कज़ाख़स्तान: अशान्ति बढ़ने के बीच, संयम व बातचीत की अपील

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट और मध्य एशिया के लिये, यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश की विशेष प्रतिनिधि नतालिया ग़ेरमन ने, कज़ाख़स्तान में घातक हिंसा होने की चिन्ताजनक ख़बरों के बीच, संयम और बातचीत का आहवान किया है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने, गुरूवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि संगठन, कज़ाख़स्तान में स्थिति पर लगातार “नज़दीकी नज़र” रखे हुए है.
प्रवक्ता ने पुष्टि करते हुए बताया कि संयुक्त राष्ट्र और कज़ाख़स्तान में अधिकारियों के बीच कई बार सम्पर्क हुआ है. इस क्रम में विशेष प्रतिनिधि नतालिया ग़ेरमन और देश के उप विदेश मंत्री मुख़्तार तिलियूबेर्दी के बीच, गुरूवार को भी बातचीत हुई है.
इस बातचीत में, विशेष प्रतिनिधि ने, यूएन प्रमुख की तरफ़ से, संयम बरते जाने, हिंसा से बचने और स्थिति का समाधान तलाश करने की ख़ातिर बातचीत को प्रोत्साहित करने की अपील की है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने भी सुरक्षा बलों, प्रदर्शनकारियों और अन्य सभी पक्षों से, हिंसा से बचने और शान्तिपूर्ण समाधान की तलाश करने का आग्रह किया है.
मिशेल बाशेलेट ने एक वक्तव्य जारी करके कहा है कि मुख्य शहर – अलमाती में पुलिस प्रवक्ता ने बताया है कि सुरक्षा बलों ने अनेक प्रदर्शनकारियों को मार दिया है. इनके अतिरिक्त, प्रदर्शनों के दौरान, लगभग एक हज़ार लोग घायल भी हुए हैं.
मीडिया ख़बरों के अनुसार, गत रविवार को उस समय प्रदर्शन शुरू हो गए जब सरकार ने रसोई गैस (एलपीजी) के दामों पर ऊपरी सीमा हटा दी थी. बहुत से लोग एलपीजी का इस्तेमाल कारों और घरों में गर्माहट रखने के लिये ईंधन के तौर पर भी करते हैं.
मगर उसके बाद से इस अशान्ति में अब दीर्घकालीन राजनैतिक शिकायतें भी शामिल हो गई हैं.
आन्तरिक सुरक्षा मंत्रालय ने सूचित किया है कि इस अशान्ति में क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों के 12 अधिकारियों की भी मौत हुई है और 317 पुलिस अधिकारी व राष्ट्रीय गार्ड के सदस्य घायल भी हुए हैं.
मिशेल बाशेलेट का कहना है, “अन्तरराष्ट्रीय क़ानून स्पष्ट है: लोगों को शान्तिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने और अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार हासिल है. मगर साथ ही ये भी ध्यान में रखा जाना होगा कि प्रदर्शनकारी चाहे कितने भी क्रोधित हों, उन्हें अन्य लोगों व पक्षों के ख़िलाफ़ हिंसा नहीं करनी चाहिये.”
अलमाती में दंगा निरोधक पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के साथ झड़पों के दौरान, कथित रूप से आँसू गैस और ज़ोर की आवाज़ करने वाले हथगोलों का प्रयोग किया है.
दूसरी तरफ़ प्रदर्शनकारियों ने कुछ सरकारी इमारतों पर क़ब्ज़ा करके उनमें आग लगा दी है, और पुलिस थानों पर भी हमले करने की कोशिश की है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने गुरूवार, 6 जनवरी की ऐसी ख़बरों का भी संज्ञान लिया है कि अलमाती नगर सभागार के सामने सेना और कुछ सशस्त्र व्यक्तियों के बीच सघन गोलीबारी हुई है.
उन्होंने देश की सरकार और अधिकारियों को याद दिलाया है कि किसी भी तरह का बल प्रयोग, अनिवार्यता और अनुपात के सख़्त नियमों और ज़रूरतों के अनुसार ही किया जाए.
🇰🇿 #Kazakhstan: Amid alarming reports of deadly violence, UN Human Rights Chief @mbachelet urges all, including security forces, protesters and others, to refrain from violence and to seek a peaceful resolution of grievances. Learn more: https://t.co/4lJ3IXJjZi pic.twitter.com/SxQtF1EQwx
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ग़ौरतलब है कि बुधवार, 5 जनवरी को देश के अनेक इलाक़ों में आपातकाल की घोषणा कर दी गई थी जिनमें अलमाती और राजधानी नूर सुल्तान के मुख्य नगरीय इलाक़े भी हैं. उसके बाद आपातकाल पूरे देश में लागू कर दिया गया है.
आपातकाल की इस घोषणा में रात के 11 बजे से लेकर प्रातः सात बजे तक का करफ़्यू भी शामिल है और ये पाबन्दियाँ 19 जनवरी तक लागू रखे जाने की बात कही गई है.
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि देशों को आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार हासिल है, मगर मानवाधिकारों में किसी भी तरह की कमी, अनिवार्यता और अनूपात की कड़ी आवश्यकताओं की कसौटी पर कसी जानी चाहिये.
उन्होंने कहा, “जीवन का अधिकार, उत्पीड़न और अन्य तरह के दुर्व्यवहार की निषिद्धता, और मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तार नहीं किये जाने के अधिकार सहित, कुछ निश्चित अधिकारों का सम्मान, तमाम तरह की परिस्थितियों में किया जाना ज़रूरी है.”
कज़ाख़्स्तान के अधिकारियों ने ये जानकारी भी दी है कि दो हज़ार से ज़्यादा लोगों को पुलिस हिरासत में लिया गया है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने ये भी पुकार लगाई है कि जिन लोगों को केवल शान्तिपूर्ण सभाएँ करने और अभिव्यक्ति की आज़ादी के अपने अधिकारों का प्रयोग करने के लिये हिरासत में लिया गया है या गिरफ़्तार किया गया है, उन्हें तुरन्त रिहा किया जाए.
उन्होंने ज़ोर देकर ये भी कहा है कि मानवाधिकार हनन के तमाम आरापों की त्वरित, निष्पक्ष व सम्पूर्ण और व्यापक जाँच होनी चाहिये.
कज़ाख़्स्तान सरकार ने, हाल के दिनों में कहा था कि उसे उम्मीद है कि प्रदर्शनकारियों के साथ, एक समावेशी और रचनात्मक बातचीत हो सकेगी.
मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि अभी बिल्कुल सटीक समय है कि ये बातचीत सुनिश्चित करने के लिये तमाम क़दम उठाए जाएँ और आपातकाल के दौरान व उसके बाद भी मानवाधिकारों का सम्मान और उनकी रक्षा सुनिश्चित किये जाएँ.