योरोपीय क्षेत्र में, आगामी दो महीनों में, आधी आबादी के ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की आशंका
योरोपीय क्षेत्र के लिये यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO EURO) ने एक नए विश्लेषण का उल्लेख करते हुए, अगले छह से आठ सप्ताह के दौरान, क्षेत्र की लगभग 50 फ़ीसदी आबादी के ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की सम्भावना जताई है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने योरोप व मध्य एशिया में, आने वाले दिनों में संक्रमण मामलों में तेज़ उछाल की आशंका के बीच, हालात से निपटने के लिये तीन अहम सन्देश साझा किये हैं.
यूएन एजेंसी में योरोप के लिये क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर हाँस क्लूगे ने मंगलवार को जारी अपने वक्तव्य में आगाह किया कि योरोप और मध्य एशिया के देशों ने, कोविड-19 महामारी के गम्भीर दबाव के बीच, वर्ष 2022 में प्रवेश किया है.
वर्ष 2021 के अन्तिम महीनों में सभी देश, डेल्टा वैरीएण्ट से जूझ रहे थे, और अब पूरा क्षेत्र ओमिक्रॉन वैरीएण्ट की चपेट में हैं.
2022 के पहले सप्ताह में क्षेत्र में कोविड-19 के 70 लाख से अधिक नए संक्रमण मामले दर्ज किये गए हैं, और दो सप्ताह की अवधि में यह संख्या दोगुनी हो गई है.
26 देशों के मुताबिक़, 10 जनवरी तक, हर सप्ताह उनकी एक फ़ीसदी आबादी कोविड-19 से संक्रमित हो रही है.
डॉक्टर क्लूगे ने बताया कि मृत्यु दर स्थिर है, और यह उन देशों में सबसे अधिक है जहाँ कोविड-19 तेज़ी से फैल रहा है जबकि टीकाकरण की दर अपेक्षाकृत कम है.
योरोप और मध्य एशिया के 53 देशों में से 50 ने ओमिक्रॉन वैरीएण्ट के मामलों की पुष्टि की है और वायरस का यह प्रकार, पश्चिमी योरोप में सबसे अधिक पाया जा रहा है और बाल्कन क्षेत्र के देशों में भी फैल रहा है.
ओमिक्रॉन का तेज़ फैलाव
‘Institute for Health Metrics and Evaluation’ का एक विश्लेषण दर्शाता है कि अगले छह से आठ सप्ताह के दौरान, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के योरोपीय क्षेत्र की लगभग 50 फ़ीसदी आबादी के ओमिक्रॉन से संक्रमित होने की आशंका है.
अब तक एकत्र किये गए आँकड़े दर्शाते हैं कि ओमिक्रॉन वैरीएण्ट, बेहद तेज़ी से फैलता है और इस वायरस में आए बदलावों की वजह से, यह मानव कोशिकाओं को जल्द अपनी चपेट मे लेता है.
वायरस का यह रूप उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है, जिन्हें पहले संक्रमण हो चुका है या फिर जिन्होंने बचाव के लिये टीके लगवा लिये हैं.
डॉक्टर क्लूगे ने स्पष्ट किया कि स्वीकृति प्राप्त कोविड-19 टीके, ओमिक्रॉन सहित अन्य वैरीएण्ट्स से गम्भीर बीमारी और मौत से बचाव के लिये अच्छा रक्षा कवच प्रदान करते हैं.
“मगर, अभूतपूर्व स्तर पर फैलाव होने की वजह से, हम कोविड-19 के कारण अस्पतालों में भर्ती होने के मामलों में उछाल देख रहे हैं.”
“यह स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवा वितरण के लिये, अनेक देशों में चुनौती उत्पन्न कर रहा है, जहाँ ओमिक्रॉन तेज़ गति से फैल रहा है और अनेक अन्य को विह्वल कर सकता है.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि वैश्विक महामारी का सबसे अधिक बोझ, स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर डटे अन्य कर्मचारियों को ही उठाना पड़ रहा है, जिनके वायरस से संक्रमित होने का जोखिम सबसे अधिक है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण के लिये समर्थन मुहैया कराए जाने की पुकार लगाई है.
डॉक्टर क्लूगे ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकताएँ व चिन्ताएँ सुननी होंगी, और उनकी शारीरिक व मानसिक सेहत का ख़याल रखा जाना होगा.
तीन अहम सन्देश
यूएन स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने स्वास्थ्य सेवाओं, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों पर महामारी के असर को कम करने के लिये, तीन महत्वपूर्ण सन्देश साझा किये हैं:
पहला, जिन देशों में अभी ओमिक्रॉन की गम्भीर लहर नहीं आई है, उनके पास आपात तैयारियों के लिये योजनाएँ बनाने का समय अभी है.
इस पृष्ठभूमि में उच्च गुणवत्ता वाले मास्क के इस्तेमाल को प्रोत्साहन देना होगा और वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराक (booster dose) उपलब्ध होने पर टीके लगाए जाने होंगे, और स्वास्थ्यकर्मियों को बूस्टर टीकों में प्राथमिकता दी जानी होगी.
साथ ही, परीक्षणों की आपूर्ति बढ़ानी होगी और उन्हें फ़ार्मेसी, कार्यस्थलों व समुदायों में निशुल्क मुहैया कराया जाना होगा.
दूसरा, जिन देशों में ओमिक्रॉन की लहर शुरू हो गई है, वहाँ प्राथमिकता - निर्बल समुदायों की रक्षा करना और स्वास्थ्य प्रणालियों व अतिआवश्यक सेवाओं में आए व्यवधान को कम करना होनी चाहिये.
इसके लिये, ज़्यादा जोखिम का सामना कर रहे लोगों को प्राथमिक व बूस्टर टीकों में प्राथमिकता दी जानी होगी, और भीड़भाड़ से दूर रहने, घर से ही काम करने जैसे अन्य उपायों का पालन करने की सलाह दी जानी आवश्यक है.
परीक्षणों की आपूर्ति कम होने की स्थिति में, PCR टैस्टिंग के लिये उन लोगों को प्राथमिकता देनी होगी, जिनके गम्भीर रूप से संक्रमित होने का ख़तरा है, या फिर जो स्वास्थ्य केन्द्रों में काम कर रहे हैं.
अस्पतालों पर दबाव बढ़ने की स्थिति में, शुरुआती इलाज के लिये प्राथमिक देखभाल को बढ़ाया जाना होगा और मामलों की समीक्षा के ज़रिये अस्पतालों में अनावश्यक भर्तियाँ रोकी जानी होंगी.
संक्रमण के बाद एकान्तवास की अवधि को घटाने के सम्बन्ध में कोई भी निर्णय, नैगेटिव कोविड-19 टैस्ट के साथ-साथ तभी लिया जाना होगा, जब ऐसा करना अतिआवश्यक सेवाओं की निरन्तरता बनाए रखने के लिये अहम हो.
तीसरा, स्कूल खुले रखने के, बच्चों के मानसिक, सामाजिक और शैक्षिक कल्याण के लिये अहम लाभ हैं. स्कूल, सबसे आख़िर में बन्द होने वाले और सबसे पहले खुलने वाले स्थल होने चाहियें.
कक्षाओं व अन्य स्थानों को हवादार बनाया जाना होगा, हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना होगा और मास्क पहने जान होंगे.
प्राथमिकता समूहों में आने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों को कोविड-19 के लिये वैक्सीन की ख़ुराकें व बूस्टर टीके देने होंगे. साथ ही उच्च जोखिम वाले वयस्कों के सम्पर्क में आने वाले बच्चों को, उपलब्ध होने की स्थिति में वैक्सीन दी जानी होगी.
डॉक्टर क्लूगे ने कहा कि टैस्टिंग, एकान्तवास और क्वारण्टीन के सम्बन्ध में दिशानिर्देशों की समीक्षा की जा सकती है, ताकि पढ़ाई-लिखाई में आने वाले व्यवधान को कम किया जा सके.
उन्होंने चेतावनी जारी की है कि कुछ देशों में संक्रमितों की संख्या इतनी अधिक होने की आशंका है कि वहाँ हर समय, कक्षाओं को खुला रख पाना, सम्भव नहीं हो पाएगा.
इसे ध्यान में रखते हुए, ऑनलाइन पढ़ाई-लिखाई के लिये भी प्रबन्ध किया जाना होगा ताकि बच्चे, स्कूल ना आ पाने की स्थिति में, घर बैठकर ही पढ़ाई कर सकें.
डॉक्टर क्लूगे ने स्वास्थ्य चुनौती से निपटने की कार्रवाई में पाँच अहम उपायों पर बल दिया है: 1. टीकाकरण, 2. अतिरिक्त ख़ुराक, 3. मास्क के इस्तेमाल को बढ़ावा, 4. बन्द स्थलों को हवादार बनाना, 5. उपचार के लिये नए तौर-तरीक़े अपनाया जाना.
साथ ही, एकजुट प्रयासों के तहत, कोविड-19 से बचाव के लिये टीकों को साझा किया जाना होना.