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पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिये प्रयासरत, यूएन एजेंसी की आधी सदी

तटीय व समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों से करोड़ों लोगों को भोजन, आजीविका मिलती है और तटीय रक्षा भी सुनिश्चित होती है.
Ocean Image Bank/Matt Curnock
तटीय व समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों से करोड़ों लोगों को भोजन, आजीविका मिलती है और तटीय रक्षा भी सुनिश्चित होती है.

पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिये प्रयासरत, यूएन एजेंसी की आधी सदी

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की स्थापना को वर्ष 2022 में, 50 साल पूरे हो रहे हैं. यूएन एजेंसी ने इस अवसर पर, सभी देशों से पृथ्वी के लिये ख़तरा पैदा करने वाले तीन बड़े जोखिमों, जलवायु परिवर्तन, प्रकृति व जैवविविधता की हानि, और प्रदूषण व कचरा से निपटने के लिये विशाल कार्रवाई करने का आहवान किया है.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इन्गेर एण्डरसन ने इस क्रम में एक अपील जारी करते हुए मज़बूत संकल्प लिये जाने की पुकार लगाई है.

उन्होंने कहा कि उस दूरदृष्टि और संकल्प का सहारा लिया जाना होगा, जिसके परिणामस्वरूप, यूएन पर्यावरण एजेंसी 1972 में स्थापित की गई थी. 

यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की बुनियाद में आमजन व पृथ्वी के लिये, पर्यावरण के क्षेत्र में वैश्विक व्यवस्था की नए सिरे से परिकल्पना पर ज़ोर दिया गया है.

मगर, हाल के दशकों में पर्यावरण और प्राकृतिक जीवन के लिये विकराल चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं.

यूएन एजेंसी की वर्ष 2020 में जारी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पिछले 30 वर्षों के दौरान भूमि को अन्य रूपों में इस्तेमाल किये जाने की वजह से, 42 करोड़ हैक्टेयर वन भूमि का नुक़सान हुआ है.

यह क्षेत्रफल भारत के आकार से भी बड़ा है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हाल ही में कॉप26 सम्मेलन के दौरान आगाह किया था कि जैवविविधता के साथ क्रूरता बरतने, प्रकृति के साथ एक शौचालय जैसा बर्ताव करने और गहराई तक खनन व खुदाई को अब रोका जाना होगा. 

बताया गया है कि अगले कुछ दशकों में दस लाख से अधिक पौधों, स्तनपाई पशुओं, पक्षियों, रेंगने वाले जन्तुओं, उभयचरों, मछलियों सहित अन्य प्रजातियों पर लुप्त होने का जोखिम मण्डरा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एजेंसी का मुख्यालय केनया के नैरोबी में स्थित है.
UNEP
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एजेंसी का मुख्यालय केनया के नैरोबी में स्थित है.

अहम भूमिका 

पिछले कुछ दशकों में, यूनेप ने पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान ढूंढने के लिये, विश्वव्यापी प्रयासों में समन्वयक की भूमिका निभाई है.

वैश्विक स्तर पर रचनात्मक सहयोग के ज़रिये, ओज़ोन परत को हो रही क्षति की रोकथाम और उसकी क्षतिपूर्ति करने, सीसायुक्त ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध ढंग से समाप्त करने, और जीवों व पौधों की प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने में मदद मिली है. 

यूएन पर्यावरण कार्यक्रम ने पिछले पाँच दशकों में वनों की कटाई की रफ़्तार को कम करने के लिये, वैश्विक मुहिम की अगुवाई की है.

यूएन एजेंसी का मानना है कि जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला करने के लिये, पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली और टिकाऊ विकास बहुत अहम है.

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये यह ज़रूरी है कि वनों, हरित क्षेत्रों और पर्यावरण की दृष्टि से सम्वेदनशील अन्य क्षेत्रों की तबाही को रोका जाए. 

साथ ही, जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों को सहेजने, उनके संरक्षण, पुनर्बहाली और टिकाऊ प्रबन्धन को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है.