फ़िलिपीन्स: सुपर टाइफ़ून ‘राई’ के बाद हालात बदतर होने की आशंका
फ़िलिपीन्स के अनेक इलाक़ों को अपनी चपेट में लेने वाले चक्रवाती तूफ़ान, सुपर टाइफ़ून ‘राई’ के गुज़र जाने के कई दिन बाद भी, वहाँ हालात बेहद चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं. प्रभावित समुदाय सुपर टाइफ़ून के असर से उबर नहीं पाए हैं और विशाल स्तर पर उत्पन्न हुईं बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.
इस आपदा में 500 से अधिक लोगों की मौत हुई है, बड़ी संख्या में घरों को भारी नुक़सान हुआ है और लोगों की आजीविका के साधन ख़त्म हो गए हैं.
राहत टीमों ने ‘राई’ की तुलना वर्ष 2013 में आए टाइफ़ून हाययान से की है, जिसमें छह हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे और 40 लाख बेघर हो गए थे.
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विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की देशीय निदेशक ब्रैण्डा बार्टन ने बताया कि, “इसने एक बेहद विशाल इलाक़े को अपनी चपेट में ले लिया, और बहुत से घर ध्वस्त कर दिये.”
उन्होंने कहा कि कोई भी इमारत इससे अछूती नहीं रह पाई है, किसी भी घर पर छत नहीं बची है.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह देखना हृदयविदारक है कि यह क्रिसमस की पूर्व संध्या पर तब हुआ, जब पूरा समुदाय एक साथ मिलकर क्रिससम आयोजनों में हिस्सा लेता है.
10 करोड़ डॉलर की आपात अपील
संयुक्त राष्ट्र ने फ़िलिपीन्स में प्रभावित इलाक़े में राहत कार्यों के लिये, 10 करोड़ 70 लाख की रक़म इकट्ठा करने अपील जारी की है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने भोजन, अन्य इन्तज़ामों और दूरसंचार समर्थन के लिये ढाई करोड़ डॉलर जुटाने का अनुरोध किया है.
संकट शुरू होने के तीन हफ़्ते बाद अब तक, यूएन एजेंसी को 47 लाख डॉलर ही प्राप्त हो पाए हैं. साथ ही, पहले से ही निर्बल समुदायों के लिये बदतर होती जा रही परिस्थितियों पर चिन्ता जताई गई है.
नवीनतम समीक्षा के अनुसार, फ़िलिपीन्स के 17 क्षेत्रों में से 11, सुपर टाइफ़ून से प्रभावित हुए हैं.
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में फ़िलिपीनी द्वीप-समूह में आने वाला सबसे शक्तिशाली चक्रवाती तूफ़ान था, जिससे 70 लाख से अधिक लोगों के जीवन में व्यवधान आया है.
आजीविकाओं पर असर
सुपर टाइफ़ून की चपेट में आए लोगों का जीवन उलटपुलट हो गया है, और अपनी आय व आजीविका के लिये कृषि व मछली पकड़ने पर निर्भर समुदायों के लिये हालात बेहद गम्भीर हैं.
साथ ही, व्यापक पैमाने पर बिजली और दूरसंचार सेवाएँ ठप हो गई हैं, जिससे अन्य इलाक़े भी प्रभावित हो रहे हैं.
यूएन एजेंसी की अधिकारी ब्रैण्डा बार्टन ने बताया कि सरकार ने समय पूर्व कार्रवाई व तैयारियों के नज़रिये से सराहनीय काम किया है.
“मौत होने की दर अपेक्षाकृतक कम है, और समुदायों को आपात समर्थन मुहैया कराया जा रहा है. लेकिन पुनर्बहाली का रास्ता लम्बा है और उसके लिये अतिरिक्त समर्थन की आवश्यकता होगी.”
कुपोषण की चुनौती

मानवीय राहतकर्मियों ने चिन्ता व्यक्त की है कि इस आपदा से, फ़िलिपीन्स में पहले से ही व्याप्त खाद्य असुरक्षा और कुपोषण की दर बदतर होने की आशंका है.
सुपर टाइफ़ून प्रभावित क्षेत्र कारागा समेत अन्य अन्य कुछ क्षेत्रों में, 53 फ़ीसदी परिवार अपने लिये पोषक आहार का प्रबन्ध कर पाने में सक्षम नहीं हैं.
इस क्षेत्र में बच्चों में नाटेपन की दर 36 प्रतिशत है, जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से परे है.
यूएन अधिकारी ने बताया कि नाटापन, बच्चों के पहले से ही लम्बे समय से पोषक आहार से वंचित रहने के नतीजों को दर्शाता है, और मौजूदा हालात में बीमारियों और मौत होने का जोखिम बढ़ने की आशंका है.
सुपर टाइफ़ून के आने के बाद, यूएन खाद्य कार्यक्रम ने तत्काल समर्थन प्रयासों के अन्तर्गत, 100 से अधिक ट्रकों को सामाजिक कल्याण व विकास विभाग में तैनात कर दिया था.
इसका उद्देश्य, प्रभावितों को जल्द से जल्द, भोजन सामग्री, स्वच्छता सम्बन्धी किट और अन्य ग़ैर-खाद्य राहत सामग्री पहुँचाना था.
प्राथमिक राहत
WFP और सरकार के सूचना, संचार व टैक्नॉलॉजी विभाग ने पहली बार, मोबाइल आपात दूरसंचार उपकरणों का इस्तेमाल किया है, जिससे आपात राहत कार्यों में जुटे लोगों के लिये सम्पर्क करना और समन्वय स्थापित कर पाना सम्भव हुआ है.
इस बीच, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य मामलों के लिये यूएन एजेंसी (UNFPA) के मुताबिक़, महिलाओं व लड़कियों के लिये यौन शोषण, मानव तस्करी और लिंग आधारित हिंसा का शिकार होने का जोखिम बढ़ा है.
कुछ अपुष्ट ख़बरों के अनुसार, बलात्कार, घरेलू हिंसा और भोजन के बदले सैक्स की मांग करने की घटनाएँ सामने आई हैं, जोकि प्रभावित इलाक़ों में सामुदायिक समर्थन प्रणालियाँ और संरक्षण ढाँचों में व्यवधान आने के कारण उपजे हालात की ओर इशारा करता है.
बताया गया है कि अपने राहत अभियान के तहत, विश्व खाद्य कार्यक्रम भोजन वितरण के कार्य में सहयोग जारी रखेगा, ताकि समुदाय अपनी अति-आवश्यक खाद्य ज़रूरतों को पूरा कर सकें.
इसके साथ-साथ, नक़दी सहायता भी दी जाएगी ताकि लोग मौजूदा हालात से उबर सकें और उन इलाक़ों में अर्थव्यवस्था को फिर से गति प्रदान की जा सके जहाँ बाज़ार पहले से ही खुले हैं.