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बांग्लादेश: रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये बनाया गया कोविड उपचार केन्द्र आग की चपेट में

कॉक्सेस बाज़ार में यूएन प्रवासन एजेंसी द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य केंद्र में आग लगी.
©IOM
कॉक्सेस बाज़ार में यूएन प्रवासन एजेंसी द्वारा संचालित एक स्वास्थ्य केंद्र में आग लगी.

बांग्लादेश: रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये बनाया गया कोविड उपचार केन्द्र आग की चपेट में

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी (IOM) ने कहा है कि म्याँमार से आए शरणार्थियों के लिये, बांग्लादेश के कॉक्सेस बाज़ार में बनाए गए शिविर में स्थित एक कोविड-19 उपचार केन्द्र, भीषण आग की चपेट में आया है, जिससे नुक़सान हुआ है.

यूएन प्रवासन एजेंसी ने अपने एक ट्वीट सन्देश में जानकारी दी है कि स्वास्थ्य केन्द्र पर हुई इस घटना में कोई व्यक्ति हताहत नहीं हुआ है.

कॉक्सेस बाज़ार में विशाल स्तर पर फैले शरणार्थी शिविरों में स्थित इस स्वास्थ्य केन्द्र के कुछ हिस्से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं, मगर स्वास्थ्य सेवा टीम ने जल्द ही वहाँ कामकाज फिर से शुरू होने की उम्मीद जताई है. 

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फ़ील्ड टीम भी अस्पताल में सेवाओं को बचाने के लिये चौबीसों घण्टे काम कर रही हैं ताकि शिविर में आग लगने की घटना के बाद, हालात जल्द फिर से सामान्य बना जा सकें. 

इसके अलावा, ज़रूरतमन्द लोगों की आवश्यकताओं और इस घटना में हुई क्षति का आकलन किया जा रहा है. 

सोशल मीडिया पर शेयर की गई तस्वीरें दर्शाती हैं कि बिस्तरों के फ़्रेम बुरी तरह जल गए हैं, और गम्भीर संक्रमण के मामलों के लिये बनाए गए उपचार केन्द्र में, राख व मलबे को साफ़ किया जा रहा है. 

यूएन प्रवासन एजेंसी की टीम, आपदा प्रबन्धन इकाई के स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं और बांग्लादेश सरकार की एजेंसियों ने, जल्द आग पर नियंत्रण पाने और अस्पताल में प्रभावितों तक राहत पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई है. 

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन की टीम, महाशिविर में रोहिंज्या शरणार्थियों में, जागरूकता प्रसार के लिये प्रयासरत हैं, ताकि अचानक आग लगने की घटनाओं से निपटने के प्रति जानकारी साझा की जा सके.

रोहिंज्या संकट

इस महाशिविर में लाखों रोहिंज्या शरणार्थी रहते हैं, जोकि 1990 के शुरुआती वर्षों के बाद से, म्याँमार में अनेक बार हुए विस्थापन का शिकार होकर यहाँ तक पहुँचे हैं.

वर्ष 2017 में संकट जब अपने चरम पर था, तो हर दिन हज़ारों लोग सीमा पार कर बांग्लादेश पहुँच रहे थे.

उसके बाद से, कुटुपलोंग शरणार्थी शिविर, दुनिया में अपनी तरह का पहला विशाल शिविर बन गया है, जहाँ केवल 13 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े में, छह लाख से अधिक लोग रहते हैं. 

इससे स्थानीय बुनियादी ढाँचों और सेवाओं के लिये भीषण बोझ उत्पन्न हुआ है.

वर्ष 2021 में रोहिंज्या मानवीय राहत संकट पर साझा जवाबी कार्रवाई योजना के तहत, क़रीब 14 लाख ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है.

94 करोड 30 लाख डॉलर की योजना का उद्देश्य, आठ लाख 84 हज़ार रोहिंज्या शरणार्थियों और कॉक्सेस बाज़ार में मेज़बान समुदाय के चार लाख 72 हज़ार बांग्लादेशी नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करना है.