावट हो सकती है.

व्यवधान और मन्दी

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'वैश्विक आर्थिक परिदृश्य' नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, ओमिक्रॉन वैरिएण्ट के तेज़ी से प्रसार को देखते हुए, निकट अवधि में कोविड-19 महामारी से आर्थिक गतिविधियों में बाधा जारी रहेगी.

इसके अलावा, अमेरिका और चीन सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मन्दी का, उभरते और विकासशील समकक्षों में, इन देशों से आ रही मांग पर असर पड़ेगा.

विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष, डेविड मलपास ने कहा, “विश्व अर्थव्यवस्था, कोविड-19, मुद्रास्फ़ीति और नीति अनिश्चितता का सामना कर रही है, क्योंकि सरकारी ख़र्च और मौद्रिक नीतियाँ एक अज्ञात भविष्य के लिये बन रहीं है. बढ़ती असमानता और सुरक्षा चुनौतियाँ विकासशील देशों के लिये विशेष रूप से हानिकारक हैं.”

उन्होंने कहा, "अधिक से अधिक देशों को अनुकूल विकास पथ पर लाने के लिये, एकजुट अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई और व्यापक राष्ट्रीय नीति प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है."

इस मन्दी के साथ-साथ, उन्नत और उभरती या विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच विकास दर में व्यापक अन्तर भी देखने को मिलेगा.

नाज़ुक अर्थव्यवस्थाओं को झटका

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 तक, सभी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों ने उत्पादन के क्षेत्र में पूर्ण पुनर्बहाली हासिल कर ली होगी, लेकिन उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उत्पादन, महामारी से पहले के रुझान से चार प्रतिशत नीचे रहेगा.

नाज़ुक और संघर्ष-प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में उत्पादन, महामारी पूर्व के रुझान से 7.5 प्रतिशत कम रहने से, यह झटका और भी तेज़ होगा. वहीं छोटे द्वीपीय देशों में यह 8.5 फ़ीसदी से कम होगा.

इस बीच बढ़ती मुद्रास्फ़ीति, मुद्रा नीति को बाधित कर रही है, जिससे कम आय वाले श्रमिकों पर विशेष रूप से बड़ी मार पड़ी है.

वैश्विक स्तर पर और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में मुद्रास्फ़ीति, 2008 के बाद से उच्चतम दरों पर है, और उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में एक दशक के उच्चतम दर पर पहुँच गई है.

वैक्सीन समानता को प्राथमिकता 

रिपोर्ट में ऐसे विश्लेषणात्मक खण्ड शामिल हैं, जिनमें विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में टिकाऊ सुधार के लिये तीन उभरती बाधाओं पर प्रकाश डाला गया है. इनमें अगले दो वर्षों में, विकास के लिये क्षेत्रीय दृष्टिकोण भी शामिल किया गया है.

विकास नीति और भागीदारी के लिये विश्व बैंक की प्रबन्ध निदेशक, मारी पंगेस्तु ने, आने वाले वर्षों में अगले दशक का रास्ता तय करते समय, नीति निर्माताओं से बहुपक्षीय सहयोग पर बल देने पर ज़ोर दिया.

उन्होंने कहा,“तत्काल प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना होनी चाहिये कि अधिक व्यापक और समान रूप से टीकाकरण हो सके ताकि महामारी पर नियंत्रण पाया जा सके. लेकिन विकास की प्रगति में बढ़ती असमानता जैसी बाधाओं से निपटने के लिये निरन्तर समर्थन की ज़रूरत पड़ेगी.”

"उच्च ऋण के दौर में, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के वित्तीय संसाधनों का विस्तार करने में मदद करने के लिये, वैश्विक सहयोग आवश्यक होगा, ताकि वे हरित, सहनसक्षम और समावेशी विकास की राह पर चल सकें."