हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में बचपन: व्यथा को बयाँ कर पाना मुश्किल

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने आगाह किया है कि विश्व के अनेक देशों में हिंसक संघर्ष, अन्तर-सामुदायिक हिंसा और असुरक्षा के कारण बच्चों के लिये विनाशकारी हालात, वर्ष 2021 में भी बने रहे.
यूनीसेफ़ ने अफ़ग़ानिस्तान से यमन तक, और सीरिया से उत्तरी इथियोपिया तक, लम्बे समय से चले आ रहे हिंसक संघर्षों व नए टकरावों के दौरान बाल अधिकारों के गम्भीर हनन की भर्त्सना की है.
पिछले सप्ताह, म्याँमार के कायाह प्रान्त में एक हमले में कम से कम 35 लोगों की मौत हुई, जिनमें चार बच्चे भी हैं.
Each day, girls and boys living in areas under conflict endure unspeakable horrors that no human should ever experience.As we head into the new year, @unicefchief calls for the urgent protection of children. #NotATarget https://t.co/dVidPioh5k
UNICEF
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरीएटा फ़ोर ने शुक्रवार को जारी अपने एक वक्तव्य में कहा कि साल-दर-साल, हिंसक संघर्ष के दौरान, युद्धरत पक्षों द्वारा बाल अधिकारों व कल्याण के लिये भयावह बेपरवाही लगातार जारी है.
उन्होंने कहा कि बच्चे पीड़ा में हैं, और इसी लापरवाही की वजह से बच्चे हताहत हो रहे हैं.
इन बच्चों को सुरक्षित रखने के लिये हर प्रयास किया जाना होगा.
इस वर्ष के लिये आँकड़े फ़िलहाल उपलब्ध नहीं हो पाए हैं, मगर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2020 में बच्चों के अधिकार हनन के 26 हज़ार 425 मामलों की पुष्टि की थी.
वर्ष 2021 के पहले तीन महीनों में, गम्भीर हनन के मामलों में कुछ कमी दर्ज की गई थी, लेकिन अगवा किये जाने (50 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी) और यौन हिंसा (10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी) के पुष्ट मामलों में चिन्ताजनक वृद्धि जारी रही.
अगवा किये जाने के मामले सबसे अधिक सोमालिया में सामने आए, जिसके बाद काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) और लेक चाड बेसिन में स्थित देशों, चाड, नाइजीरिया, कैमरून और निजेर का स्थान है.
वहीं, यौन हिंसा के सबसे अधिक मामलों की पुष्टि डीआरसी, सोमालिया और मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में हुई.
2021 में ग्रासा माचेल की महत्वपूर्ण रिपोर्ट, Impact of War on Children’ के प्रकाशन के भी 25 वर्ष पूरे हुए हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई का आग्रह किया गया था.
पिछले 16 वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र ने, अफ़्रीका, एशिया, मध्य पूर्व और लातिन अमेरिका में, 30 से ज़्यादा हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में बच्चों के अधिकार हनन के दो लाख 66 हज़ार गम्भीर मामलों की पुष्टि की है.
इन मामलों की पुष्टि, संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में निगरानी व रिपोर्टिंग ढाँचे के तहत की गई, मगर अधिकार हनन के मामलों की वास्तविक संख्या, इससे कहीं अधिक होने का अनुमान व्यक्त किया गया है.
वर्ष 2005 के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में बाल हताहतों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई है. दुनिया भर में बाल हताहतों के कुल मामलों में से, साढ़े 28 हज़ार, यानि लगभग 27 फ़ीसदी की पुष्टि अफ़ग़ानिस्तान में हुई है.
इस बीच, मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका में स्कूलों में अस्पतालों में सबसे ज़्यादा हमले हुए हैं. इस वर्ष के पहले छह महीनों में ऐसी 22 घटनाओं की पुष्टि की गई है.
अक्टूबर में, यूनीसेफ़ ने बताया कि यमन में मार्च 2015 में लड़ाई शुरू होने के बाद से अब तक, 10 हज़ार बच्चे हताहत हुए हैं, यानि हर दिन चार बच्चे.
यूनीसेफ़ ने कहा है कि हिंसा प्रभावित इलाक़ों में रहने वाले लड़के-लड़कियाँ, ऐसे भयावह हालात में रहने के लिये मजबूर हैं, जिन्हें बयान नहीं किया जा सकता है.
एक बड़ा ख़तरा, विस्फोटक हथियारों का है, विशेष रूप से घनी आबादी वाले इलाक़ों में.
वर्ष 2020 में, बच्चों के हताहत होने के 50 फ़ीसदी मामले, विस्फोटक हथियारों और युद्धक सामग्री के अवशेषों के कारण हुए. ऐसी घटनाओं में तीन हज़ार 900 बच्चे या तो मारे गए, या फिर अपंग हो गए.
यूनीसेफ़ ने सभी युद्धरत पक्षों से औपचारिक रूप से कार्रवाई योजनाएँ लागू करने का संकल्प लेने की पुकार लगाई है.
वर्ष 2005 से अब तक, युद्धरत पक्षों ने ऐसी केवल 37 योजनाओं पर हस्ताक्षर किये हैं. यूनीसेफ़ ने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि बच्चों के लिये जो दाँव पर लगा है, उसे देखते हुए इतनी कम संख्या, स्तब्धकारी है.