ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह में निरन्तर मानवाधिकार हनन की तीखी निन्दा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने, क्यूबा में अमेरिका के ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह अभियान के जारी रहने को एक “बेमिसाल बदनामी” क़रार देते हुए, इसकी निन्दा की है और इसे विधि के शासन के लिये अमेरिका की प्रतिबद्धता पर एक धब्बा भी बताया है.
ग़ौरतलब है कि क्यूबा में ग्वान्तनामो बे स्थिति अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर ये बन्दीगृह, अफ़ग़ानिस्तान में पकड़े गए बन्दियों को रखने के लिये, वर्ष 2002 में बनाया गया था. एक समय में यहाँ 780 लोग बन्दी थे, जिनमें ज़्यादातर ऐसे थे जिन्हें मुक़दमा चलाए बिना ही, बन्दी बनाकर यहाँ रखा गया था.
🇺🇸#USA: UN experts call on the US to close #Guantanamo Bay detention centre & put an end to the ugly chapter of unrelenting human rights violations: “20 years of arbitrary detention without trial accompanied by torture or ill treatment is unacceptable.”👉https://t.co/R3EhHYoUym pic.twitter.com/TT38tiktoo
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ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह में अब भी 39 बन्दियों को रखा गया है और उनमें से केवल 9 पर आरोप निर्धारित किये गए हैं, या फिर उन्हें किन्हीं अपराधों के लिये दोषी क़रार दिया गया है.
वर्ष 2002 और 2021 के बीच 9 बन्दियों की मौत हिरासत में ही हो गई, जिनमें दो बन्दियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और 7 बन्दियों ने कथित रूप से आत्महत्या की.
इनमें से किसी पर भी ना तो कोई आरोप निर्धारित किये गए थे और ना ही किसी को, किन्हीं अपराधों के लिये दोषी क़रार दिया गया था.
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के समूह ने, ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह की स्थापना की 20वीं वर्षगाँठ के मौक़े पर सोमवार को एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें मानवाधिकार परिषद के नवनियुक्त सदस्य अमेरिका से ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह को बन्द करने का आहवान किया है.
उन्होंने साथ ही यह घोषणा भी की कि बिना मुक़दमा चलाए मनमाने तरीक़े से लोगों को बन्दी बनाकर रखने और प्रताड़ना व दुर्व्यवहार करने के ऐसे मामले, किसी भी सरकार के लिये अस्वीकार्य हैं, विशेष रूप से एक ऐसी सरकार के लिये, जो मानवाधिकारों की रक्षा के लिये घोषित दावे करती रही है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह में भयावह बन्दीकरण अभियान की बार-बार, बहुत मज़बूत और विशुद्ध शब्दों में निन्दा किये जाने के बावजूद, अमेरिका ने लोगों को बन्दी बनाना जारी रखा, जबकि उनमें से बहुत से लोगों पर कभी भी किसी अपराध के आरोप निर्धारित नहीं किये गए हैं.
उनका कहना था कि ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह एक बेमिसाल बदनामी का स्थान है जिसमें इस स्थान पर बन्दी बनाकर लाए गए सैकड़ों लोगों के साथ प्रताड़ना, और क्रूरता व अमानवीय या अपमानजनक बर्ताव का व्यवस्थागत इस्तेमाल किया गया है, और उन्हें उनके बुनियादी मानवाधिकारों से वंचित किया गया है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह को देश की सरकार द्वारा समर्थित प्रताड़ना व दुर्व्यवहार के लिये जवाबदेही तय किये जाने में व्यवस्थागत कोताही का एक प्रतीक बताया, जिसके लिये ज़िम्मेदार लोगों को दण्डमुक्ति भी प्रदान की गई.
ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह में बचे हुए बन्दी अब बुढ़ापे की तरफ़ बढ़ रहे हैं, उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, और अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने, एक स्वास्थ्य देखभाल केन्द्र बनाने के लिये, कथित रूप से, लगभग 8 करोड़ 80 लाख डॉलर के बजट का अनुरोध किया है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह में बन्दी बनाकर रखे गए लोगों को स्वास्थ्य सहायता और प्रताड़ना से उबरने के लिये पुनर्वास व इलाज अपर्याप्त है, जबकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत इसे ज़रूरी बताया गया है.
उन्होंने अमेरिका से ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह को बन्द करने, बन्दियों को उनके देशों या किन्हीं अन्य देशों को सुरक्षित भेजने का आहवान किया है.
उन्होंने साथ ही यह सुनिश्चित करने का भी आहवान किया है कि इन बन्दियों के ऐसे देशों में ना भेजा जाए जहाँ उन्हें फिर से उत्पीड़न का शिकार बनाए जाने का डर हो.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मनमाने तरीक़े से बन्दी बनाए गए और प्रताड़ना के शिकार बन्दियों को मुआवज़ा दिये जाने की भी पुकार लगाई है. साथ ही जिन अधिकारियों ने इस प्रताड़ना को मंज़ूरी दी या जो लोग प्रताड़ना में शामिल रहे, उन्हें जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया है, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत ज़रूरी है.
ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह, वर्ष 2022 में खोले जाने के बाद से, केवल 12 बन्दियों पर आरोप निर्धारित किये गए हैं, और सिर्फ़ दो को, सैन्य आयोगों ने दोषी क़रार दिया है.
वर्ष 2001 में, अमेरिका में कुछ हवाई जहाज़ अपहृत करके, उन्हें न्यूयॉर्क के जुड़वाँ टॉवरों और पेण्टागॉन की इमारत से टकराने में सीधे रूप में शामिल होने के पाँच अभियुक्तों पर मुक़दमा तो, अभी शुरू भी नहीं हुआ है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अपने वक्तव्य में इस देरी पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, “हम मुख्य रूप से, मानवाधिकारों की रक्षा करने में सार्थक भूमिका निभाने, क़ानून का शासन क़ायम रखने और ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह का वजूद बनाए रखने में क़ानूनी ख़ामियों का सहारा लेने की छूट दिये जाने में, अमेरिकी न्याय व्यवस्था की नाकामी की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हैं, जिसमें उनकी ज़ाहिर मंज़ूरी व समर्थन नज़र आते हैं.”
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह में रखे गए बन्दियों की पैरोकारी करने वाले वकीलों की सराहना की है, और कहा है कि उन्होंने क़ानून के शासन की रक्षा करने के लिये संघर्ष किया है और आयोगों के दैनिक अभियानों में लगातार मानवाधिकार हनन के मामलों की पहचान की है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि मानवाधिकार हनन के ऐसे मामले, निष्पक्षता, स्वतंत्रता और भेदभाव नहीं किये जाने की ज़रूरतों की अनदेखी करते रहे हैं, और जिस तरह से उनका प्रयोग ग्वान्तनामो बे बन्दीगृह में किया गया है, वो बिल्कुल नहीं होना चाहिये था.
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों की नियुक्ति, जिनीवा स्थित यूएन मानवाधिकार परिषद करती है. उनका काम मानवाधिकार के किसी मुद्दे या किसी देश की स्थिति की जाँच पड़ताल करके, रिपोर्ट सौंपना होता है. ये पद मानद होते हैं, और इन विशेषज्ञों को उनके कामकाज के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन नहीं मिलता है.